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देर से प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं और उनके बच्चे को हो सकते हैं गंभीर खतरे, हॉस्पिटल की रिसर्च ने बजाई खतरे की घंटी - LATE PREGNANCY EFFECTS

Late Pregnancy Effects: एक भारतीय अस्पताल के अध्ययन में सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई. इस उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना परेशानियों भरा है.

LATE PREGNANCY SIDE EFFECTS AND PREGNANCY AT OLDER AGE TROUBLESOME FOR WOMEN CHILD
देर से प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं और उनके बच्चे को हो सकते हैं गंभीर खतरे! (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Health Team

Published : Oct 20, 2024, 11:03 AM IST

Updated : Oct 20, 2024, 11:09 AM IST

Late Pregnancy Effects : महिलाओं के स्वास्थ्य के संबंध में एक चिंताजनक बात यह है कि देर से विवाह करने से महिलाओं में प्रेग्नेंसी और प्रसव पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, साथ ही बच्चे का विकास भी बाधित होता है. यह बात अस्पताल में किए गए एक अध्ययन में सामने आई है. अध्ययन के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए गायनोलॉजिस्ट डॉ. रिजवाना शाहीन ने बताया कि अध्ययन में रेजिडेंट डॉक्टरों ने गर्भवती महिलाओं को दो श्रेणियों में विभाजित किया है - 35-40 वर्ष के बाद विवाह करने वाली महिलाएं और सामान्य विवाह करने वाली महिलाएं.

डॉ. शाहीन ने बताया कि एक चौंकाने वाले नतीजे में पाया गया कि देर से शादी करने वाली महिलाओं में समय से पहले प्रसव, प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर ब्लीडिंग (रक्तस्राव) का जोखिम अधिक होता है. इसके अलावा, देर से शादी करने वाली महिलाओं में IUGR (अंतर्गर्भाशयी विकास मंदता) का जोखिम अधिक होता है.

LATE PREGNANCY SIDE EFFECTS AND PREGNANCY AT OLDER AGE TROUBLESOME FOR WOMEN CHILD
देर से प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं और उनके बच्चे को हो सकते हैं गंभीर खतरे! (ETV Bharat)

आलम यह है कि 100 गर्भवतियों में से 25 की उम्र 30 से 35 के बीच हो रही है और आज ये गायनी विशेषज्ञों (Gynecologist) के लिए चिंता का विषय है. इसके साथ ही अब 35 से 40 के बीच प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं की संख्या और परेशानी दोनों बढ़ रही है, क्योंकि इस उम्र में मां बनना भी किसी जोखिम से कम नहीं है. ज्यादातर मामलों में कंसीव न होने पर IVF का सहारा लेना पड़ रहा है, जिसकी हाई रिस्क डिलीवरी होती है. इसको लेकर जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में एक अध्ययन किया गया, जिसमें बढ़ती उम्र में मां बनने वाली महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी सामने आई है.

LATE PREGNANCY SIDE EFFECTS AND PREGNANCY AT OLDER AGE TROUBLESOME FOR WOMEN CHILD
डॉ. रिजवाना शाहीन, गाइनी विभागाध्यक्ष, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज (ETV Bharat)

35 की उम्र में प्रेग्नेंट होना परेशानियों भरा : मारवाड़ में मातृ उपचार के सबसे बड़े केंद्र उम्मेद अस्पताल में आठ माह में 35 से 40 की उम्र की 400 से ज्यादा गर्भवती जो एंटी नेटल चेकअप के लिए रजिस्टर्ड हुई हैं, इनको नियमित जांच की सलाह दी गई है,जिससे उन्हें भविष्य की परेशानियों से बचाया जा सके. Dr. SN Medical College की गाइनी विभागाध्यक्ष डॉ रिजवाना शाहीन ने बताया कि 35 की उम्र में शादी करने के बाद गर्भवती होना परेशानियों भरा है. इस एज-ग्रुप में इनफर्टिलिटी भी बढ़ रही है और ज्यादातर मामले अबॉर्शन के ही होते हैं.

परिवार का सपोर्ट बेहद जरूरी : Dr. Rizwana Shaheen का कहना है कि महिलाओं को करियर और फैमेली के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है. इसके लिए जरूरी है कि उन्हें परिवार का सपोर्ट मिले, जो उनको समझा सके कि परिवार बच्चे के पालन-पोषण में उनकी मदद करेगा. इससे पेशेवर महिलाएं अपने काम प्रभावित होने की किसी आशंका से मुक्त होंगी. इसी तरह से समाज में बदलाव आ सकता है.साथ ही अधिक उम्र में गर्भधारण की समस्या से भी काफी हद तक निजात पाई जा सकती है.

ये परेशानियां स्टडी में सामने आई : Gynecologist Dr. Rizwana Shaheen के मार्गदर्शन में हुए इस अध्ययन में सामने आया कि 35-40 की उम्र में गर्भधारण अब बढ़ने लगी है और ऐसे मामले 6 से 7 प्रतिशत तक बढ़े हैं. साथ ही आने वाले समय में इसके और अधिक बढ़ने की उम्मीद है.अध्ययन के अनुसार इस उम्र में कंसीव होने के बाद प्रसव तक बहुत सारे कांपलीकेशन होते हैं. इनमें खास तौर से वर्क प्रेशर और टेंशन के साथ प्रसव से जन्म लेने वाले बच्चों में डाउन सिंड्रोम की दिक्कतें होती हैं. इसके अलावा कई मामलों में पेट में ही बच्चों की मौत, प्रसूता में हाई ब्लड प्रेशर, डिलीवरी के बाद भी ब्लीडिंग और डायबिटीज होना पाया जा रहा है.

Ref. https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC2729989/

डिस्कलेमर: यहां दी गई जानकारी और सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप डॉक्टर/एक्सपर्ट की सलाह लें.

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डॉ. शाहीन ने बताया कि एक चौंकाने वाले नतीजे में पाया गया कि देर से शादी करने वाली महिलाओं में समय से पहले प्रसव, प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर ब्लीडिंग (रक्तस्राव) का जोखिम अधिक होता है. इसके अलावा, देर से शादी करने वाली महिलाओं में IUGR (अंतर्गर्भाशयी विकास मंदता) का जोखिम अधिक होता है.

LATE PREGNANCY SIDE EFFECTS AND PREGNANCY AT OLDER AGE TROUBLESOME FOR WOMEN CHILD
देर से प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं और उनके बच्चे को हो सकते हैं गंभीर खतरे! (ETV Bharat)

आलम यह है कि 100 गर्भवतियों में से 25 की उम्र 30 से 35 के बीच हो रही है और आज ये गायनी विशेषज्ञों (Gynecologist) के लिए चिंता का विषय है. इसके साथ ही अब 35 से 40 के बीच प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं की संख्या और परेशानी दोनों बढ़ रही है, क्योंकि इस उम्र में मां बनना भी किसी जोखिम से कम नहीं है. ज्यादातर मामलों में कंसीव न होने पर IVF का सहारा लेना पड़ रहा है, जिसकी हाई रिस्क डिलीवरी होती है. इसको लेकर जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में एक अध्ययन किया गया, जिसमें बढ़ती उम्र में मां बनने वाली महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी सामने आई है.

LATE PREGNANCY SIDE EFFECTS AND PREGNANCY AT OLDER AGE TROUBLESOME FOR WOMEN CHILD
डॉ. रिजवाना शाहीन, गाइनी विभागाध्यक्ष, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज (ETV Bharat)

35 की उम्र में प्रेग्नेंट होना परेशानियों भरा : मारवाड़ में मातृ उपचार के सबसे बड़े केंद्र उम्मेद अस्पताल में आठ माह में 35 से 40 की उम्र की 400 से ज्यादा गर्भवती जो एंटी नेटल चेकअप के लिए रजिस्टर्ड हुई हैं, इनको नियमित जांच की सलाह दी गई है,जिससे उन्हें भविष्य की परेशानियों से बचाया जा सके. Dr. SN Medical College की गाइनी विभागाध्यक्ष डॉ रिजवाना शाहीन ने बताया कि 35 की उम्र में शादी करने के बाद गर्भवती होना परेशानियों भरा है. इस एज-ग्रुप में इनफर्टिलिटी भी बढ़ रही है और ज्यादातर मामले अबॉर्शन के ही होते हैं.

परिवार का सपोर्ट बेहद जरूरी : Dr. Rizwana Shaheen का कहना है कि महिलाओं को करियर और फैमेली के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है. इसके लिए जरूरी है कि उन्हें परिवार का सपोर्ट मिले, जो उनको समझा सके कि परिवार बच्चे के पालन-पोषण में उनकी मदद करेगा. इससे पेशेवर महिलाएं अपने काम प्रभावित होने की किसी आशंका से मुक्त होंगी. इसी तरह से समाज में बदलाव आ सकता है.साथ ही अधिक उम्र में गर्भधारण की समस्या से भी काफी हद तक निजात पाई जा सकती है.

ये परेशानियां स्टडी में सामने आई : Gynecologist Dr. Rizwana Shaheen के मार्गदर्शन में हुए इस अध्ययन में सामने आया कि 35-40 की उम्र में गर्भधारण अब बढ़ने लगी है और ऐसे मामले 6 से 7 प्रतिशत तक बढ़े हैं. साथ ही आने वाले समय में इसके और अधिक बढ़ने की उम्मीद है.अध्ययन के अनुसार इस उम्र में कंसीव होने के बाद प्रसव तक बहुत सारे कांपलीकेशन होते हैं. इनमें खास तौर से वर्क प्रेशर और टेंशन के साथ प्रसव से जन्म लेने वाले बच्चों में डाउन सिंड्रोम की दिक्कतें होती हैं. इसके अलावा कई मामलों में पेट में ही बच्चों की मौत, प्रसूता में हाई ब्लड प्रेशर, डिलीवरी के बाद भी ब्लीडिंग और डायबिटीज होना पाया जा रहा है.

Ref. https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC2729989/

डिस्कलेमर: यहां दी गई जानकारी और सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप डॉक्टर/एक्सपर्ट की सलाह लें.

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Last Updated : Oct 20, 2024, 11:09 AM IST
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