इस्लामाबाद : पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार ने शुक्रवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी, जिसमें सिफर मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से संबंधित जेल से सुनवाई को रद्द कर दिया गया था.
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की एक खबर के अनुसार पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय में दाखिल अपनी याचिका में संघीय सरकार ने शीर्ष अदालत से इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को पलटने का अनुरोध करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने मामले के तथ्यों का ठीक से मूल्यांकन नहीं किया.
खबर में कहा गया है, 'याचिका में, सरकार ने दलील दी है कि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) के पास गोपनीय सूचनाओं को कथित तौर पर लीक करने से जुड़े सिफर मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत को अवैध घोषित करने का अधिकार नहीं है.'
यह मामला मार्च 2022 में पाकिस्तान दूतावास द्वारा भेजे गए एक राजनयिक दस्तावेज से संबंधित है तथा खान (71) और तत्कालीन विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पर राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इससे गलत तरीके से निपटने का आरोप है. दोनों को पिछले महीने दोषी ठहराया गया था. खान और कुरैशी ने अपने को निर्दोष बताया था.
पिछले साल नवंबर में आईएचसी ने सिफर मामले में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के संस्थापक खान को लेकर जेल से सुनवाई संबंधी अधिसूचना को रद्द कर दिया था. खबर में कहा गया है कि आईएचसी ने तीन पन्नों के संक्षिप्त आदेश में कहा कि जेल में मुकदमा असाधारण परिस्थितियों में चलाया जा सकता है.
अदालत ने यह भी कहा था कि जेल से सुनवाई की कार्यवाहक कैबिनेट की मंजूरी के बाद कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी 15 नवंबर की अधिसूचना को पूर्व प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता.