ETV Bharat / health

इस रेंज में रहेगा हार्ट रेट तो अटैक पड़ने का खतरा होगा कम, ज्यादा होने पर बढ़ सकती है मुसीबत - Normal Heart Rate

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 14, 2024, 12:19 PM IST

What Should Be Normal Heart Rate: हार्ट बीट का ज्यादा और कम होना खतरनाक माना जाता है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि हार्ट बीट की सामान्य रेंज कितनी होनी चाहिए और यह किन परिस्थितियों में बढ़ जाती है.

क्या होना चाहिए नॉर्मल हार्ट रेट?
क्या होना चाहिए नॉर्मल हार्ट रेट? (Getty Images)

नई दिल्ली: आज के दौर में हार्ट की हेल्थ का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ऐसा करने से न सिर्फ हार्ट अटैक बल्कि दिल की अन्य बीमारियों से भी बचा जा सकता है. हार्ट को फिट रखने के लिए बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन का ठीक रखना जरूरी होता है, जो तभी संभव है, जब आपका हार्ट रेट सही हो. बता दें कि आपका दिल एक मिनट में जितनी बार धड़कता है उसे हार्ट रेट कहते हैं.

हार्ट बीट का ज्यादा और कम होना खतरनाक माना जाता है. इतना ही नहीं हार्ट बीट का बढ़ना हार्ट अटैक आने का लक्षण भी हो सकता है. हार्ट बीट बढ़ने पर सांस लेने में परेशानी और सीने में दर्द हो सकता है. ऐसे में आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर हमारे दिल का सामान्य हार्ट रेट कितना होना चाहिए?

ये होती है सामान्य रेंज
हैदराबाद अपोलो हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ सुधीर कुमार के मुताबिक हार्ट बीट की सामान्य रेंज 60 से 100 के बीच होनी चाहिए. 16 से 30 आयु वाले लोगों का हार्ट रेट 80 के आसपास रहता है और 30 से 55 में 74 के करीब होना चाहिए. इससे अधिक उम्र वालों में रेंज कम होकर 70 से 75 बीपीएम रह सकती है. छोटे बच्चों में 2 से 11 साल वालों में ये रेंज 70 से 120 तक हो सकती है.

हार्ट बीट ज्यादा होने के कई कारण हो सकते हैं. हार्ट रेट का तेज होना दिल की बीमारियों का संकेत हो सकता है. ये दिल का दौरा पड़ने या फिर एनीमिया का संकेत हो सकता है. बच्चों में ये परेशानी कम होती है, लेकिन आजकल 30 से 50 आयु वर्ग में मामले ज्यादा आते हैं. आराम करते समय हार्ट रेट जितना कम होगा, उतना ही बेहतर होगा. आराम करते समय हार्ट रेट का बढ़ना दिल संबंधी बीमारियों का संकेत हो सकता है और इससे मौत भी हो सकती है.

हार्ट बीट के नॉर्मल न होने पर होती हैं ये समस्याएं
हार्ट बीट के नॉर्मल न होने पर सांस लेने मे परेशानी होती है. इससे हार्ट स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती है. कुछ मामलों में हार्ट बीट बढ़ जाती है. जैसे खेलते समय या डांस करते समय, लेकिन अगर सामान्य स्थिति में भी हार्ट बीट बढ़ रही है तो ये खतरे का संकेत हो सकता है. ऐसे में आपको लापरवाही बिलकुल नहीं करनी चाहिए और तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए.

हार्ट रेट को प्रभावित करने वाले फैक्टर
हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक उम्र के अलावा कई ऐसे फैक्टर हैं, जिनका प्रभाव हार्ट रेट को प्रभावित कर सकता है. इनमें टेंपरेचर, किसी दवा के साइड इफेक्ट, इमोशन, वजन एनीमिया, हार्मोनल असामान्यताए, पोस्टुरल टैचीकार्डिया सिंड्रोम (PoTS), बॉडी पोजीशन, और स्मोकिंग शामिल हैं.

(डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं है. ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें.)

यह भी पढ़ें- हाई प्रोटीन डाइट से किडनी को नुकसान? दूर कर लें कंफ्यूजन, एक्स्पर्ट से जानें सच्चाई

नई दिल्ली: आज के दौर में हार्ट की हेल्थ का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ऐसा करने से न सिर्फ हार्ट अटैक बल्कि दिल की अन्य बीमारियों से भी बचा जा सकता है. हार्ट को फिट रखने के लिए बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन का ठीक रखना जरूरी होता है, जो तभी संभव है, जब आपका हार्ट रेट सही हो. बता दें कि आपका दिल एक मिनट में जितनी बार धड़कता है उसे हार्ट रेट कहते हैं.

हार्ट बीट का ज्यादा और कम होना खतरनाक माना जाता है. इतना ही नहीं हार्ट बीट का बढ़ना हार्ट अटैक आने का लक्षण भी हो सकता है. हार्ट बीट बढ़ने पर सांस लेने में परेशानी और सीने में दर्द हो सकता है. ऐसे में आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर हमारे दिल का सामान्य हार्ट रेट कितना होना चाहिए?

ये होती है सामान्य रेंज
हैदराबाद अपोलो हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ सुधीर कुमार के मुताबिक हार्ट बीट की सामान्य रेंज 60 से 100 के बीच होनी चाहिए. 16 से 30 आयु वाले लोगों का हार्ट रेट 80 के आसपास रहता है और 30 से 55 में 74 के करीब होना चाहिए. इससे अधिक उम्र वालों में रेंज कम होकर 70 से 75 बीपीएम रह सकती है. छोटे बच्चों में 2 से 11 साल वालों में ये रेंज 70 से 120 तक हो सकती है.

हार्ट बीट ज्यादा होने के कई कारण हो सकते हैं. हार्ट रेट का तेज होना दिल की बीमारियों का संकेत हो सकता है. ये दिल का दौरा पड़ने या फिर एनीमिया का संकेत हो सकता है. बच्चों में ये परेशानी कम होती है, लेकिन आजकल 30 से 50 आयु वर्ग में मामले ज्यादा आते हैं. आराम करते समय हार्ट रेट जितना कम होगा, उतना ही बेहतर होगा. आराम करते समय हार्ट रेट का बढ़ना दिल संबंधी बीमारियों का संकेत हो सकता है और इससे मौत भी हो सकती है.

हार्ट बीट के नॉर्मल न होने पर होती हैं ये समस्याएं
हार्ट बीट के नॉर्मल न होने पर सांस लेने मे परेशानी होती है. इससे हार्ट स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती है. कुछ मामलों में हार्ट बीट बढ़ जाती है. जैसे खेलते समय या डांस करते समय, लेकिन अगर सामान्य स्थिति में भी हार्ट बीट बढ़ रही है तो ये खतरे का संकेत हो सकता है. ऐसे में आपको लापरवाही बिलकुल नहीं करनी चाहिए और तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए.

हार्ट रेट को प्रभावित करने वाले फैक्टर
हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक उम्र के अलावा कई ऐसे फैक्टर हैं, जिनका प्रभाव हार्ट रेट को प्रभावित कर सकता है. इनमें टेंपरेचर, किसी दवा के साइड इफेक्ट, इमोशन, वजन एनीमिया, हार्मोनल असामान्यताए, पोस्टुरल टैचीकार्डिया सिंड्रोम (PoTS), बॉडी पोजीशन, और स्मोकिंग शामिल हैं.

(डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं है. ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें.)

यह भी पढ़ें- हाई प्रोटीन डाइट से किडनी को नुकसान? दूर कर लें कंफ्यूजन, एक्स्पर्ट से जानें सच्चाई

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.