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गैस व एसिडिटी से राहत दिला सकती है इलाज की ये विधा - Gas acidity

Gas acidity : गैस, ब्लोटिंग और एसिडिटी की समस्या की हर उम्र के लोगों में नजर आने वाली एक आम समस्या है. जिसका इलाज सभी चिकित्सा विधाओं में किया जाता है. विशेषतौर पर नेचुरोपैथी की बात करें तो इस विधा के जानकार बताते हैं की पाचन संबंधी समस्याओं से बचाव व परेशानियों में राहत दिलाने में नेचुरोपैथी काफी कारगर रहती हैं. वहीं इसमें बताए गए तरीकों व नुस्खों के शरीर पर पार्श्वप्रभाव भी नहीं पड़ते हैं. Naturopathy , Gas , acidity , bloating ,

Gas acidity can be treated with Naturopathy
गैस एसिडिटी ब्लोटिंग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 4, 2024, 7:50 AM IST

Updated : May 4, 2024, 12:35 PM IST

हैदराबाद : सीने में जलन या एसिडिटी की समस्या आजकल हर उम्र के लोगों में बहुत आम है. खासतौर पर गर्मी के मौसम में लोगों में पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याएं बढ़ जाती हैं. जानकार बताते हैं कि गर्मी के मौसम में एक तो वैसे ही पेट की गर्मी बढ़ जाती उस पर यदि आहार में थोड़ी भी गड़बड़ी हो जाए तो पाचन पर असर पड़ने लगता है, जो एसिडिटी व अन्य समस्याओं का कारण बन जाता है. वैसे तो बाजार में इन समस्याओं से राहत दिलाने में मददगार कई प्रकार के एंटासिड मिलते हैं, लेकिन कई शोध तथा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि कुछ विशेष प्रकार के एन्टासिड के पार्श्व प्रभाव भी नजर आ सकते हैं. लेकिन नेचुरोपेथी के जानकार बताते हैं कि एसिडिटी या पाचन से जुड़ी कई समस्याओं में यह चिकित्सा विधा काफी कारगर अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित नतीजे देती है.

क्यों होती है एसिडिटी : इंदौर मध्य प्रदेश की प्राकृतिक चिकित्सक तथा आहार विशेषज्ञ डॉ आरती परमार बताती हैं कि एसिडिटी पाचन से जुड़ी एक बहुत ही आम समस्या है, जो कई बार पाचन प्रणाली में खाना पचाने वाले एसिड की मात्रा के जरूरत से ज्यादा बढ़ जाने के कारण हो जाती है. वहीं यदि एसिडिटी ज्यादा बढ़ने लगे तो पीड़ितों को कई कम या ज्यादा गंभीर व परेशान करने वाली समस्याएं महसूस होने लगती हैं. वह बताती हैं कि एसिडिटी के कारणों की बात करें तो उनमें से कुछ खास इस प्रकार हैं.

  1. अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदतें जैसे जंक फूड, फास्ट फूड तथा ज्यादा तेल वाले व मसालेदार आहार का सेवन.
  2. ऐसे आहार का सेवन करना जिसमें पोषक तत्वों विशेषकर फाइबर की कमी होती है.
  3. कभी भी किसी भी समय किसी भी प्रकार का आहार खाना.
  4. लेटकर भोजन करना या खाने के तुरंत बाद सो जाना या लेट जाना.
  5. सोने व जागने के समय से जुड़े अनुशासन में कमी तथा कम मात्रा में सोना.
  6. व्यायाम ना करना तथा असक्रिय दिनचर्या व जीवन शैली का पालन करना.
  7. ज्यादा मात्रा में धूम्रपान, शराब और कैफीन का सेवन करना.
  8. तनाव.
  9. किसी रोग या दवा के पार्श्व प्रभाव के कारण, आदि.
Gas acidity can be treated with Naturopathy
गैस एसिडिटी ब्लोटिंग (ETV Bharat)

एसिडिटी के लक्षण

  1. वह बताती हैं कि एसिडिटी की समस्या होने पर गैस और पेट फूलने सहित बहुत से अन्य लक्षण भी नजर आने लगते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
  2. पेट के ऊपरी व निचले हिस्से में तथा कई बार छाती में दर्द और जलन होना.
  3. पेट हमेशा भरा हुआ महसूस होना.
  4. डकार के साथ उल्टी या मतली का अनुभव होना.
  5. मुंह में लंबे समय तक खट्टा या कड़वा स्वाद बने रहना.
  6. कब्ज तथा अपच होना.
  7. हिचकी आना.
  8. बदबूदार सांस, आदि.

कैसे करें बचाव : डॉ आरती परमार बताती हैं कि नेचुरोपैथी में ऐसी समस्याओं से बचाव के लिए आहार व जीवन शैली में अनुशासन व संतुलन बनाए रखने की बात कही जाती है. इसके साथ ही नियमित आहार में तथा कभी-कभी नुस्खों के रूप में औषधीय गुणों वाले कुछ खाद्य पदार्थों, मसालों तथा पौधों व पत्तियों के सेवन की सलाह दी जाती है.

वह बताती हैं कि ऐसे लोग जिन्हे नियमित रूप से गैस या एसिडिटी की समस्या रहती है उन्हे अपने आहार पर ध्यान देने के साथ अपनी नियमित खानपान की दिनचर्या में अजवाइन, तुलसी, पुदीना, जीरा, सौंफ, लौंग तथा इलायची जैसे मसालों को शामिल करना चाहिए. जो ना सिर्फ शरीर में पाचक एंजाइम बढ़ाने में मदद करते हैं बल्कि इनमें मौजूद कूलिंग इफेक्ट एसिडिटी के कारण पेट में होने वाली जलन व दर्द को शांत करने में भी मदद करते हैं.

इसके अलावा यदि कभी पेट में गैस ज्यादा बन रही हो, उसके कारण दर्द या जलन हो, पेट फूला हुआ लग रहा हो या फिर खट्टी डकार आ रही हों तो कुछ नुस्खे काफी लाभकारी हो सकते हैं, जैसे

  1. पुदीने का सत् पानी में मिलकर पिएं या पुदीने की पत्तियों को उबालकर उसका पानी पिए.
  2. सौंफ या जीरा को रात भर पानी में भिगोकर सुबह उस पानी को पिएं
  3. पानी में सौंफ व इलायची को उबालकर उसका पानी पिएं .
  4. तुलसी के पत्ते चबाएं या पानी में उसे उबाल कर पिएं .
  5. पेट में दर्द होने पर या प्रतिदिन भोजन करने के बास आधा चम्मच अजवायन में 2 चुटकी काला नमक डाल कर पहले उसे थोड़ी देर चबाएं तथा फिर उसे हल्के गुनगुने पानी से निगल लें.
  6. आहार में कम मात्रा में ही सही लेकिन हींग तथा लौंग का उपयोग करें.
  7. भोजन के बाद भुने हुए तथा हल्के दरदरे पिसे जीरे को एक गिलास गुनगुने पानी में डालकर उसका सेवन करें.
  8. दिन में कभी भी ज्यादा ठंडे या फ्रिज वाले पानी का सेवन करने से बचें.

वह बताती हैं की इसके अलावा कुछ सावधानियां भी है जिनका ध्यान रखकर एसिडिटी की समस्या में कुछ हद तक राहत मिल सकती है. जैसे

  1. मसालेदार ज्यादा, तेल वाले गरिष्ठ भोजन या किसी भी ऐसे भोजन का सेवन करने से बचे जिन्हें पचाने में पाचन तंत्र को ज्यादा मेहनत लगती है.
  2. जरूरी अंतराल के बाद तथा नाश्ते, दिन के खाने तथा रात के खाने के लिए बताए जाने वाले आदर्श समय पर भी भोजन करें.
  3. सिर्फ गर्मियों में ही नहीं बल्कि हर मौसम में शरीर के लिए जरूरी मात्रा में पानी पिए. इसके साथ आहार में तरल पदार्थों जैसे ताजे फलों के जूस, नारियल पानी, दही छाछ व लस्सी आदि को भी शामिल कर सकते हैं.
  4. ऐसे लोगों जिन्हे दही, उससे बनने वाले पदार्थों या ज्यादा खट्टे फलों या उनके जूस से एसिडिटी की समस्या होती हो उन्हें उनके सेवन से बचना चाहिए.
  5. रात के भोजन और सोने के बीच कम से कम 2 घंटे का अंतराल जरूर रखें.
  6. हमेशा रात में समय पर सोये, सुबह समय पर जागे, रात में आयु अनुसार कम से कम 6 से 8 घंटे की नींद जरूर लें.
  7. सक्रिय तथा व्यायाम युक्त दिनचर्या का पालन करें.
  8. जहां तक संभव हो शराब, धूम्रपान, बहुत ज्यादा चाय-कॉफी-कोल्ड ड्रिंक के सेवन बचें.
  9. यदि किसी रोग या अवस्था का एलोपैथिक इलाज चल रहा हो तो एसिडिटी को लेकर चिकित्सक की सलाह का पालन करें.

डॉ आरती परमार बताती हैं कि यदि किसी व्यक्ति में एसिडिटी या पाचन से जुड़ी अन्य समस्याएं कुछ ज्यादा ही प्रभाव दिखाने लगे या लंबे समय तक नजर आने लगे तो पीड़ित को बिना समय गवाएं चिकित्सक से जांच व इलाज करवानी चाहिए. Naturopathy , Gas , acidity , bloating , Gas acidity

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हैदराबाद : सीने में जलन या एसिडिटी की समस्या आजकल हर उम्र के लोगों में बहुत आम है. खासतौर पर गर्मी के मौसम में लोगों में पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याएं बढ़ जाती हैं. जानकार बताते हैं कि गर्मी के मौसम में एक तो वैसे ही पेट की गर्मी बढ़ जाती उस पर यदि आहार में थोड़ी भी गड़बड़ी हो जाए तो पाचन पर असर पड़ने लगता है, जो एसिडिटी व अन्य समस्याओं का कारण बन जाता है. वैसे तो बाजार में इन समस्याओं से राहत दिलाने में मददगार कई प्रकार के एंटासिड मिलते हैं, लेकिन कई शोध तथा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि कुछ विशेष प्रकार के एन्टासिड के पार्श्व प्रभाव भी नजर आ सकते हैं. लेकिन नेचुरोपेथी के जानकार बताते हैं कि एसिडिटी या पाचन से जुड़ी कई समस्याओं में यह चिकित्सा विधा काफी कारगर अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित नतीजे देती है.

क्यों होती है एसिडिटी : इंदौर मध्य प्रदेश की प्राकृतिक चिकित्सक तथा आहार विशेषज्ञ डॉ आरती परमार बताती हैं कि एसिडिटी पाचन से जुड़ी एक बहुत ही आम समस्या है, जो कई बार पाचन प्रणाली में खाना पचाने वाले एसिड की मात्रा के जरूरत से ज्यादा बढ़ जाने के कारण हो जाती है. वहीं यदि एसिडिटी ज्यादा बढ़ने लगे तो पीड़ितों को कई कम या ज्यादा गंभीर व परेशान करने वाली समस्याएं महसूस होने लगती हैं. वह बताती हैं कि एसिडिटी के कारणों की बात करें तो उनमें से कुछ खास इस प्रकार हैं.

  1. अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदतें जैसे जंक फूड, फास्ट फूड तथा ज्यादा तेल वाले व मसालेदार आहार का सेवन.
  2. ऐसे आहार का सेवन करना जिसमें पोषक तत्वों विशेषकर फाइबर की कमी होती है.
  3. कभी भी किसी भी समय किसी भी प्रकार का आहार खाना.
  4. लेटकर भोजन करना या खाने के तुरंत बाद सो जाना या लेट जाना.
  5. सोने व जागने के समय से जुड़े अनुशासन में कमी तथा कम मात्रा में सोना.
  6. व्यायाम ना करना तथा असक्रिय दिनचर्या व जीवन शैली का पालन करना.
  7. ज्यादा मात्रा में धूम्रपान, शराब और कैफीन का सेवन करना.
  8. तनाव.
  9. किसी रोग या दवा के पार्श्व प्रभाव के कारण, आदि.
Gas acidity can be treated with Naturopathy
गैस एसिडिटी ब्लोटिंग (ETV Bharat)

एसिडिटी के लक्षण

  1. वह बताती हैं कि एसिडिटी की समस्या होने पर गैस और पेट फूलने सहित बहुत से अन्य लक्षण भी नजर आने लगते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
  2. पेट के ऊपरी व निचले हिस्से में तथा कई बार छाती में दर्द और जलन होना.
  3. पेट हमेशा भरा हुआ महसूस होना.
  4. डकार के साथ उल्टी या मतली का अनुभव होना.
  5. मुंह में लंबे समय तक खट्टा या कड़वा स्वाद बने रहना.
  6. कब्ज तथा अपच होना.
  7. हिचकी आना.
  8. बदबूदार सांस, आदि.

कैसे करें बचाव : डॉ आरती परमार बताती हैं कि नेचुरोपैथी में ऐसी समस्याओं से बचाव के लिए आहार व जीवन शैली में अनुशासन व संतुलन बनाए रखने की बात कही जाती है. इसके साथ ही नियमित आहार में तथा कभी-कभी नुस्खों के रूप में औषधीय गुणों वाले कुछ खाद्य पदार्थों, मसालों तथा पौधों व पत्तियों के सेवन की सलाह दी जाती है.

वह बताती हैं कि ऐसे लोग जिन्हे नियमित रूप से गैस या एसिडिटी की समस्या रहती है उन्हे अपने आहार पर ध्यान देने के साथ अपनी नियमित खानपान की दिनचर्या में अजवाइन, तुलसी, पुदीना, जीरा, सौंफ, लौंग तथा इलायची जैसे मसालों को शामिल करना चाहिए. जो ना सिर्फ शरीर में पाचक एंजाइम बढ़ाने में मदद करते हैं बल्कि इनमें मौजूद कूलिंग इफेक्ट एसिडिटी के कारण पेट में होने वाली जलन व दर्द को शांत करने में भी मदद करते हैं.

इसके अलावा यदि कभी पेट में गैस ज्यादा बन रही हो, उसके कारण दर्द या जलन हो, पेट फूला हुआ लग रहा हो या फिर खट्टी डकार आ रही हों तो कुछ नुस्खे काफी लाभकारी हो सकते हैं, जैसे

  1. पुदीने का सत् पानी में मिलकर पिएं या पुदीने की पत्तियों को उबालकर उसका पानी पिए.
  2. सौंफ या जीरा को रात भर पानी में भिगोकर सुबह उस पानी को पिएं
  3. पानी में सौंफ व इलायची को उबालकर उसका पानी पिएं .
  4. तुलसी के पत्ते चबाएं या पानी में उसे उबाल कर पिएं .
  5. पेट में दर्द होने पर या प्रतिदिन भोजन करने के बास आधा चम्मच अजवायन में 2 चुटकी काला नमक डाल कर पहले उसे थोड़ी देर चबाएं तथा फिर उसे हल्के गुनगुने पानी से निगल लें.
  6. आहार में कम मात्रा में ही सही लेकिन हींग तथा लौंग का उपयोग करें.
  7. भोजन के बाद भुने हुए तथा हल्के दरदरे पिसे जीरे को एक गिलास गुनगुने पानी में डालकर उसका सेवन करें.
  8. दिन में कभी भी ज्यादा ठंडे या फ्रिज वाले पानी का सेवन करने से बचें.

वह बताती हैं की इसके अलावा कुछ सावधानियां भी है जिनका ध्यान रखकर एसिडिटी की समस्या में कुछ हद तक राहत मिल सकती है. जैसे

  1. मसालेदार ज्यादा, तेल वाले गरिष्ठ भोजन या किसी भी ऐसे भोजन का सेवन करने से बचे जिन्हें पचाने में पाचन तंत्र को ज्यादा मेहनत लगती है.
  2. जरूरी अंतराल के बाद तथा नाश्ते, दिन के खाने तथा रात के खाने के लिए बताए जाने वाले आदर्श समय पर भी भोजन करें.
  3. सिर्फ गर्मियों में ही नहीं बल्कि हर मौसम में शरीर के लिए जरूरी मात्रा में पानी पिए. इसके साथ आहार में तरल पदार्थों जैसे ताजे फलों के जूस, नारियल पानी, दही छाछ व लस्सी आदि को भी शामिल कर सकते हैं.
  4. ऐसे लोगों जिन्हे दही, उससे बनने वाले पदार्थों या ज्यादा खट्टे फलों या उनके जूस से एसिडिटी की समस्या होती हो उन्हें उनके सेवन से बचना चाहिए.
  5. रात के भोजन और सोने के बीच कम से कम 2 घंटे का अंतराल जरूर रखें.
  6. हमेशा रात में समय पर सोये, सुबह समय पर जागे, रात में आयु अनुसार कम से कम 6 से 8 घंटे की नींद जरूर लें.
  7. सक्रिय तथा व्यायाम युक्त दिनचर्या का पालन करें.
  8. जहां तक संभव हो शराब, धूम्रपान, बहुत ज्यादा चाय-कॉफी-कोल्ड ड्रिंक के सेवन बचें.
  9. यदि किसी रोग या अवस्था का एलोपैथिक इलाज चल रहा हो तो एसिडिटी को लेकर चिकित्सक की सलाह का पालन करें.

डॉ आरती परमार बताती हैं कि यदि किसी व्यक्ति में एसिडिटी या पाचन से जुड़ी अन्य समस्याएं कुछ ज्यादा ही प्रभाव दिखाने लगे या लंबे समय तक नजर आने लगे तो पीड़ित को बिना समय गवाएं चिकित्सक से जांच व इलाज करवानी चाहिए. Naturopathy , Gas , acidity , bloating , Gas acidity

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Last Updated : May 4, 2024, 12:35 PM IST
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