नई दिल्ली: मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के जलक्षेत्र में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस का एक बड़ा भंडार मिला है. यह भंडार इतना बड़ा है कि इसका दोहन देश की नियति बदल सकता है. डॉन न्यूज टीवी ने एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के हवाले से बताया कि तेल और गैस भंडार की मौजूदगी की पुष्टि के लिए उसने एक मित्र देश के साथ मिलकर तीन साल का सर्वे किया था.
भौगोलिक सर्वे से पाकिस्तान को भंडारों के स्थान की पहचान करने में मदद मिली है. संबंधित विभागों ने सरकार को पाकिस्तानी जलक्षेत्र में पाए जाने वाले संसाधनों के बारे में जानकारी दी है. इसे 'ब्लू वाटर इकोनॉमी' से लाभ उठाने का प्रयास बताते हुए अधिकारी ने कहा कि बिडिंग और एक्सप्लोरेशन के प्रस्तावों का अध्ययन किया जा रहा है, जिसका अर्थ है कि निकट भविष्य में यहां एक्सप्लोरेशन का काम शुरू किया जा सकता है.
कई सालों तक चल सकता है काम
अधिकारी ने कहा कि हालांकि, कुओं की खुदाई और वास्तव में तेल निकालने का काम कई सालों तक चल सकता है. उन्होंने कहा कि यहां तेल के अलावा कई अन्य मूल्यवान खनिज और तत्व हैं, जिन्हें समुद्र से निकाला जा सकता है. अधिकारी ने कहा कि जल्दी से काम करने से देश की आर्थिक किस्मत बदलने में मदद मिल सकती है. कुछ अनुमान बताते हैं कि यह खोज दुनिया में चौथा सबसे बड़ा तेल और गैस भंडार है.
वर्तमान में वेनेजुएला को लगभग 3.4 बिलियन बैरल के साथ तेल भंडार में लीडिंग देश माना जाता है, जबकि अमेरिका में सबसे ज़्यादा अप्रयुक्त शेल तेल भंडार है. सऊदी अरब, ईरान, कनाडा और इराक भी टॉप पांच देशों में शामिल हैं.
भंडार मिलने की कितनी उम्मीद
डॉन न्यूज से बात करते हुए, पूर्व तेल और गैस विनियामक प्राधिकरण (OGRA) के सदस्य मुहम्मद आरिफ ने कहा कि भले ही देश को आशावादी रहना चाहिए, लेकिन इस बात की कभी भी 100 प्रतिशत निश्चितता नहीं है कि भंडार की खोज उम्मीद के मुताबिक होगी.
जब उनसे पूछा गया कि क्या ये भंडार देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं, तो उन्होंने कहा कि यह उत्पादन के साइज और रिकवरी दर पर निर्भर करता है. अगर यह गैस भंडार है, तो यह एलएनजी आयात की जगह ले सकता है और अगर ये तेल भंडार हैं, तो हम आयातित तेल की जगह ले सकते हैं.
हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक भंडार की संभावनाओं का विश्लेषण नहीं किया जाता और ड्रिलिंग प्रक्रिया शुरू नहीं हो जाती, तब तक यह एक अनुमान है. उन्होंने बताया कि अकेले एक्स्प्लोरेशन के लिए लगभग 5 बिलियन डॉलर के भारी निवेश की आवश्यकता होती है और अपतटीय स्थान से भंडार निकालने में चार से पांच साल लग सकते हैं.
आरिफ ने आगे कहा कि अगर एक्स्प्लोरेशन के परिणामस्वरूप भंडार की खोज होती है, तो कुओं के लिए और अधिक निवेश की आवश्यकता होगी और भंडार निकालने और ईंधन का उत्पादन करने के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना होगा,