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'ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमला करे इजराइल', ट्रंप के इस बयान से मची खलबली - Nuclear sites of Iran - NUCLEAR SITES OF IRAN

ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर इजराइल हमला कर सकता है. डोनाल्ड ट्रंप ने किया समर्थन.

Donald Trump, Ex US President
डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 5, 2024, 1:59 PM IST

नई दिल्ली : इजराइल पर ईरान के हमले के बाद तनाव चरम पर है. खबर है कि इजराइल ईरान पर हमला कर सकता है. इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान वायरल हो रहा है.

उन्होंने कहा है कि इजराइल को ईरान की परमाणु सुविधाओं को नष्ट कर देना चाहिए. ट्रंप का बयान इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह न सिर्फ इजराइल के मुखर समर्थक हैं, बल्कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार भी हैं.

ट्रंप के बयान के ठीक विपरीत अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि इजराइल और ईरान के बीच व्यापक युद्ध की संभावना नहीं है और जहां तक संभव हो, इसे टाला जाना चाहिए.

ये अलग बात है कि इजराइल ने अमेरिका को कोई आश्वासन नहीं दिया है कि वह ईरान पर हमले नहीं करेगा. हां, अमेरिका ने यह जरूर कहा है कि वह इजराइल की रक्षा करने में मदद करता रहेगा. ट्रंप ने कहा कि बाइडेन को यह कहना चाहिए था कि इजराइल ईरान के परमाणु सुविधाओं को तबाह कर दे.

टाइम्स ऑफ इजराइल की खबर के मुताबिक इजराइल ईरान के महत्वपूर्ण ठिकानों, जैसे तेल, गैस, परमाणु साइट्स और एयर डिफेंस सिस्टम पर हमले कर सकता है. अखबार के अनुसार इस तरह के हमले से ईरान की कमर टूट जाएगी.

आपको बता दें कि ईरान ने एक अक्टूबर को इजराइल पर करीब 181 बैलिस्टिक मिसाइल से प्रहार किया था. इस हमले के बाद इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, "इजराइल ने बहुत बड़ी गलती कर दी और उसे इसका अंजाम भुगतना होगा."

इजराइल के रक्षा मंत्री गैलेंट ने सोशल मीडिया पर लिखा, "ईरान ने कोई भी सबक नहीं सीखा है, जो कोई भी इजराइल पर हमले करता है, उसे उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है."

इजराइल के प्रमुख विपक्षी नेता यायर लापिड ने कहा कि न सिर्फ ईरान, बल्कि सीरिया, लेबनान और यमन को भी साफ-साफ संदेश दे देना चाहिए, ये सभी देश ईरान द्वारा पोषित आतंकियों को पनाह देते हैं.

इजराइल के पूर्व प्रधानमंत्री नफ्टाली बेनट ने कहा कि ऐसे मौके 50 सालों में ही आते हैं, और इसे जाने नहीं देना चाहिए.

ईरान के ने इसी साल अप्रैल महीने में भी इजराइल पर करीब 300 मिसाइलों से हमले किए थे. इनमें कुछ ड्रोन भी शामिल थे. ईरान ने यह हमला तब किया था, जब इजराइल ने ईरान के कई जनरल को हवाई हमले में मार गिराया था.

अखबार की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बार ईरान ने यह हमला उस समय किया, जब इजराइल ने हिजबुल्ला के प्रमुख नसरल्लाह की हत्या कर दी. हिजबुल्लाह को ईरान का प्रॉक्सी कहा जाता है. दक्षिण लेबनान में हिजबुल्लाह का मुख्य बेस है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ईरान का परमाणु कार्यक्रम कथित तौर पर नागरिक उपयोग के लिए है. लेकिन अगर उस पर हमला हुआ, तो स्थिति पलट भी सकती है. ईरान इसकी आड़ में इन नागरिक सुविधाओं के बदले इसे परमाणु बम में भी तब्दील कर सकता है.

खबरों के मुताबिक ईरान के परमाणु कार्यक्रम पहाड़ों में छिपे हुए हैं, लिहाजा, वहां पर हमला कर उसे नष्ट करना इतना आसान नहीं है. दूसरी ओर ये भी चर्चा है कि अगर ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमला किया गया और यदि ईरान बम बनाने की राह पर निकल पड़ा, तो पूरे मध्य पूर्व में स्थिति विकट हो जाएगी. ईरान के बाद सऊदी अरब और तुर्की जैसे देश भी बम बनाने की राह पर आगे निकल सकते हैं और अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि मध्य पूर्व में किसी देश के पास परमाणु ताकत आए.

ये भी पढ़ें : ईरान-इजराइल में भारी तनाव! जानें किसको चुकानी पड़ रही भारी कीमत - Middle east conflict

नई दिल्ली : इजराइल पर ईरान के हमले के बाद तनाव चरम पर है. खबर है कि इजराइल ईरान पर हमला कर सकता है. इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान वायरल हो रहा है.

उन्होंने कहा है कि इजराइल को ईरान की परमाणु सुविधाओं को नष्ट कर देना चाहिए. ट्रंप का बयान इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह न सिर्फ इजराइल के मुखर समर्थक हैं, बल्कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार भी हैं.

ट्रंप के बयान के ठीक विपरीत अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि इजराइल और ईरान के बीच व्यापक युद्ध की संभावना नहीं है और जहां तक संभव हो, इसे टाला जाना चाहिए.

ये अलग बात है कि इजराइल ने अमेरिका को कोई आश्वासन नहीं दिया है कि वह ईरान पर हमले नहीं करेगा. हां, अमेरिका ने यह जरूर कहा है कि वह इजराइल की रक्षा करने में मदद करता रहेगा. ट्रंप ने कहा कि बाइडेन को यह कहना चाहिए था कि इजराइल ईरान के परमाणु सुविधाओं को तबाह कर दे.

टाइम्स ऑफ इजराइल की खबर के मुताबिक इजराइल ईरान के महत्वपूर्ण ठिकानों, जैसे तेल, गैस, परमाणु साइट्स और एयर डिफेंस सिस्टम पर हमले कर सकता है. अखबार के अनुसार इस तरह के हमले से ईरान की कमर टूट जाएगी.

आपको बता दें कि ईरान ने एक अक्टूबर को इजराइल पर करीब 181 बैलिस्टिक मिसाइल से प्रहार किया था. इस हमले के बाद इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, "इजराइल ने बहुत बड़ी गलती कर दी और उसे इसका अंजाम भुगतना होगा."

इजराइल के रक्षा मंत्री गैलेंट ने सोशल मीडिया पर लिखा, "ईरान ने कोई भी सबक नहीं सीखा है, जो कोई भी इजराइल पर हमले करता है, उसे उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है."

इजराइल के प्रमुख विपक्षी नेता यायर लापिड ने कहा कि न सिर्फ ईरान, बल्कि सीरिया, लेबनान और यमन को भी साफ-साफ संदेश दे देना चाहिए, ये सभी देश ईरान द्वारा पोषित आतंकियों को पनाह देते हैं.

इजराइल के पूर्व प्रधानमंत्री नफ्टाली बेनट ने कहा कि ऐसे मौके 50 सालों में ही आते हैं, और इसे जाने नहीं देना चाहिए.

ईरान के ने इसी साल अप्रैल महीने में भी इजराइल पर करीब 300 मिसाइलों से हमले किए थे. इनमें कुछ ड्रोन भी शामिल थे. ईरान ने यह हमला तब किया था, जब इजराइल ने ईरान के कई जनरल को हवाई हमले में मार गिराया था.

अखबार की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बार ईरान ने यह हमला उस समय किया, जब इजराइल ने हिजबुल्ला के प्रमुख नसरल्लाह की हत्या कर दी. हिजबुल्लाह को ईरान का प्रॉक्सी कहा जाता है. दक्षिण लेबनान में हिजबुल्लाह का मुख्य बेस है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ईरान का परमाणु कार्यक्रम कथित तौर पर नागरिक उपयोग के लिए है. लेकिन अगर उस पर हमला हुआ, तो स्थिति पलट भी सकती है. ईरान इसकी आड़ में इन नागरिक सुविधाओं के बदले इसे परमाणु बम में भी तब्दील कर सकता है.

खबरों के मुताबिक ईरान के परमाणु कार्यक्रम पहाड़ों में छिपे हुए हैं, लिहाजा, वहां पर हमला कर उसे नष्ट करना इतना आसान नहीं है. दूसरी ओर ये भी चर्चा है कि अगर ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमला किया गया और यदि ईरान बम बनाने की राह पर निकल पड़ा, तो पूरे मध्य पूर्व में स्थिति विकट हो जाएगी. ईरान के बाद सऊदी अरब और तुर्की जैसे देश भी बम बनाने की राह पर आगे निकल सकते हैं और अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि मध्य पूर्व में किसी देश के पास परमाणु ताकत आए.

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