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कनाडा : ब्रिटिश कोलंबिया में पंजाबी मूल के 14 उम्मीदवारों की जीत

कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में 14 सिख उम्मीदवारों को जीत मिली है.

Modi and Trudeau
पीएम मोदी, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो (PIB)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 6 hours ago

नई दिल्ली : कनाडा के 93 सदस्यीय ब्रिटिश कोलंबिया में पंजाब मूल के 14 उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई है. इस जीत के बड़े मायने हैं. खासकर जिस तरह से भारत और कनाडा के बीच तनाव उत्पन्न हो गया, उसे देखते हुए इसका महत्व बढ़ जाता है. ब्रिटिश कोलंबिया में पिछली बार के चुनाव में उन्हें नौ सीटों पर जीत मिली थी.

इस चुनाव में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी को 46, कंजर्वेटिव पार्टी को 45 और ग्रीन पार्टी को दो सीटों पर जीत मिली है. ग्रीन पार्टी को भले ही मात्र दो सीटें मिली हों, लेकिन ब्रिटिश कोलंबिया में किसकी सरकार बनेगी, इसमें उनकी भूमिका अहम होगी. इस पार्टी ने जिसे भी अपना समर्थन दिया, उसका पलड़ा भारी हो जाएगा.

विजयी उम्मीदवारों में एनडीपी के पूर्व आवास मंत्री रवि काहलों और पूर्व अटॉर्नी-जनरल निकी शर्मा शामिल हैं. रवि हॉकी खिलाड़ी रह चुके हैं और उन्होंने कई बार ओलंपिक में भी कनाडा का प्रतिनिधित्व किया है.

व्यापार राज्य मंत्री जगरूप बरार ने लगातार सातवीं बार सरे-फ्लीटवुड से रिकॉर्ड जीत हासिल की है. इंटेरेस्टिंग ये है कि बरार भारतीय राष्ट्रीय बास्केटबॉल टीम का हिस्सा रह चुके थे. वह पढ़ाई के लिए कनाडा गए और फिर वहीं बस गए. उन्होंने कनाडा के मैनिटोबा विश्वविद्यालय से पीजी डिग्री हासिल की. वह सरे सेल्फ एंप्लॉयमेंट एंड एंटरप्रेन्योर डेवलमपेंट सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक भी रह चुके हैं.

जीतने वालों में राज चौहान भी हैं. उन्होंने बर्नाबी-वेस्टमिंस्टर से लगातार छठी बार जीत का परचम लहराया. एनडीपी की सुनीता धीर ने वैंकूवर लंगारा सीट पर कब्जा जमाया. इस सीट पर पिछले 30 सालों से लिबरल का कब्जा था. उन्होंने 48.2 फीसदी वोट के साथ जीत हासिल की.

एनडीपी के जेसी सुन्नर ने पूर्व विधायक और श्रम मंत्री 72 वर्षीय हैरी बैंस के नक्शेकदम पर चलते हुए सरे-न्यूटन में जीत हासिल की. सुन्नर एक वकील हैं. एनडीपी के रवि परमार सबसे कम उम्र के उम्मीदवार बने हैं. वह 30 साल के हैं. उन्होंने लैंगफोर्ड हाइलैंड्स सीट से जीत हासिल की. परमार को 51 फीसदी वोट मिले. उनके माता-पिता नब्बे के दशक में भारत से कनाडा आए थे.

ब्रिटिश कोलंबिया में शिक्षा मंत्री रचना सिंह का हारना एक बड़ा उलट-फेर रहा. वह सरे नॉर्थ से चुनाव लड़ रही थीं. उन्हें कंजर्वेटिव पार्टी के उम्मीदवार मंदीप धालीवाल ने हराया. धालीवाल कबड्डी के राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुके हैं. उन्होंने बतौर खिलाड़ी पंजाब का प्रतिनिधित्व किया था. एक अन्य भारतीय मूल के उम्मीदवार जिनी सिम्स भी सरे-पैनोरमा में हार गए. वहां से रेह अरोड़ा ने बर्नाबी ईस्ट में जीत हासिल की. वह बीसी फेडरेशन ऑफ लेबर में आयोजन निदेशक हैं.

हरविंदर कौर संधू ने लगातार दूसरी बार वर्नोन-मोनशी से जीत हासिल की. वह वहां पर एक नर्स के रूप में कार्यरत थीं. उनके पति की कैंसर के कारण मृत्यु हो गई थी. लैंगली-एबॉट्सफ़ोर्ड से हरमन सिंह भंगू जीते. भंगू को एग्रीगेट हेलर के नाम से भी जाना जाता है. उन्हें हैवी ट्रकिंग में 15 साल का अनुभव है. वह माइनर लीग फुटबॉल कोच रह चुके हैं.

कंजर्वेटिग नेता होनवीर सिंह रंधावा ने सरे-गिल्डफोर्ड सीट से जीत हासिल की. जोडी तूर ने लैंगली से जीत हासिल की. कंजर्वेटिव पार्टी के स्टीव कूनर ने रिचमंड-क्वींसबोरो सीट जीती. उनके पिता पंजाबी रिकॉर्डिंग कलाकार थे.

इस चुनाव में दो मुख्य दावेदार थे. निवर्तमान एनडीपी और उभरती कंजर्वेटिव पार्टी. कुल 93 सीटों पर चुनाव हुए. सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम 47 सीटों की जरूरत होती है.

ये भी पढ़ें : भारत के साथ गहरा रिश्ता, कनाडा ने कैसे लापरवाही से पहुंचाया नुकसान

नई दिल्ली : कनाडा के 93 सदस्यीय ब्रिटिश कोलंबिया में पंजाब मूल के 14 उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई है. इस जीत के बड़े मायने हैं. खासकर जिस तरह से भारत और कनाडा के बीच तनाव उत्पन्न हो गया, उसे देखते हुए इसका महत्व बढ़ जाता है. ब्रिटिश कोलंबिया में पिछली बार के चुनाव में उन्हें नौ सीटों पर जीत मिली थी.

इस चुनाव में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी को 46, कंजर्वेटिव पार्टी को 45 और ग्रीन पार्टी को दो सीटों पर जीत मिली है. ग्रीन पार्टी को भले ही मात्र दो सीटें मिली हों, लेकिन ब्रिटिश कोलंबिया में किसकी सरकार बनेगी, इसमें उनकी भूमिका अहम होगी. इस पार्टी ने जिसे भी अपना समर्थन दिया, उसका पलड़ा भारी हो जाएगा.

विजयी उम्मीदवारों में एनडीपी के पूर्व आवास मंत्री रवि काहलों और पूर्व अटॉर्नी-जनरल निकी शर्मा शामिल हैं. रवि हॉकी खिलाड़ी रह चुके हैं और उन्होंने कई बार ओलंपिक में भी कनाडा का प्रतिनिधित्व किया है.

व्यापार राज्य मंत्री जगरूप बरार ने लगातार सातवीं बार सरे-फ्लीटवुड से रिकॉर्ड जीत हासिल की है. इंटेरेस्टिंग ये है कि बरार भारतीय राष्ट्रीय बास्केटबॉल टीम का हिस्सा रह चुके थे. वह पढ़ाई के लिए कनाडा गए और फिर वहीं बस गए. उन्होंने कनाडा के मैनिटोबा विश्वविद्यालय से पीजी डिग्री हासिल की. वह सरे सेल्फ एंप्लॉयमेंट एंड एंटरप्रेन्योर डेवलमपेंट सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक भी रह चुके हैं.

जीतने वालों में राज चौहान भी हैं. उन्होंने बर्नाबी-वेस्टमिंस्टर से लगातार छठी बार जीत का परचम लहराया. एनडीपी की सुनीता धीर ने वैंकूवर लंगारा सीट पर कब्जा जमाया. इस सीट पर पिछले 30 सालों से लिबरल का कब्जा था. उन्होंने 48.2 फीसदी वोट के साथ जीत हासिल की.

एनडीपी के जेसी सुन्नर ने पूर्व विधायक और श्रम मंत्री 72 वर्षीय हैरी बैंस के नक्शेकदम पर चलते हुए सरे-न्यूटन में जीत हासिल की. सुन्नर एक वकील हैं. एनडीपी के रवि परमार सबसे कम उम्र के उम्मीदवार बने हैं. वह 30 साल के हैं. उन्होंने लैंगफोर्ड हाइलैंड्स सीट से जीत हासिल की. परमार को 51 फीसदी वोट मिले. उनके माता-पिता नब्बे के दशक में भारत से कनाडा आए थे.

ब्रिटिश कोलंबिया में शिक्षा मंत्री रचना सिंह का हारना एक बड़ा उलट-फेर रहा. वह सरे नॉर्थ से चुनाव लड़ रही थीं. उन्हें कंजर्वेटिव पार्टी के उम्मीदवार मंदीप धालीवाल ने हराया. धालीवाल कबड्डी के राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुके हैं. उन्होंने बतौर खिलाड़ी पंजाब का प्रतिनिधित्व किया था. एक अन्य भारतीय मूल के उम्मीदवार जिनी सिम्स भी सरे-पैनोरमा में हार गए. वहां से रेह अरोड़ा ने बर्नाबी ईस्ट में जीत हासिल की. वह बीसी फेडरेशन ऑफ लेबर में आयोजन निदेशक हैं.

हरविंदर कौर संधू ने लगातार दूसरी बार वर्नोन-मोनशी से जीत हासिल की. वह वहां पर एक नर्स के रूप में कार्यरत थीं. उनके पति की कैंसर के कारण मृत्यु हो गई थी. लैंगली-एबॉट्सफ़ोर्ड से हरमन सिंह भंगू जीते. भंगू को एग्रीगेट हेलर के नाम से भी जाना जाता है. उन्हें हैवी ट्रकिंग में 15 साल का अनुभव है. वह माइनर लीग फुटबॉल कोच रह चुके हैं.

कंजर्वेटिग नेता होनवीर सिंह रंधावा ने सरे-गिल्डफोर्ड सीट से जीत हासिल की. जोडी तूर ने लैंगली से जीत हासिल की. कंजर्वेटिव पार्टी के स्टीव कूनर ने रिचमंड-क्वींसबोरो सीट जीती. उनके पिता पंजाबी रिकॉर्डिंग कलाकार थे.

इस चुनाव में दो मुख्य दावेदार थे. निवर्तमान एनडीपी और उभरती कंजर्वेटिव पार्टी. कुल 93 सीटों पर चुनाव हुए. सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम 47 सीटों की जरूरत होती है.

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