नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य दिवस, हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाता है. इस वर्ष की थीम 'मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार' है, जिसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच पाने के लिए हर जगह, हर किसी के अधिकार के लिए काम करना है.
नारायण हेल्थ के संस्थापक व अध्यक्ष प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. देवी शेट्टी ने विश्व स्वास्थ्य दिवस से पहले शनिवार को कहा कि भले ही गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के मामले काफी बढ़ रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य सेवा उद्योग के साथ-साथ व्यक्तियों का ध्यान 'पहले रोकथाम' पर होना चाहिए.
एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए डॉ. शेट्टी ने कहा कि निवारक स्वास्थ्य देखभाल उपायों में अधिक निवेश करने की जरूरत है. भले ही भारत में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के मामले काफी बढ़ रहे हैं, खासकर युवाओं में.
इस दौरान उन्होंने कहा कि अस्पतालों का डिजाइन इतनी बुरी तरह से किया गया है कि कोई मरीज न हो तो उस इमारत में जाना पसंद नहीं करेगा. इसलिए, हमें अस्पताल के बाहर एक अलग तरह का दृष्टिकोण बनाने की जरूरत है. डॉक्टर ने कहा, 'यह स्वास्थ्य सेवा उद्योग के लिए निवारक उपायों पर अधिक जोर देने, सक्रिय स्वास्थ्य प्रबंधन को बढ़ावा देने और स्वस्थ कल के लिए व्यक्तियों को सशक्त बनाने का समय है.'
हृदय रोग विशेषज्ञ ने कहा, स्वास्थ्य सेवा उद्योग के अलावा, यहां तक कि व्यक्तियों को भी 'पहले रोकथाम' की मानसिकता के साथ रहना चाहिए. खासकर भारत में. 'आज, जैसा कि हम विश्व स्वास्थ्य दिवस मना रहे हैं, हम एक कठोर वास्तविकता का सामना कर रहे हैं:
'गैर-संचारी रोग (एनसीडी) ) भारत में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी समस्याएं और कैंसर के साथ चौंका देने वाली 65 प्रतिशत जिंदगियों का दावा करते हैं. अधिक चिंताजनक बात यह है कि हमारे युवाओं में इन बीमारियों का बढ़ना अक्सर शुरुआती जांच और जागरूकता की कमी के कारण होता है.' उन्होंने कहा, 'समय की मांग 'पहले रोकथाम' की मानसिकता है.'
इस पर जोर देते हुए शीघ्र जांच की आवश्यकता, उन्होंने स्वास्थ्य सेवा उद्योग से केवल देखभाल पर नहीं बल्कि निवारक उपायों पर अधिक ध्यान देने का भी आह्वान किया. डॉक्टर ने समझाया कि रोकथाम केवल एक विकल्प नहीं बल्कि स्वस्थ जीवन के लिए एक 'आवश्यकता' होनी चाहिए.
शरीर को भय से नहीं, बल्कि दैनिक देखभाल के प्रति प्रतिबद्धता से उत्पन्न होना चाहिए. उन्होंने न्यूज एजेंसी से कहा, निवारक स्वास्थ्य देखभाल उपायों में निवेश करना सिर्फ एक विकल्प नहीं है, बल्कि यह एक आवश्यकता है जो हमारे भविष्य में बीमारियों के बोझ को काफी हद तक कम कर देगा.