वाशिंगटन: अमेरिका ने भारत से रूस के साथ अपने दीर्घकालिक संबंधों का उपयोग करने और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन में अपने 'अवैध युद्ध' को समाप्त करने के लिए कहने का आग्रह किया है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने सोमवार को एक प्रेस वार्ता में न केवल भारत-रूस के मजबूत संबंधों का उल्लेख किया, बल्कि भारत से पुतिन से संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान करने के लिए कहने का भी आग्रह किया.
मिलर ने कहा, 'भारत का रूस के साथ दीर्घकालिक संबंध है. मुझे लगता है कि यह सर्वविदित है. हमने-अमेरिका की ओर से बोलते हुए - भारत को रूस के साथ अपने संबंधों, दीर्घकालिक संबंधों और अपनी विशिष्ट स्थिति का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया है. जिससे राष्ट्रपति पुतिन से उनके अवैध युद्ध को समाप्त करने और इस संघर्ष में एक न्यायपूर्ण शांति, एक स्थायी शांति स्थापित करने का आग्रह किया जा सके. व्लादिमीर पुतिन से कहा जा सके कि वे संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान करें, यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करें.'
उन्होंने आगे कहा, 'यही बात हम भारत सरकार पर लगातार थोपते रहेंगे, जो रूस के साथ संबंधों के मामले में हमारा एक महत्वपूर्ण साझेदार है.' मिलर की टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की रूस यात्रा पर मीडिया के एक प्रश्न के जवाब में आई, जिसे यूक्रेनी राष्ट्रपति ने शांति प्रयासों के लिए विनाशकारी झटका बताया था.
हाल ही में मास्को की आधिकारिक यात्रा पर गए प्रधानमंत्री मोदी ने वहां रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और गैर-टैरिफ व्यापार बाधाओं को खत्म करने तथा 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का आपसी व्यापार हासिल करने के अपने लक्ष्यों को रेखांकित किया. बैठक के बाद जारी नेताओं के संयुक्त वक्तव्य के अनुसार दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार के उदारीकरण पर बातचीत जारी रखने का भी निर्णय लिया.
इसमें ईएईयू (EAEU) -भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र की स्थापना की संभावना भी शामिल है. उन्होंने राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करते हुए द्विपक्षीय निपटान प्रणाली विकसित करने तथा पारस्परिक निपटान के लिए डिजिटल वित्तीय साधनों को लगातार लागू करने पर भी काम करने का निर्णय लिया. रूस में प्रधानमंत्री मोदी को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल द फर्स्ट-कॉल्ड से औपचारिक रूप से सम्मानित किया गया.
गौरतलब है कि यह पुरस्कार प्रधानमंत्री मोदी को वर्ष 2019 में दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसे रूस की अपनी यात्रा के दौरान व्यक्तिगत रूप से प्राप्त किया था. वहां रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने शांति को भावी पीढ़ियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बताया.
उन्होंने कहा कि युद्ध के मैदान में कोई समाधान नहीं निकलता और उन्होंने कहा कि बम, बंदूक और गोलियों के बीच शांति वार्ता सफल नहीं होती. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'एक मित्र के तौर पर मैंने हमेशा कहा है कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए शांति अत्यंत महत्वपूर्ण है लेकिन मैं यह भी जानता हूं कि युद्ध के मैदान में समाधान संभव नहीं है. बम, बंदूक और गोलियों के बीच समाधान और शांति वार्ता सफल नहीं होती. हमें बातचीत के जरिए ही शांति के रास्ते पर चलना होगा.'
2022 में मॉस्को और कीव के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से यह पीएम मोदी की पहली रूस यात्रा थी. भारत ने हमेशा भारत और रूस के बीच संघर्ष को हल करने के लिए 'शांति और कूटनीति' की वकालत की है, लेकिन रूसी तेल खरीदना जारी रखा है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मानवता में विश्वास रखने वाले हर व्यक्ति को तब दुख होता है जब जान जाती है.
उन्होंने आगे कहा कि जब मासूम बच्चे मरते हैं तो यह 'दिल दहला देने वाला' होता है. उन्होंने कहा था, 'चाहे युद्ध हो, संघर्ष हो, आतंकी हमले हों - मानवता में विश्वास रखने वाले हर व्यक्ति को जान गंवाने पर पीड़ा होती है लेकिन जब निर्दोष बच्चों की हत्या होती है, जब हम निर्दोष बच्चों को मरते हुए देखते हैं, तो यह दिल दहला देने वाला होता है. यह पीड़ा अपार है. मैंने इस पर आपके साथ विस्तृत चर्चा भी की है.'