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बदलती मानसिकता : आइए कान और सुनने की देखभाल को सभी के लिए वास्तविकता बनाएं! थीम पर मनेगा विश्व श्रवण दिवस 2024 - विश्व स्वास्थ्य संगठन

World Hearing Day 2024 : श्रवण हानि के कारणों व लक्षणों बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने और कान के स्वास्थ्य को बनाए रखने व श्रवण देखभाल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर साल 3 मार्च को ‘विश्व श्रवण दिवस’ मनाया जाता है. इस वर्ष यह दिवस बदलती मानसिकता : आइए कान और सुनने की देखभाल को सभी के लिए वास्तविकता बनाएं! थीम पर मनाया जा रहा है.

World Hearing Day
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 2, 2024, 9:46 PM IST

हैदराबाद : वर्ष 2022 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दिए गए एक अनुमान के मुताबिक उस समय तक भारत में 6.5 करोड़ से भी अधिक लोग ऐसे थे जिन्हें या तो कम सुनाई देता था या बिल्कुल भी सुनाई नहीं देता था. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट की मानें तो वर्ष 2050 तक दुनियाभर में लगभग 70 करोड़ (700 मिलियन) लोग बहरेपन से ग्रसित हो सकते हैं.

जानकार मानते हैं कि बहरेपन या कम सुनने की समस्या के कई मामलों में समय से इलाज करवाने से पीड़ित की समस्या का निदान या प्रबंधन संभव है. लेकिन बहुत से लोग समस्या के लक्षणों को ना समझ पाने, समस्या को नजरअंदाज करने और समय से इलाज शुरू ना करवाने के कारण पूर्ण या आंशिक श्रवण हानि का शिकार हो जाते हैं. आमजन इस समस्या को हल्के में ना लेकर समय से इलाज शुरू करवाए तथा हर पीड़ित के लिए इस समस्या का इलाज संभव व सरल हो , इसी उद्देश्य के साथ हर साल 3 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व श्रवण दिवस का आयोजन किया जाता है.

क्या है श्रवण हानि
श्रवण हानि का अर्थ सिर्फ बहरापन नहीं होता है. श्रवण हानि का मतलब है किसी रोग, समस्या, अवस्था या परिस्थिति के चलते व्यक्ति की सुनने की क्षमता पूर्ण या आंशिक रूप से कम होना. ऐसा किसी भी उम्र में हो सकता है तथा इसके लिए कई कारणों जिम्मेदार हो सकते हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में बढ़ रहे श्रवणहानी के मामलों के लिए तेज आवाज में संगीत सुनना या तेज आवाज के संपर्क में रहना मुख्य कारणों में से एक है. जानकारों का कहना है कि बहरेपन की समस्या एक बार होने पर ज्यादातर मामलों में इलाज संभव नहीं होता है. वहीं कम सुनने की समस्या में कारणों के आधार पर इलाज या थेरेपी मददगार हो सकती है. कई मामलों में हियरिंग एड या सूनने की मशीन की मदद से तथा कुछ अन्य तकनीकों से पीड़ित की मदद तथा समस्या का प्रबंधन किया जा सकता है. वहीं कुछ समस्याओं में सर्जरी की मदद से भी सुनने की क्षमता में सुधार हो सकता है.

उद्देश्य तथा महत्व
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में श्रवणहानी से पीड़ित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों के आंकड़ों की माने तो अलग-अलग कारणों से वैश्विक स्तर पर लगभग 80 फीसदी पीड़ितों की कान संबंधी रोगों व समस्याओं विशेषकर सुनने संबंधी समस्याओं के इलाज व देखभाल से जुड़ी ज़रूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं. इनके लिए आमतौर पर लक्षणों को अनदेखा करना, इलाज में देरी करना, इलाज कैसे व कहा करवाना है तथा थेरेपी के लिए सेंटर से जुड़ी जानकारी का अभाव जैसे कारणों को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन इसके साथ ही बहरापन या श्रवण हानि को लेकर लोगों में गलत धारणाएं, भ्रम तथा गलत मानसिकता भी पहले समस्या को मानने फिर उसके इलाज में देरी का कारण बनता है. विश्व श्रवण दिवस आयोजित किए जाने के मुख्य उद्देश्यों में समुदायों और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के बीच कान और सुनने की समस्याओं से संबंधित आम गलत धारणाओं और लोगों की मानसिकता को बदलने का प्रयास करना भी शामिल है. इसके अलावा इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों जैसे शिविरों, गोष्ठियों तथा रैलियों के माध्यम से लोगों को बहरेपन या कम सुनने की समस्या से बचाव तथा बहरेपन रोग या श्रवणहानी से जुड़ी अन्य समस्याओं के इलाज व देखभाल से जुड़ी जरूरी जानकारियों को लेकर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जाता है.

इतिहास
गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर लोगों को श्रवण स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2007 में औपचारिक रूप से ‘इंटरनेशनल ईयर केयर डे’ मनाए जाने की घोषणा की गई थी. तब से हर साल 3 मार्च को दुनिया भर में इस दिवस को मनाए जाने की शुरुआत हुई . हालांकि बाद में वर्ष 2016 में इस आयोजन का नाम बदल कर ‘विश्व श्रवण दिवस’ किया गया. लेकिन इससे इस आयोजन को मनाए जाने की परंपरा में कोई परिवर्तन नहीं आया.

विश्व स्वास्थ्य संगठन हर साल एक नई थीम के साथ ‘विश्व श्रवण दिवस’ का आयोजन करता है . इस वर्ष यह आयोजन ‘बदलती मानसिकता : आइए कान और सुनने की देखभाल को सभी के लिए वास्तविकता बनाएं!’ थीम पर मनाया जा रहा है.

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World Day of The Deaf : 2050 तक दुनिया में 250 करोड़ लोग बहरेपन का होंगे शिकार, भारत की बड़ी आबादी भी होगी चपेट में

हैदराबाद : वर्ष 2022 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दिए गए एक अनुमान के मुताबिक उस समय तक भारत में 6.5 करोड़ से भी अधिक लोग ऐसे थे जिन्हें या तो कम सुनाई देता था या बिल्कुल भी सुनाई नहीं देता था. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट की मानें तो वर्ष 2050 तक दुनियाभर में लगभग 70 करोड़ (700 मिलियन) लोग बहरेपन से ग्रसित हो सकते हैं.

जानकार मानते हैं कि बहरेपन या कम सुनने की समस्या के कई मामलों में समय से इलाज करवाने से पीड़ित की समस्या का निदान या प्रबंधन संभव है. लेकिन बहुत से लोग समस्या के लक्षणों को ना समझ पाने, समस्या को नजरअंदाज करने और समय से इलाज शुरू ना करवाने के कारण पूर्ण या आंशिक श्रवण हानि का शिकार हो जाते हैं. आमजन इस समस्या को हल्के में ना लेकर समय से इलाज शुरू करवाए तथा हर पीड़ित के लिए इस समस्या का इलाज संभव व सरल हो , इसी उद्देश्य के साथ हर साल 3 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व श्रवण दिवस का आयोजन किया जाता है.

क्या है श्रवण हानि
श्रवण हानि का अर्थ सिर्फ बहरापन नहीं होता है. श्रवण हानि का मतलब है किसी रोग, समस्या, अवस्था या परिस्थिति के चलते व्यक्ति की सुनने की क्षमता पूर्ण या आंशिक रूप से कम होना. ऐसा किसी भी उम्र में हो सकता है तथा इसके लिए कई कारणों जिम्मेदार हो सकते हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में बढ़ रहे श्रवणहानी के मामलों के लिए तेज आवाज में संगीत सुनना या तेज आवाज के संपर्क में रहना मुख्य कारणों में से एक है. जानकारों का कहना है कि बहरेपन की समस्या एक बार होने पर ज्यादातर मामलों में इलाज संभव नहीं होता है. वहीं कम सुनने की समस्या में कारणों के आधार पर इलाज या थेरेपी मददगार हो सकती है. कई मामलों में हियरिंग एड या सूनने की मशीन की मदद से तथा कुछ अन्य तकनीकों से पीड़ित की मदद तथा समस्या का प्रबंधन किया जा सकता है. वहीं कुछ समस्याओं में सर्जरी की मदद से भी सुनने की क्षमता में सुधार हो सकता है.

उद्देश्य तथा महत्व
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में श्रवणहानी से पीड़ित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों के आंकड़ों की माने तो अलग-अलग कारणों से वैश्विक स्तर पर लगभग 80 फीसदी पीड़ितों की कान संबंधी रोगों व समस्याओं विशेषकर सुनने संबंधी समस्याओं के इलाज व देखभाल से जुड़ी ज़रूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं. इनके लिए आमतौर पर लक्षणों को अनदेखा करना, इलाज में देरी करना, इलाज कैसे व कहा करवाना है तथा थेरेपी के लिए सेंटर से जुड़ी जानकारी का अभाव जैसे कारणों को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन इसके साथ ही बहरापन या श्रवण हानि को लेकर लोगों में गलत धारणाएं, भ्रम तथा गलत मानसिकता भी पहले समस्या को मानने फिर उसके इलाज में देरी का कारण बनता है. विश्व श्रवण दिवस आयोजित किए जाने के मुख्य उद्देश्यों में समुदायों और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के बीच कान और सुनने की समस्याओं से संबंधित आम गलत धारणाओं और लोगों की मानसिकता को बदलने का प्रयास करना भी शामिल है. इसके अलावा इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों जैसे शिविरों, गोष्ठियों तथा रैलियों के माध्यम से लोगों को बहरेपन या कम सुनने की समस्या से बचाव तथा बहरेपन रोग या श्रवणहानी से जुड़ी अन्य समस्याओं के इलाज व देखभाल से जुड़ी जरूरी जानकारियों को लेकर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जाता है.

इतिहास
गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर लोगों को श्रवण स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2007 में औपचारिक रूप से ‘इंटरनेशनल ईयर केयर डे’ मनाए जाने की घोषणा की गई थी. तब से हर साल 3 मार्च को दुनिया भर में इस दिवस को मनाए जाने की शुरुआत हुई . हालांकि बाद में वर्ष 2016 में इस आयोजन का नाम बदल कर ‘विश्व श्रवण दिवस’ किया गया. लेकिन इससे इस आयोजन को मनाए जाने की परंपरा में कोई परिवर्तन नहीं आया.

विश्व स्वास्थ्य संगठन हर साल एक नई थीम के साथ ‘विश्व श्रवण दिवस’ का आयोजन करता है . इस वर्ष यह आयोजन ‘बदलती मानसिकता : आइए कान और सुनने की देखभाल को सभी के लिए वास्तविकता बनाएं!’ थीम पर मनाया जा रहा है.

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