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25 साल बाद पाकिस्तानी सेना ने पहली बार करगिल युद्ध में अपनी भूमिका स्वीकार की, जानिए क्या बोले सेना प्रमुख - 1999 Kargil war

1999 Kargil War, पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर ने पहली बार स्वीकार किया कि 1999 में करगिल युद्ध में पाकस्तानी सेना शामिल थी. उक्त बातें उन्होंने रक्षा दिवस पर अपने भाषण के दौरान कही. पढ़िए पूरी खबर...

Pakistan Army Chief General Syed Asim Munir
पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 7, 2024, 8:39 PM IST

Updated : Sep 7, 2024, 10:25 PM IST

इस्लामाबाद : रावलपिंडी स्थित जनरल मुख्यालय (GHQ) द्वारा अपनी तरह का पहला कबूलनामा मानते हुए सेना प्रमुख (COAS) जनरल सैयद असीम मुनीर ने भारत के खिलाफ 1999 के करगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की प्रत्यक्ष भूमिका को स्वीकार किया है. शुक्रवार को रक्षा दिवस पर अपने भाषण के दौरान मुनीर ने भारत के साथ हुए तीन युद्धों के साथ-साथ करगिल का भी जिक्र किया और पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के सैनिकों द्वारा दी गई शहादत को श्रद्धांजलि दी.

उन्होंने जीएचक्यू में उपस्थित लोगों से कहा कि निश्चित रूप से पाकिस्तानी राष्ट्र एक शक्तिशाली और बहादुर राष्ट्र है, जो स्वतंत्रता के मूल्य को समझता है और जानता है कि इसे कैसे बनाए रखना है. उन्होंने कहा कि 1948, 1965, 1971, पाकिस्तान और भारत के बीच करगिल युद्ध या सियाचिन में युद्ध, हजारों लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और देश की सुरक्षा के लिए शहीद हो गए.

मुनीर के बयान को करगिल युद्ध में सेना की प्रत्यक्ष भूमिका के बारे में किसी वर्तमान सेना प्रमुख द्वारा अपनी तरह का पहला कबूलनामा माना जा रहा है. पिछले 25 वर्षों से पाकिस्तान इस स्थिति को स्वीकार करने से बचता रहा है. अब तक पाकिस्तान 1999 के युद्ध में अपनी संलिप्तता से इनकार करता रहा है और दावा करता रहा है कि यह कश्मीर के 'स्वतंत्रता सेनानियों' द्वारा की गई कार्रवाई थी. पूर्व सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने हमेशा दावा किया था कि करगिल अभियान एक सफल स्थानीय कार्रवाई थी.

एक साक्षात्कार के दौरान, मुशर्रफ ने कहा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को विश्वास में नहीं लिया गया था और भारत के साथ अस्थिर नियंत्रण रेखा (LOC) पर सशस्त्र बलों द्वारा लिए गए कई निर्णयों के लिए सेना प्रमुख की मंजूरी की भी आवश्यकता नहीं थी. हालांकि, मुशर्रफ ने पूरे ऑपरेशन में पाकिस्तानी सेना के 10 कोर एफसीएनए (फोर्स कमांड नॉर्दर्न एरियाज) की भूमिका को स्वीकार किया था.

मुशर्रफ ने कहा था कि शुरू में इस क्षेत्र में मुजाहिद्दीन की गतिविधियां थीं. बाद में एफसीएनए ने नियंत्रण रेखा (LOC) के 150 मील के खाली क्षेत्र पर निगरानी रखने का फैसला किया. इसके लिए किसी से मंजूरी या अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. मुशाहिद हुसैन सैयद, जो 1999 में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के अधीन सूचना सचिव थे, ने भी विस्तार से बताया कि उनकी सरकार को तत्कालीन डीजीएमओ (सैन्य अभियान महानिदेशक) द्वारा एक आधिकारिक संचार के माध्यम से करगिल अभियान के बारे में जानकारी दी गई थी. जब करगिल हुआ, तो प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को औपचारिक सूचना और ब्रीफिंग 17 मई 1999 को डीजीएमओ द्वारा दी गई थी.

सैयद ने एक साक्षात्कार में कहा कि इससे पहले, भारत से आवाजें आनी शुरू हो गई थीं और यह अहसास होने लगा था कि नियंत्रण रेखा पर कुछ हो रहा है. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि करगिल अभियान कुछ लोगों के लिए सफलता की कहानी और अन्य लोगों के लिए बड़ी भूल और भूल बनकर रह जाएगा. उनका कहना है कि एफसीएनए की संलिप्तता का मुशर्रफ का दावा, जो पाकिस्तानी सेना के 10 कोर का हिस्सा है और कश्मीर तथा देश के उत्तरी क्षेत्रों का प्रबंधन करता है, इस तथ्य की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त स्वीकारोक्ति है, जिसे वर्तमान सेना प्रमुख ने भी दोहराया है.यह भी एक तथ्य है कि करगिल में पाकिस्तानी सेना के कई सैनिकों के शव वापस नहीं लाए गए, जिसके कारण उनके परिवारों ने पाकिस्तानी सरकार और सेना द्वारा शव अपने कब्जे में लेने में अनिच्छा पर सवाल उठाए.

ये भी पढ़ें- बलूच विद्रोहियों के 'ऑपरेशन हेरोफ' ने मचा दी खलबली! टेंशन में आया पाकिस्तान

इस्लामाबाद : रावलपिंडी स्थित जनरल मुख्यालय (GHQ) द्वारा अपनी तरह का पहला कबूलनामा मानते हुए सेना प्रमुख (COAS) जनरल सैयद असीम मुनीर ने भारत के खिलाफ 1999 के करगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की प्रत्यक्ष भूमिका को स्वीकार किया है. शुक्रवार को रक्षा दिवस पर अपने भाषण के दौरान मुनीर ने भारत के साथ हुए तीन युद्धों के साथ-साथ करगिल का भी जिक्र किया और पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के सैनिकों द्वारा दी गई शहादत को श्रद्धांजलि दी.

उन्होंने जीएचक्यू में उपस्थित लोगों से कहा कि निश्चित रूप से पाकिस्तानी राष्ट्र एक शक्तिशाली और बहादुर राष्ट्र है, जो स्वतंत्रता के मूल्य को समझता है और जानता है कि इसे कैसे बनाए रखना है. उन्होंने कहा कि 1948, 1965, 1971, पाकिस्तान और भारत के बीच करगिल युद्ध या सियाचिन में युद्ध, हजारों लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और देश की सुरक्षा के लिए शहीद हो गए.

मुनीर के बयान को करगिल युद्ध में सेना की प्रत्यक्ष भूमिका के बारे में किसी वर्तमान सेना प्रमुख द्वारा अपनी तरह का पहला कबूलनामा माना जा रहा है. पिछले 25 वर्षों से पाकिस्तान इस स्थिति को स्वीकार करने से बचता रहा है. अब तक पाकिस्तान 1999 के युद्ध में अपनी संलिप्तता से इनकार करता रहा है और दावा करता रहा है कि यह कश्मीर के 'स्वतंत्रता सेनानियों' द्वारा की गई कार्रवाई थी. पूर्व सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने हमेशा दावा किया था कि करगिल अभियान एक सफल स्थानीय कार्रवाई थी.

एक साक्षात्कार के दौरान, मुशर्रफ ने कहा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को विश्वास में नहीं लिया गया था और भारत के साथ अस्थिर नियंत्रण रेखा (LOC) पर सशस्त्र बलों द्वारा लिए गए कई निर्णयों के लिए सेना प्रमुख की मंजूरी की भी आवश्यकता नहीं थी. हालांकि, मुशर्रफ ने पूरे ऑपरेशन में पाकिस्तानी सेना के 10 कोर एफसीएनए (फोर्स कमांड नॉर्दर्न एरियाज) की भूमिका को स्वीकार किया था.

मुशर्रफ ने कहा था कि शुरू में इस क्षेत्र में मुजाहिद्दीन की गतिविधियां थीं. बाद में एफसीएनए ने नियंत्रण रेखा (LOC) के 150 मील के खाली क्षेत्र पर निगरानी रखने का फैसला किया. इसके लिए किसी से मंजूरी या अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. मुशाहिद हुसैन सैयद, जो 1999 में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के अधीन सूचना सचिव थे, ने भी विस्तार से बताया कि उनकी सरकार को तत्कालीन डीजीएमओ (सैन्य अभियान महानिदेशक) द्वारा एक आधिकारिक संचार के माध्यम से करगिल अभियान के बारे में जानकारी दी गई थी. जब करगिल हुआ, तो प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को औपचारिक सूचना और ब्रीफिंग 17 मई 1999 को डीजीएमओ द्वारा दी गई थी.

सैयद ने एक साक्षात्कार में कहा कि इससे पहले, भारत से आवाजें आनी शुरू हो गई थीं और यह अहसास होने लगा था कि नियंत्रण रेखा पर कुछ हो रहा है. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि करगिल अभियान कुछ लोगों के लिए सफलता की कहानी और अन्य लोगों के लिए बड़ी भूल और भूल बनकर रह जाएगा. उनका कहना है कि एफसीएनए की संलिप्तता का मुशर्रफ का दावा, जो पाकिस्तानी सेना के 10 कोर का हिस्सा है और कश्मीर तथा देश के उत्तरी क्षेत्रों का प्रबंधन करता है, इस तथ्य की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त स्वीकारोक्ति है, जिसे वर्तमान सेना प्रमुख ने भी दोहराया है.यह भी एक तथ्य है कि करगिल में पाकिस्तानी सेना के कई सैनिकों के शव वापस नहीं लाए गए, जिसके कारण उनके परिवारों ने पाकिस्तानी सरकार और सेना द्वारा शव अपने कब्जे में लेने में अनिच्छा पर सवाल उठाए.

ये भी पढ़ें- बलूच विद्रोहियों के 'ऑपरेशन हेरोफ' ने मचा दी खलबली! टेंशन में आया पाकिस्तान

Last Updated : Sep 7, 2024, 10:25 PM IST
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