हैदराबाद: देश में गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. कई राज्यों में पारा 50 डिग्री सेल्सियस के पास पहुंच गया है, वहीं राजधानी दिल्ली के एक इलाके में तो पारा 50 डिग्री के भी पार चला गया. ऐसे में अपनी सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. वैसे तो प्रयास यही करना चाहिए कि दिन के समय घर से बाहर न निकला जाए, लेकिन अगर बहुत जरूरी हो तो बाहर निकलने पर बेहद सावधानी बरतनी चाहिए.
यहां हम आपको इन्हीं सावधानियों के बारे में बताने जा रहे हैं. लेकिन उससे पहले यह जान लेते हैं कि अत्यधिक गर्मी का हमारे शरीर पर क्या असर पड़ता है. ध्यान देने वाली बात यह है कि गर्मी का असर हमारे शरीर के बहुत अहम हिस्सों पर पड़ता है, जिनमें मस्तिष्क, हृदय, त्वचा और किडनी जैसे अंग शामिल हैं.
शारीरिक अंगों पर क्या होता है असर: सूरज की तेज रोशनी सबसे पहले हमारी त्वचा पर पड़ती है और उसे ही प्रभावित करती है. शरीर पर तेज धूप पड़ने से हमारे शरीर का तापमान बढ़ने लगता है, जिससे हमारी त्वचा पर लाल चकत्ते और रैशेज़ हो जाते हैं. वहीं सिर पर सीधी धूप पड़ने से इसका असर हमारे मस्तिष्क पर भी पड़ता है.
धूप में ज्यादा देर रहने पर हमारे शरीर से अत्यधिक पसीना निकलता है, जिससे हमारे शरीर में सोडियम और पोटेशियम की मात्रा कम होने लगती है. ये दोनों तत्व हमारे शरीर में सिग्नल सिस्टम को चलाने का काम करते हैं. इनकी कमी से चक्कर आना, सिर दर्द, माइग्रेन और मतिभ्रम जैसी समस्याएं होने लगती हैं.
हार्ट और फेफड़ों पर भी बुरा असर: अत्यधिक गर्मी का असर हमारे हार्ट और फेफड़ों पर भी होता है. हार्ट की बात करें तो इसका काम हमारे शरीर के ठंडे खून को हमारे इंटर्नल ऑर्गेन्स तक पहुंचना और गर्म खून को हमारी त्वचा की निचली सतह तक पहुंचाना होता है. ज्यादा गर्मी होने पर हार्ट इस काम को तेजी से करने लगता है और तेजी से धड़कता है. ऐसे में खून की कमी से ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और हीट स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है.
वहीं फेफड़ों की बात करें तो इनका काम हमारे शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाना होता है. अत्यधिक गर्म वातावरण में सांस लेने पर शरीर का कोर गर्म हो जाता है, जिसकी वजह से शरीर को ठंडा होने में समय लगता है. वहीं अगर ज्यादा समय तक शरीर ठंडा नहीं होता है, तो हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.
सामान्य तापमान से कितनी ऊपर हो सकती है मौत: ये तो आपको पता ही होगा कि इंसानी शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेल्सियस यानी 98.6 फॉरेनहाइट होता है. लेकिन जब शरीर का तापमान इससे ज्यादा होता है, तभी हमें समस्या होना शुरू होती है. लेकिन एक समय ऐसा आता है कि इंसान की मौत हो जाती है.
- 37 डिग्री: यह शरीर का सामान्य तापमान होता है.
- 38 डिग्री: इस स्तर पर हमें गर्मी लगती है, प्यास ज्यादा लगती है और पसीना खूब आता है.
- 39 डिग्री: इस तापमान पर हमारी हार्ट रेट तेज हो जाती है और ब्लड प्रेशर, अधिक पसीना, सांस लेने में समस्या और हार्ट में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है.
- 40 डिग्री: इस स्तर पर आपके शरीर में पानी की कमी होने लगती है, जिससे किडनी पर दबाव पड़ने लगता है. इसके अलावा डीहाइड्रेशन, चक्कर आना, कमजोरी, सोडियम और पोटैशियम की कमी और सिरदर्द जैसी समस्याएं होती हैं.
- 41 डिग्री: इस स्टेज पर स्थिति और ज्यादा खतरनाक हो जाती है और हमारे शरीर में मतिभ्रम, मसल क्रैम्प, जी मिचलाना और थकान की समस्या होने लगती है.
- 42 डिग्री: स्थिति और बिगड़ती है और इस तापमान पर अत्यधिक मतिभ्रम होता है और बेहोशी छाने लगती है.
- 43 डिग्री: इस स्टेज पर हमारा दिमाग काम करना बंद कर देता है और ब्रेन शॉक या गंभीर ब्रेन डैमेज होता है.
- 44 डिग्री: इस तापमान पर इंसान की मौत हो जाती है.
तो गर्मी से बचने के लिए क्या रखें सावधानी: गर्मी से बचने के लिए आपको बहुत ही आसान से उपाय करने होते हैं और आप गर्मी के प्रकोप से बच सकते हैं. तो चलिए देखते हैं इन उपायों को...
- गर्मी में आपको प्यास लगने का इंतजार नहीं करना चाहिए और बार-बार पानी पीते रहना चाहिए.
- धूप में बाहर न निकलें और अगर बहुत जरूरी हो तो सिर और कान को ढककर ही बाहर निकलें.
- बाहर निकलने पर पानी हमेशा अपने साथ रखें और थोड़ी-थोड़ी देर पर पीते रहें.
- अगर पानी साथ न हो तो नारियल पानी का सेवन करें. कोल्ड ड्रिंक या सॉफ्ट ड्रिंक्स का इस्तेमाल न करें. इनसे शरीर डीहाइड्रेट ज्यादा होता है.
बुजुर्गों को इन बातों का रखना चाहिए ध्यान: यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जहां सर्दियों में बुजुर्गों को अपना खास ध्यान रखना होता है, वहीं गर्मियों में भी उन्हें अपना बहुत ध्यान रखाना होता है. तो अत्यधिक गर्मी में बुजुर्गों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
- दिनभर में एक से ज्यादा कप चाय या कॉफी नहीं पीनी चाहिए. भले ही आप AC या कूलर में रहते हों, इसके बावजूद ज्यादा कॉफी या चाय का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये दोनों ही हमारे शरीर को डीहाइड्रेट करते हैं.
- अपने खानपान को बहुत ही लाइट रखना चाहिए, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि भूखे भी नहीं रहना है. अपनी डाइट में एक मौसमी फल को भी शामिल करना चाहिए.
- दिन में एक-दो बार सौंफ का पानी पीना चाहिए.
- अगर 70 साल से अधिक उम्र के हैं तो हर रोज शरीर का तापमान मापना चाहिए, जिससे मसल क्रैंप्स से बचाव किया जा सके.
- अगर आप वॉक पर जाते हैं, तो इसके लिए सही समय सुबह 8 बजे से पहले या रात 8 बजे के बाद का है.
(नोट: इस वेबसाइट पर आपको प्रदान किए गए सभी स्वास्थ्य संबंधित सुझाव केवल जानकारी के लिए है. हम यह केवल वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि डॉक्टर से उचित परामर्श ले लें.)