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35 की उम्र के बाद आज के दौर की जरूरत है ऐसा करना - Health after 35 years old - HEALTH AFTER 35 YEARS OLD

Health after 35 years old : आज के समय में हर उम्र के लोगों में बढ़ते रोगों व समस्याओं के मामलों को देखते हुए चिकित्सक 35 से 40 की उम्र के बाद से ही महिलाओं व पुरुषों को नियमित स्वास्थ्य जांच या टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं. जिससे शरीर में होने वाली समस्याओं व रोगों के बारे में समय से पता चल सके और समय से उनके निदान के लिए प्रयास किया जा सके. Health check up , regular health check up benefits , check up required above 35 years

regular health check up benefits after age of 35 years
35 की उम्र के बाद स्वास्थ्य जांच की सलाह - कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 14, 2024, 9:07 AM IST

Updated : May 15, 2024, 6:21 AM IST

हैदराबाद : आमतौर पर लोग खून या पेशाब की जांच तभी करवाते हैं जब चिकित्सक किसी रोग की आशंका में उन्हे जांच करवाने के लिए कहते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में युवाओं व अधेड़ लोगों में लगातार बढ़ती अलग-अलग प्रकार की बीमारियों व स्वास्थ्य समस्याओं के चलते बहुत जरूरी हो गया है कि लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सचेत रहे. इसलिए चिकित्सक आजकल 35 से 40 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं व पुरुषों दोनों से नियमित स्वास्थ्य जांच यानी खून-पेशाब तथा अन्य तरह की जांच करवाने की सलाह देते है.

क्यों है जरूरी नियमित जांच : जानकारों की मानें तो आज के समय में अस्वास्थ्यकर जीवनशैली सहित बहुत से कारणों से लोगों में कम उम्र में ही कई तरह की समस्याओं व बीमारियों के जोखिम बढ़ने लगते हैं.कई ऐसी बीमारियां जिन्हे पहले बुढ़ापे की बीमारियां माना जाता था आजकल युवावस्था से ही वे परेशान करने लगती हैं. नजर कम होना, जोडों व पीठ में दर्द या हड्डियों में कमजोरी, हृदय रोग, पाचन में समस्या, जल्दी थकान होना या याददाश्त में कमी आदि उनमें शामिल हैं.

regular health check up benefits after age of 35 years
35 की उम्र के बाद स्वास्थ्य जांच की सलाह - कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)

चंडीगढ़ पंजाब के जनरल फिजीशियन डॉ बलबीर सिंह बताते हैं कि आज के समय में भागती दौड़ती तनाव भरी जीवन शैली तथा उससे जुड़ी अस्वास्थ्यकारी आदतेँ जैसे खाने-पीने में गड़बड़ी, धूम्रपान व शराब का ज्यादा इस्तेमाल, काम व आराम के अनुपात में असंतुलन, सोने जागने के समय या उसकी मात्रा से जुड़ी समस्याएं, तनाव तथा बहुत सी अन्य समस्याएं लोगों में शरीर के सभी तंत्रों तथा उनके कार्यों को प्रभावित करती हैं. जो उनमें मधुमेह, हृदय रोग, ओबेसिटी व रक्तचाप ( Diabetes, heart disease - CVD , obesity and blood pressure ) आदि के साथ ही कई बार कुछ गंभीर विसंगतियों, रोगों, कुछ विशेष प्रकार के पोषण में कमी, आंतरिक अंगों में समस्या या कई बार अंग विफलता सहित कई समस्याओं का कारण बन सकती है.

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35 की उम्र के बाद स्वास्थ्य जांच की सलाह - कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)

वह बताते हैं कि आज के दौर में ज्यादातर युवाओं में कोलेस्ट्रॉल, हाई बीपी, एनीमिया, हीमोग्लोबिन में कमी तथा हड्डियों में कमजोरी या शरीर में विटामिन डी की कमी सहित कई समस्याएं देखने में आती हैं. लेकिन कुल पीड़ितों में से ज्यादातर लोगों को अपने स्वास्थ्य की वास्तविक स्थिति पता ही नहीं होती है. जिसके चलते वे ना तो स्वास्थ्य को बेहतर करने व इन कमियों को दूर करने के लिए जरूरी सावधानियों को अपना पाते हैं बल्कि कई बार ऐसे आहार या दिनचर्या का पालन भी करने लगते हैं जो इन समस्याओं के प्रभावों को ज्यादा बढ़ा देती हैं. और कई बार यह स्थिति शरीर में कई अन्य गंभीर समस्याओं के होने व बढ़ने का कारण भी बन जाती है. ऐसी परिस्थितियों से बचा जा सके इसके लिए बहुत जरूरी है कि स्वास्थ्य की नियमित निगरानी रखी जाय. जिसमें नियमित टेस्ट काफी मददगार हो सकते हैं.

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35 की उम्र के बाद स्वास्थ्य जांच की सलाह - कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)

कब कराएं जांच
वह बताते हैं कि 35 से 40 वर्ष की आयु के बाद सामान्य अवस्था में (जब कोई स्वास्थ्य समस्या या रोग ना हो) सालाना यानी साल में एक बार तथा किसी विशेष अवस्था जैसे गंभीर Diabetes , heart disease - CVD , अनुवांशिक अवस्था या किसी अन्य समस्या के होने की अवस्था में हर 6 महीने में एक बार सम्पूर्ण स्वास्थ्य जांच जरूर करवा लेनी चाहिए. ऐसा करने से समस्या के घटते बढ़ते स्तर के साथ किसी नए रोग या संक्रमण की शुरुआत तथा किसी विशेष आर्गन में समस्या के बारें में भी समय से पता चल सकता है. जिससे समय रहते समस्या के निदान के लिए प्रयास करने के साथ जरूरी सावधानियों को भी अपनाया जा सकता है.

वह बताते हैं कि ऐसे लोग जिनके परिवार में किसी रोग विशेष या अवस्था का इतिहास रहा हो तथा जिनमें उक्त समस्याओं के होने का जोखिम ज्यादा हो, या जो वंशानुगत या जेनेटिक अवस्थाओं का सामना कर रहे हों उनके लिए नियमित शारीरिक जांच बेहद जरूरी होती हैं. जिससे किसी समस्या के ट्रिगर होने की अवस्था में समय रहते इलाज के लिए प्रयास किया जा सके.

कौन से टेस्ट जरूरी
डॉ बलबीर सिंह बताते हैं कि साल में एक बार महिलाओं व पुरुषों को कुछ टेस्ट करवाने फायदेमंद हो सकते हैं जैसे रक्त परीक्षण में संक्रमण, खून में कमी या रक्त संबंधी समस्याओं की जांच के लिए हीमोग्लोबिन टेस्ट, सीबीसी, आयरन स्टडी टेस्ट व हेमोग्राम टेस्ट, यूरिन टेस्ट, हृदय रोग की जांच के लिए लिपिड प्रोफाइल जिसमें कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स जांच होती है, लिवर फंक्शन टेस्ट, किडनी फंक्शन टेस्ट, मधुमेह जांच, यूरिक एसिड टेस्ट, थायराइड प्रोफाइल टेस्ट, विटामिन डी3 तथा विटामिन बी-12 टेस्ट आदि. इसके अलावा 40 की आयु के बाद महिलाओं को मैमोग्राफी एवं पैप स्मीयर जैसे टेस्ट भी करवाने चाहिए जिससे स्तनों व प्रजनन तंत्र में होने वाली समस्याओं का समय से पता चल सके.

खून व पेशाब के माध्यम से होने वाली इन जांचों के अलावा नियमित नेत्र जांच करवाना भी बेहद जरूरी है क्योंकि आज के समय में हर उम्र के लोग अपना ज्यादातर समय मोबाइल, कंप्यूटर या टीवी के आगे बिताते हैं. जिसके चलते हर उम्र के लोगों में दृष्टिहानी सहित कई तरह के कम या ज्यादा गंभीर नेत्र रोगों के मामले भी काफी ज्यादा बढ़ने लगे हैं. Health check up , regular health check up benefits , body check up required above 35 years old

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इस समय की गई एरोबिक-एक्सरसाइज हो सकती है फायदेमंद

हैदराबाद : आमतौर पर लोग खून या पेशाब की जांच तभी करवाते हैं जब चिकित्सक किसी रोग की आशंका में उन्हे जांच करवाने के लिए कहते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में युवाओं व अधेड़ लोगों में लगातार बढ़ती अलग-अलग प्रकार की बीमारियों व स्वास्थ्य समस्याओं के चलते बहुत जरूरी हो गया है कि लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सचेत रहे. इसलिए चिकित्सक आजकल 35 से 40 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं व पुरुषों दोनों से नियमित स्वास्थ्य जांच यानी खून-पेशाब तथा अन्य तरह की जांच करवाने की सलाह देते है.

क्यों है जरूरी नियमित जांच : जानकारों की मानें तो आज के समय में अस्वास्थ्यकर जीवनशैली सहित बहुत से कारणों से लोगों में कम उम्र में ही कई तरह की समस्याओं व बीमारियों के जोखिम बढ़ने लगते हैं.कई ऐसी बीमारियां जिन्हे पहले बुढ़ापे की बीमारियां माना जाता था आजकल युवावस्था से ही वे परेशान करने लगती हैं. नजर कम होना, जोडों व पीठ में दर्द या हड्डियों में कमजोरी, हृदय रोग, पाचन में समस्या, जल्दी थकान होना या याददाश्त में कमी आदि उनमें शामिल हैं.

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35 की उम्र के बाद स्वास्थ्य जांच की सलाह - कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)

चंडीगढ़ पंजाब के जनरल फिजीशियन डॉ बलबीर सिंह बताते हैं कि आज के समय में भागती दौड़ती तनाव भरी जीवन शैली तथा उससे जुड़ी अस्वास्थ्यकारी आदतेँ जैसे खाने-पीने में गड़बड़ी, धूम्रपान व शराब का ज्यादा इस्तेमाल, काम व आराम के अनुपात में असंतुलन, सोने जागने के समय या उसकी मात्रा से जुड़ी समस्याएं, तनाव तथा बहुत सी अन्य समस्याएं लोगों में शरीर के सभी तंत्रों तथा उनके कार्यों को प्रभावित करती हैं. जो उनमें मधुमेह, हृदय रोग, ओबेसिटी व रक्तचाप ( Diabetes, heart disease - CVD , obesity and blood pressure ) आदि के साथ ही कई बार कुछ गंभीर विसंगतियों, रोगों, कुछ विशेष प्रकार के पोषण में कमी, आंतरिक अंगों में समस्या या कई बार अंग विफलता सहित कई समस्याओं का कारण बन सकती है.

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35 की उम्र के बाद स्वास्थ्य जांच की सलाह - कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)

वह बताते हैं कि आज के दौर में ज्यादातर युवाओं में कोलेस्ट्रॉल, हाई बीपी, एनीमिया, हीमोग्लोबिन में कमी तथा हड्डियों में कमजोरी या शरीर में विटामिन डी की कमी सहित कई समस्याएं देखने में आती हैं. लेकिन कुल पीड़ितों में से ज्यादातर लोगों को अपने स्वास्थ्य की वास्तविक स्थिति पता ही नहीं होती है. जिसके चलते वे ना तो स्वास्थ्य को बेहतर करने व इन कमियों को दूर करने के लिए जरूरी सावधानियों को अपना पाते हैं बल्कि कई बार ऐसे आहार या दिनचर्या का पालन भी करने लगते हैं जो इन समस्याओं के प्रभावों को ज्यादा बढ़ा देती हैं. और कई बार यह स्थिति शरीर में कई अन्य गंभीर समस्याओं के होने व बढ़ने का कारण भी बन जाती है. ऐसी परिस्थितियों से बचा जा सके इसके लिए बहुत जरूरी है कि स्वास्थ्य की नियमित निगरानी रखी जाय. जिसमें नियमित टेस्ट काफी मददगार हो सकते हैं.

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35 की उम्र के बाद स्वास्थ्य जांच की सलाह - कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)

कब कराएं जांच
वह बताते हैं कि 35 से 40 वर्ष की आयु के बाद सामान्य अवस्था में (जब कोई स्वास्थ्य समस्या या रोग ना हो) सालाना यानी साल में एक बार तथा किसी विशेष अवस्था जैसे गंभीर Diabetes , heart disease - CVD , अनुवांशिक अवस्था या किसी अन्य समस्या के होने की अवस्था में हर 6 महीने में एक बार सम्पूर्ण स्वास्थ्य जांच जरूर करवा लेनी चाहिए. ऐसा करने से समस्या के घटते बढ़ते स्तर के साथ किसी नए रोग या संक्रमण की शुरुआत तथा किसी विशेष आर्गन में समस्या के बारें में भी समय से पता चल सकता है. जिससे समय रहते समस्या के निदान के लिए प्रयास करने के साथ जरूरी सावधानियों को भी अपनाया जा सकता है.

वह बताते हैं कि ऐसे लोग जिनके परिवार में किसी रोग विशेष या अवस्था का इतिहास रहा हो तथा जिनमें उक्त समस्याओं के होने का जोखिम ज्यादा हो, या जो वंशानुगत या जेनेटिक अवस्थाओं का सामना कर रहे हों उनके लिए नियमित शारीरिक जांच बेहद जरूरी होती हैं. जिससे किसी समस्या के ट्रिगर होने की अवस्था में समय रहते इलाज के लिए प्रयास किया जा सके.

कौन से टेस्ट जरूरी
डॉ बलबीर सिंह बताते हैं कि साल में एक बार महिलाओं व पुरुषों को कुछ टेस्ट करवाने फायदेमंद हो सकते हैं जैसे रक्त परीक्षण में संक्रमण, खून में कमी या रक्त संबंधी समस्याओं की जांच के लिए हीमोग्लोबिन टेस्ट, सीबीसी, आयरन स्टडी टेस्ट व हेमोग्राम टेस्ट, यूरिन टेस्ट, हृदय रोग की जांच के लिए लिपिड प्रोफाइल जिसमें कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स जांच होती है, लिवर फंक्शन टेस्ट, किडनी फंक्शन टेस्ट, मधुमेह जांच, यूरिक एसिड टेस्ट, थायराइड प्रोफाइल टेस्ट, विटामिन डी3 तथा विटामिन बी-12 टेस्ट आदि. इसके अलावा 40 की आयु के बाद महिलाओं को मैमोग्राफी एवं पैप स्मीयर जैसे टेस्ट भी करवाने चाहिए जिससे स्तनों व प्रजनन तंत्र में होने वाली समस्याओं का समय से पता चल सके.

खून व पेशाब के माध्यम से होने वाली इन जांचों के अलावा नियमित नेत्र जांच करवाना भी बेहद जरूरी है क्योंकि आज के समय में हर उम्र के लोग अपना ज्यादातर समय मोबाइल, कंप्यूटर या टीवी के आगे बिताते हैं. जिसके चलते हर उम्र के लोगों में दृष्टिहानी सहित कई तरह के कम या ज्यादा गंभीर नेत्र रोगों के मामले भी काफी ज्यादा बढ़ने लगे हैं. Health check up , regular health check up benefits , body check up required above 35 years old

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Last Updated : May 15, 2024, 6:21 AM IST
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