ETV Bharat / international

ईरान राष्ट्रपति चुनाव: किसी को नहीं मिला बहुमत, फिर से होंगे मतदान - Iran Presidential Elections

author img

By ANI

Published : Jun 30, 2024, 1:35 PM IST

Iran Presidential Elections on July 5: ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए अब 5 जुलाई को चुनाव होंगे. इससे पहले कराए गए चुनाव में किसी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिलने के बाद फिर से चुनाव कराए जाएंगे.

Iran Presidential Elections
ईरान में राष्ट्रपति चुनाव (ANI)

तेहरान: ईरान के आकस्मिक राष्ट्रपति चुनाव में अगले सप्ताह पुनर्मतदान होना तय है, क्योंकि सुधारवादी समर्थित मसूद पेजेशकियन और कट्टरपंथी सईद जलीली को सर्वाधिक मत मिले हैं. हालांकि, दोनों बहुमत हासिल करने में असफल रहे. कहा जा रहा है कि यह दूसरी बार है जब ईरान में रिकॉर्ड लो वोटिंग हुई.

आंतरिक मंत्रालय के अनुसार 6.1 करोड़ से अधिक योग्य ईरानियों में से केवल 40 प्रतिशत ने ही मतदान किया. ये देश की 1979 की क्रांति के बाद से राष्ट्रपति चुनावों में एक नया निम्नतम स्तर है. मंत्रालय के चुनाव मुख्यालय से प्राप्त अंतिम आंकड़ों से पता चला है कि पेजेशकियन ने कुल 2 करोड़ 45 लाख से अधिक मतों में से 1 करोड़ 4 लाख से अधिक मत प्राप्त किए. वहीं, पूर्व परमाणु वार्ताकार सईद जलीली से 94 लाख मतों के साथ पीछे रहे.

अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार 1979 की क्रांति के बाद से यह दूसरी बार है जब राष्ट्रपति चुनाव हुए हैं. संसद के कंजर्वेटिव स्पीकर मोहम्मद बाघेर गालिबफ को करीब 33 लाख वोट मिले. इसी तरह रूढ़िवादी इस्लामी नेता मुस्तफा पूरमोहम्मदी को 206,397 वोट मिले और इसलिए वे दौड़ से बाहर हो गए. दो अन्य उम्मीदवार, तेहरान के मेयर अलीरेजा जकानी और सरकारी अधिकारी अमीर-होसैन गाजीजादेह हाशमी ने अपना नाम वापस ले लिया.

इस बीच गालिबफ, जकानी और गाजीजादेह ने अपने समर्थकों से 'क्रांतिकारी मोर्चे' की जीत सुनिश्चित करने के लिए अगले शुक्रवार को होने वाले दूसरे चरण के चुनाव में जलीली को वोट देने का आह्वान किया. 19 मई को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दल्लाहियन सहित सात अन्य की मौत के 50 दिन के निर्धारित समय सीमा के भीतर शुक्रवार को नए राष्ट्रपति के चयन के लिए कानूनी रूप से अचानक चुनाव हुआ.

शुक्रवार को हुए चुनाव में कम मतदान हुआ जैसा कि पिछले चार वर्षों में सभी प्रमुख चुनावों में हुआ है, लेकिन अंतिम आंकड़ा सर्वेक्षणों द्वारा अनुमानित 45-53 प्रतिशत से बहुत कम था. रिपोर्ट के अनुसार रईसी को ईरान के चार दशक से अधिक के इतिहास में सबसे कम 48.8 प्रतिशत मतदान के साथ राष्ट्रपति चुने गये थे. मार्च और मई में हुए संसदीय चुनावों में ईरान की 1979 की क्रांति के बाद से किसी भी प्रमुख चुनाव की तुलना में सबसे कम मतदान हुआ जो 41 प्रतिशत से थोड़ा कम था.

सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के वरिष्ठ सदस्य जलीली ने मुद्रास्फीति को एकल अंक तक कम करने और आर्थिक विकास को प्रभावशाली 8 प्रतिशत तक बढ़ाने का संकल्प लिया है. साथ ही भ्रष्टाचार और अक्षमता का मुकाबला भी किया है. उन्होंने पश्चिम और उसके समर्थकों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की सिफारिश की है. पेजेशकियन उन छह व्यक्तियों में से एकमात्र उदारवादी थे जिन्हें गार्जियन काउंसिल द्वारा चुनाव लड़ने के लिए अधिकृत किया गया था. गार्जियन काउंसिल एक संवैधानिक प्राधिकरण है जो सभी उम्मीदवारों की जांच करता है.

उनके समर्थकों ने उन्हें चमत्कार करने वाले के रूप में नहीं, बल्कि एक संभावित राष्ट्रपति के रूप में चित्रित किया है जो शायद चीजों को कुछ हद तक बेहतर बना सकते हैं. वहीं उनका मानना ​​है कि जलीली की जीत एक बड़ा झटका होगी. हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जलीली का नाम 2000 के दशक के अंत और 2010 के दशक की शुरुआत में वर्षों तक चली परमाणु चर्चाओं से जुड़ा है, जिसके कारण अंततः वैश्विक मंच पर ईरान अलग-थलग पड़ गया.

ये भी पढ़ें- ईरान में राष्ट्रपति चुनाव के लिए हो रही वोटिंग, मतदान से पहले दो कैंडीडेट्स ने नाम लिए वापस - Iran Presidential Elections

तेहरान: ईरान के आकस्मिक राष्ट्रपति चुनाव में अगले सप्ताह पुनर्मतदान होना तय है, क्योंकि सुधारवादी समर्थित मसूद पेजेशकियन और कट्टरपंथी सईद जलीली को सर्वाधिक मत मिले हैं. हालांकि, दोनों बहुमत हासिल करने में असफल रहे. कहा जा रहा है कि यह दूसरी बार है जब ईरान में रिकॉर्ड लो वोटिंग हुई.

आंतरिक मंत्रालय के अनुसार 6.1 करोड़ से अधिक योग्य ईरानियों में से केवल 40 प्रतिशत ने ही मतदान किया. ये देश की 1979 की क्रांति के बाद से राष्ट्रपति चुनावों में एक नया निम्नतम स्तर है. मंत्रालय के चुनाव मुख्यालय से प्राप्त अंतिम आंकड़ों से पता चला है कि पेजेशकियन ने कुल 2 करोड़ 45 लाख से अधिक मतों में से 1 करोड़ 4 लाख से अधिक मत प्राप्त किए. वहीं, पूर्व परमाणु वार्ताकार सईद जलीली से 94 लाख मतों के साथ पीछे रहे.

अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार 1979 की क्रांति के बाद से यह दूसरी बार है जब राष्ट्रपति चुनाव हुए हैं. संसद के कंजर्वेटिव स्पीकर मोहम्मद बाघेर गालिबफ को करीब 33 लाख वोट मिले. इसी तरह रूढ़िवादी इस्लामी नेता मुस्तफा पूरमोहम्मदी को 206,397 वोट मिले और इसलिए वे दौड़ से बाहर हो गए. दो अन्य उम्मीदवार, तेहरान के मेयर अलीरेजा जकानी और सरकारी अधिकारी अमीर-होसैन गाजीजादेह हाशमी ने अपना नाम वापस ले लिया.

इस बीच गालिबफ, जकानी और गाजीजादेह ने अपने समर्थकों से 'क्रांतिकारी मोर्चे' की जीत सुनिश्चित करने के लिए अगले शुक्रवार को होने वाले दूसरे चरण के चुनाव में जलीली को वोट देने का आह्वान किया. 19 मई को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दल्लाहियन सहित सात अन्य की मौत के 50 दिन के निर्धारित समय सीमा के भीतर शुक्रवार को नए राष्ट्रपति के चयन के लिए कानूनी रूप से अचानक चुनाव हुआ.

शुक्रवार को हुए चुनाव में कम मतदान हुआ जैसा कि पिछले चार वर्षों में सभी प्रमुख चुनावों में हुआ है, लेकिन अंतिम आंकड़ा सर्वेक्षणों द्वारा अनुमानित 45-53 प्रतिशत से बहुत कम था. रिपोर्ट के अनुसार रईसी को ईरान के चार दशक से अधिक के इतिहास में सबसे कम 48.8 प्रतिशत मतदान के साथ राष्ट्रपति चुने गये थे. मार्च और मई में हुए संसदीय चुनावों में ईरान की 1979 की क्रांति के बाद से किसी भी प्रमुख चुनाव की तुलना में सबसे कम मतदान हुआ जो 41 प्रतिशत से थोड़ा कम था.

सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के वरिष्ठ सदस्य जलीली ने मुद्रास्फीति को एकल अंक तक कम करने और आर्थिक विकास को प्रभावशाली 8 प्रतिशत तक बढ़ाने का संकल्प लिया है. साथ ही भ्रष्टाचार और अक्षमता का मुकाबला भी किया है. उन्होंने पश्चिम और उसके समर्थकों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की सिफारिश की है. पेजेशकियन उन छह व्यक्तियों में से एकमात्र उदारवादी थे जिन्हें गार्जियन काउंसिल द्वारा चुनाव लड़ने के लिए अधिकृत किया गया था. गार्जियन काउंसिल एक संवैधानिक प्राधिकरण है जो सभी उम्मीदवारों की जांच करता है.

उनके समर्थकों ने उन्हें चमत्कार करने वाले के रूप में नहीं, बल्कि एक संभावित राष्ट्रपति के रूप में चित्रित किया है जो शायद चीजों को कुछ हद तक बेहतर बना सकते हैं. वहीं उनका मानना ​​है कि जलीली की जीत एक बड़ा झटका होगी. हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जलीली का नाम 2000 के दशक के अंत और 2010 के दशक की शुरुआत में वर्षों तक चली परमाणु चर्चाओं से जुड़ा है, जिसके कारण अंततः वैश्विक मंच पर ईरान अलग-थलग पड़ गया.

ये भी पढ़ें- ईरान में राष्ट्रपति चुनाव के लिए हो रही वोटिंग, मतदान से पहले दो कैंडीडेट्स ने नाम लिए वापस - Iran Presidential Elections
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.