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देर से प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं और उनके बच्चे को हो सकते हैं गंभीर खतरे, हॉस्पिटल की रिसर्च ने बजाई खतरे की घंटी

Late Pregnancy Effects: एक भारतीय अस्पताल के अध्ययन में सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई. इस उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना परेशानियों भरा है.

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By ETV Bharat Health Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

LATE PREGNANCY SIDE EFFECTS AND PREGNANCY AT OLDER AGE TROUBLESOME FOR WOMEN CHILD
देर से प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं और उनके बच्चे को हो सकते हैं गंभीर खतरे! (ETV Bharat)

Late Pregnancy Effects : बढ़ती उम्र में मां बनना खुद के लिए परेशानी भरा होता है. साथ ही संतान के लिए भी ये बड़ा खतरा साबित हो सकता है. तनाव और डिप्रेशन के साथ काम करने वाली महिलाएं जब इस उम्र में मां बनती हैं तो उसका असर साफ तौर पर बच्चे में दिखाई देता है. कई बार तो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे जन्म लेते हैं. दरअसल, ये सब महिलाओं के वर्किंग के साथ सही समय पर फैमिली प्लानिंग न होने के कारण हो रहा है. आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल रही महिलाएं बढ़ती उम्र में मां बनने का रिस्क ले रही हैं. सामान्य तौर पर डॉक्टर्स का मानना है कि 30 की उम्र तक फैमेली प्लानिंग हो जानी चाहिए, लेकिन बदलते दौर में इस उम्र तक सैटल होने की चिंता के चलते पति-पत्नी देर से बच्चा प्लान कर रहे है.

डॉ. रिजवाना शाहीन, गाइनी विभागाध्यक्ष, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज (ETV Bharat)

आलम यह है कि 100 गर्भवतियों में से 25 की उम्र 30 से 35 के बीच हो रही है और आज ये गायनी विशेषज्ञों (Gynecologist) के लिए चिंता का विषय है. इसके साथ ही अब 35 से 40 के बीच प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं की संख्या और परेशानी दोनों बढ़ रही है, क्योंकि इस उम्र में मां बनना भी किसी जोखिम से कम नहीं है. ज्यादातर मामलों में कंसीव न होने पर IVF का सहारा लेना पड़ रहा है, जिसकी हाई रिस्क डिलीवरी होती है. इसको लेकर जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में एक अध्ययन किया गया, जिसमें बढ़ती उम्र में मां बनने वाली महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी सामने आई है.

LATE PREGNANCY SIDE EFFECTS AND PREGNANCY AT OLDER AGE TROUBLESOME FOR WOMEN CHILD
देर से प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं और उनके बच्चे को हो सकते हैं गंभीर खतरे! (ETV Bharat)

इसे भी पढ़ें - इन समस्याओं का कारण बन सकता है गर्भावस्था में थायराइड - Thyroid during pregnancy

35 की उम्र में प्रेग्नेंट होना परेशानियों भरा : मारवाड़ में मातृ उपचार के सबसे बड़े केंद्र उम्मेद अस्पताल में आठ माह में 35 से 40 की उम्र की 400 से ज्यादा गर्भवतियां जो एंटी नेटल चेकअप के लिए रजिस्टर्ड हुई हैं. इनको नियमित जांच की सलाह दी गई है, जिससे उन्हें भविष्य की परेशानियों से बचाया जा सके. डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज की गाइनी विभागाध्यक्ष डॉ. रिजवाना शाहीन ने बताया कि 35 की उम्र में शादी करने के बाद प्रेग्नेंट होना परेशानियों भरा है. इस एज ग्रुप में इनफर्टिलिटी भी बढ़ रही है और ज्यादातर मामले अबॉर्शन के ही होते हैं.

LATE PREGNANCY SIDE EFFECTS AND PREGNANCY AT OLDER AGE TROUBLESOME FOR WOMEN CHILD
उम्मेद अस्पताल (ETV Bharat)

बेहद जरूरी है परिवार का सपोर्ट : Dr. Rizwana Shaheen का कहना है कि महिलाओं को करियर और फैमेली के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है. इसके लिए जरूरी है कि उन्हें परिवार का सपोर्ट मिले, जो उनको समझा सके कि वे बच्चे के पालन-पोषण में उनकी मदद करेंगे. इससे पेशेवर महिलाएं अपने काम के प्रभावित होने की आशंका से मुक्त होंगी. इसी तरह से समाज में बदलाव लाया जा सकता है. साथ ही अधिक उम्र में प्रेग्नेंसी की समस्या से भी काफी हद तक निजात पाई जा सकती है.

स्टडी में सामने आई ये परेशानियां : Gynecologist Dr. Rizwana Shaheen के निर्देशन में हुई इस स्टडी में सामने आया कि 35 से 40 की उम्र में प्रेग्नेंसी अब बढ़ने लगी है और ऐसे मामले 6 से 7 प्रतिशत तक बढ़े हैं. साथ ही आने वाले समय में इसके और अधिक बढ़ने की उम्मीद है. स्टडी के अनुसार इस उम्र में कंसीव होने के बाद डिलीवरी तक बहुत सारे कांपलीकेशन होते हैं. इनमें खास तौर से वर्क प्रेशर और टेंशन के साथ डिलीवरी से जन्म लेने वाले बच्चों में डाउन सिंड्रोम की दिक्कतें होती हैं. इसके अलावा कई मामलों में पेट में ही बच्चों की मौत और डिलीवरी के बाद भी ब्लीडिंग, प्रसूता में हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज होना पाया जा रहा है.

डिस्कलेमर: यहां दी गई जानकारी और सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप डॉक्टर/एक्सपर्ट की सलाह लें.

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गले मे होने वाला दर्द-खराश का कारण एलर्जी नहीं, पेट की ये समस्या हो सकती है, खुद से इलाज पड़ सकता है भारी

Late Pregnancy Effects : बढ़ती उम्र में मां बनना खुद के लिए परेशानी भरा होता है. साथ ही संतान के लिए भी ये बड़ा खतरा साबित हो सकता है. तनाव और डिप्रेशन के साथ काम करने वाली महिलाएं जब इस उम्र में मां बनती हैं तो उसका असर साफ तौर पर बच्चे में दिखाई देता है. कई बार तो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे जन्म लेते हैं. दरअसल, ये सब महिलाओं के वर्किंग के साथ सही समय पर फैमिली प्लानिंग न होने के कारण हो रहा है. आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल रही महिलाएं बढ़ती उम्र में मां बनने का रिस्क ले रही हैं. सामान्य तौर पर डॉक्टर्स का मानना है कि 30 की उम्र तक फैमेली प्लानिंग हो जानी चाहिए, लेकिन बदलते दौर में इस उम्र तक सैटल होने की चिंता के चलते पति-पत्नी देर से बच्चा प्लान कर रहे है.

डॉ. रिजवाना शाहीन, गाइनी विभागाध्यक्ष, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज (ETV Bharat)

आलम यह है कि 100 गर्भवतियों में से 25 की उम्र 30 से 35 के बीच हो रही है और आज ये गायनी विशेषज्ञों (Gynecologist) के लिए चिंता का विषय है. इसके साथ ही अब 35 से 40 के बीच प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं की संख्या और परेशानी दोनों बढ़ रही है, क्योंकि इस उम्र में मां बनना भी किसी जोखिम से कम नहीं है. ज्यादातर मामलों में कंसीव न होने पर IVF का सहारा लेना पड़ रहा है, जिसकी हाई रिस्क डिलीवरी होती है. इसको लेकर जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में एक अध्ययन किया गया, जिसमें बढ़ती उम्र में मां बनने वाली महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी सामने आई है.

LATE PREGNANCY SIDE EFFECTS AND PREGNANCY AT OLDER AGE TROUBLESOME FOR WOMEN CHILD
देर से प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं और उनके बच्चे को हो सकते हैं गंभीर खतरे! (ETV Bharat)

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35 की उम्र में प्रेग्नेंट होना परेशानियों भरा : मारवाड़ में मातृ उपचार के सबसे बड़े केंद्र उम्मेद अस्पताल में आठ माह में 35 से 40 की उम्र की 400 से ज्यादा गर्भवतियां जो एंटी नेटल चेकअप के लिए रजिस्टर्ड हुई हैं. इनको नियमित जांच की सलाह दी गई है, जिससे उन्हें भविष्य की परेशानियों से बचाया जा सके. डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज की गाइनी विभागाध्यक्ष डॉ. रिजवाना शाहीन ने बताया कि 35 की उम्र में शादी करने के बाद प्रेग्नेंट होना परेशानियों भरा है. इस एज ग्रुप में इनफर्टिलिटी भी बढ़ रही है और ज्यादातर मामले अबॉर्शन के ही होते हैं.

LATE PREGNANCY SIDE EFFECTS AND PREGNANCY AT OLDER AGE TROUBLESOME FOR WOMEN CHILD
उम्मेद अस्पताल (ETV Bharat)

बेहद जरूरी है परिवार का सपोर्ट : Dr. Rizwana Shaheen का कहना है कि महिलाओं को करियर और फैमेली के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है. इसके लिए जरूरी है कि उन्हें परिवार का सपोर्ट मिले, जो उनको समझा सके कि वे बच्चे के पालन-पोषण में उनकी मदद करेंगे. इससे पेशेवर महिलाएं अपने काम के प्रभावित होने की आशंका से मुक्त होंगी. इसी तरह से समाज में बदलाव लाया जा सकता है. साथ ही अधिक उम्र में प्रेग्नेंसी की समस्या से भी काफी हद तक निजात पाई जा सकती है.

स्टडी में सामने आई ये परेशानियां : Gynecologist Dr. Rizwana Shaheen के निर्देशन में हुई इस स्टडी में सामने आया कि 35 से 40 की उम्र में प्रेग्नेंसी अब बढ़ने लगी है और ऐसे मामले 6 से 7 प्रतिशत तक बढ़े हैं. साथ ही आने वाले समय में इसके और अधिक बढ़ने की उम्मीद है. स्टडी के अनुसार इस उम्र में कंसीव होने के बाद डिलीवरी तक बहुत सारे कांपलीकेशन होते हैं. इनमें खास तौर से वर्क प्रेशर और टेंशन के साथ डिलीवरी से जन्म लेने वाले बच्चों में डाउन सिंड्रोम की दिक्कतें होती हैं. इसके अलावा कई मामलों में पेट में ही बच्चों की मौत और डिलीवरी के बाद भी ब्लीडिंग, प्रसूता में हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज होना पाया जा रहा है.

डिस्कलेमर: यहां दी गई जानकारी और सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप डॉक्टर/एक्सपर्ट की सलाह लें.

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