शिमला: गठिया जिसे अर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है. आज एक सामान्य समस्या बन गई है. हड्डियों की कमजोरी और गठिया जैसी समस्याएं कुछ दशक पहले तक उम्र बढ़ने के साथ होने वाली दिक्कतों के रूप में जानी जाती थीं, लेकिन आज खराब जीवन शैली के कारण युवा वर्ग भी इस बीमारी का शिकार हो रहा है. आज दुनिया भर में लाखों लोग इससे प्रभावित हैं. शटलर साइना नेहवाल ने भी हाल ही में कहा था कि गठिया के कारण वो इस साल के अंत तक खेल से सन्यास ले सकती हैं.
वैसे तो 20 से 30 साल की उम्र में गठिया के लक्षणों की पहचान करना मुश्किल है. हालांकि लगातार जोड़ों में दर्द और अकड़न होने, जोड़ों के लचीलेपन में कमी और घुटनों में समस्याओं पर ध्यान देकर इसकी पहचान की जा सकती है. हालांकि जोड़ों में होने वाला हर दर्द गठिया नहीं होता है, लेकिन 4 से 6 हफ्ते तक यदि जोड़ों में लगातार दर्द बना रहे और सुबह उठते ही जोड़ों में दर्द, सूजन रहना गठिया की निशानी हो सकती है. ऐसे में तुरंत अस्पताल में जाकर डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए.
जल्दी इलाज से जल्द मिलता है लाभ
आईजीएमसी में गठिया रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विकास शर्मा ने कहा, 'जरूरी नहीं जोड़ों में दर्द रहना गठिया का लक्षण हो. 4 से 6 हफ्ते तक जोड़ों में दर्द रहना, सुबह उठते ही जोड़ों में दर्द, दवाई खाने से भी दर्द का ठीक न होना गठिया के लक्षण हैं. इस तरह की समस्या होने पर तुरंत अस्पताल में दिखाना चाहिए. गठिया का इलाज जितना जल्दी शुरू होगा मरीज को उतना ही जल्दी लाभ मिलेगा.'
पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में गठिया होने के अधिक चांस
डॉक्टर विकास ने बताया कि, 'गठिया महिला और पुरुषों दोनों में हो सकता है. ये अनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है, लेकिन अन्य कारणों में महिलाओं में गठिया होने के अधिक चांस हैं. रूमेटाइड आर्थराइटिस , एसएलई और अन्य डिसऑर्डर महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा 5 से 9 गुना अधिक रहते हैं. HLA-B27 अनुवांशिक जीन युवा पुरुषों को अधिक प्रभावित करता है. इसमें कमर में दर्द, जकड़न अधिक रहती है. ये महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक पाया जाता है. वेस्कुलाइटिस महिलाओं और पुरुषों को एक समान प्रभावित करता है.'
गठिया के लक्षण
डॉ विकास ने बताया कि, सूजन और दर्द के साथ जोड़े शरीर के अन्य भागों की अपेक्षा अधिक गर्म और बुखार वाले लक्षण रहें तो उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए.
- गठिया की शुरुआत में हाथों में दर्द महसूस होता है.
- धीरे-धीरे सुबह-शाम जोड़ों में जकड़न और सूजन जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं.
- हाथों को काम करने में भी दिक्कत होने लगती है.
हड्डियों के सिरों को सहारा देने वाली कार्टिलेज के खराब होने से आर्थराइटिस शुरू होता है. ये शरीर के किसी भी जोड़े को नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन ये हाथों, घुटनों, कूल्हों और रीढ़ के जोड़ों को सबसे अधिक प्रभावित करता है. उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों और जोड़ों में दर्द और अन्य समस्याएं होना आम बात है, लेकिन शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहना, ज्यादा देर तक एक ही जगह पर बैठे रहने वाले लोगों में ये समस्या ज्यादा होती है.
डॉ. विकास शर्मा ने बताया कि वैसे तो गठिया रोग के लगभग 100 से भी ज्यादा प्रकार हैं. जिसके कारण लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. हड्डियों और जोड़ों को खराब होने से बचाने के लिए जरूरी है कि शुरुआत में ही इसका इलाज हो जाए. लेकिन गठिया के कुछ मुख्य प्रकार इस तरह से हैं...
- ऑस्टियोआर्थराइटिस (अस्थिसंधिशोथ):ये गठिया रोग के सबसे आम रूप में गिना जाता है. इस अवस्था में व्यक्ति के जोड़ों में दर्द और सूजन के साथ-साथ हिलने ढुलने की गति पर भी असर पड़ता है. ऑस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों के कार्टिलेज पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और इससे धीरे-धीरे कार्टिलेज टूटना शुरू हो जाते हैं.
2. रूमेटॉइड आर्थराइटिस (रूमेटिक संधिशोथ):इस प्रकार के आर्थराइटिस से हमारे जोड़ों की परत को हानि होती है. रूमेटॉइड आर्थराइटिस में शरीर का इम्युनिटी सिस्टम अपने ही शरीर के ऊतकों पर हमला कर देता है, जोड़ों की परतों को क्षति पहुंचने की वजह से जोड़ों में दर्द और सूजन जैसी समस्याएं हो जाती हैं.
3.गाउट आर्थराइटिस:गाउट का दूसरा नाम वातरक्त भी है जो पैरों पर प्रभाव डालता है. इस तरह की परिस्थिति में जोड़ों में दर्द और सूजन होती है. खासतौर से बड़े पैर के अंगूठे में, पैर में अचानक दर्द होना गाउट का एक लक्षण है.
4.सेप्टिक आर्थराइटिस:इसे इन्फेक्शियस आर्थराइटिस भी कहा जाता है. जो कि जोड़ों के ऊतकों और तरल पदार्थ का संक्रमण है. सेप्टिक आर्थराइटिस बच्चों में भी पाया जाता है और इसके होने का मुख्य कारण इम्युनिटी सिस्टम का कमजोर होना है.
5.एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस:इस तरह का गठिया रोग वैसे तो किसी भी जोड़ को प्रभावित कर सकता है, लेकिन ज्यादातर यह रीढ़ की हड्डी में होता है. ऐसी अवस्था में व्यक्ति को आराम करते समय या रात को सोते समय भी कमर दर्द की समस्या हो जाती है.
6. जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस:यह एक ऐसे प्रकार का गठिया रोग है जो बच्चों में पाया जाता है. ऐसी अवस्था में हाथ, घुटनों, टखनों, कोहनियों, और कलाई में दर्द या सूजन की शिकायत देखने को मिलती है. हालांकि ये शरीर के अन्य अंगों पर भी अपना प्रभाव डाल सकता है.
7. रिएक्टिव आर्थराइटिस:इस तरह के गठिया रोग में व्यक्ति के जोड़, आंखें, त्वचा और मूत्रमार्ग प्रभावित होते हैं. आमतौर पर रिएक्टिव आर्थराइटिस का प्रभाव 20 से 40 वर्ष के लोगों के बीच में दिखाई देता है और ज्यादातर पुरुषों में इसकी समस्या देखने को मिलती है.
गठिया के दर्द को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन जोड़ों को हुए नुकसान को कम नहीं किया जा सकता है. वजन कम करने, खाने-पीने की आदतों में सुधार कर, नियमित व्यायाम, योग कर इसे निंयत्रित किया जा सकता है. अपने आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले फूड को शामिल किया जा सकता है.