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जानलेवा रक्तविकार है ये बीमारी, विश्व थैलेसीमिया दिवस विशेष - Thalassemia

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 7, 2024, 7:59 AM IST

Updated : May 7, 2024, 8:50 AM IST

World Thalassemia Day Theme facts about Thalassemia treatment prevention
विश्व थैलेसीमिया दिवस - कॉन्सेप्ट इमेज (Etv Bharat)

World Thalassemia Day : दुनियाभर में रक्त विकार थैलेसीमिया की गंभीरता तथा इसके प्रबंधन व इलाज को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 8 मई को World Thalassemia Day मनाया जाता है. Blood Disorder , Thalassemia Day , Genetic Blood Disorder , world thalassemia day , 8 may dayWorld Thalassemia Day 2024 , 8 may 2024 , 8 may , Thalassemia .

हैदराबाद : थैलेसीमिया एक गंभीर जेनेटिक रक्त विकार है. जिसकी गंभीर अवस्था में आमतौर पर पीड़ित को ताउम्र ब्लड ट्रांसफ़्यूजन, इलाज व प्रबंधन की जरूरत पड़ती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा थैलेसीमिया इंडिया के आंकड़ों की माने तो देश में हर साल लगभग 10000 बच्चे बीटा थैलेसीमिया बीमारी के साथ पैदा होते हैं. वहीं कुछ आंकड़ों की माने तो भारत की कुल जनसंख्या का 3.4 प्रतिशत भाग Thalassemia से ग्रस्त है. इन आंकड़ों के बावजूद Thalassemia को लेकर भारत सहित दुनियाभर में लोगों में जरूरी जानकारी का अभाव है.

दुनियाभर में रक्त विकार Thalassemia की गंभीरता तथा इसके प्रबंधन व इलाज को लेकर आमजन में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 8 मई को एक नई थीम के साथ ‘ विश्व थैलेसीमिया दिवस ’ मनाया जाता है. इस वर्ष यह आयोजन "जीवन को सशक्त बनाना, प्रगति को गले लगाना: सभी के लिए न्यायसंगत और सुलभ थैलेसीमिया उपचार." थीम पर मनाया जा रहा है. World Thalassemia Day Theme 2024 : Empowering Lives, Embracing Progress : Equitable and Accessible Thalassemia Treatment for All .

What is Thalassemia : क्या है थैलेसीमिया
थैलेसीमिया एक अनुवांशिक विकृति/ जेनेटिक डिसऑर्डर है, जिसे ऑटोसोमल रिसेसिव डिसऑर्डर भी कहा जाता है. यह माता या पिता या दोनों से जीन के माध्यम से बच्चे तक पहुंच सकता है. Thalassemia में लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन तथा उनके कार्य करने की क्षमता में समस्या के चलते रक्त में Hemoglobin बनाना कम या बंद हो जाता है. दरअसल सामान्य तौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में RBC यानी लाल रक्त कणों की संख्या 45 से 50 लाख प्रति घन मिलीमीटर होती है. लेकिन थैलेसीमिया में ये RBC तेजी से नष्ट होने लगते हैं और नई कोशिकाएं नहीं बन पाती है. वहीं रक्त में आरबीसी की औसतन आयु 120 दिन मानी जाती है. लेकिन इस विकार में यह घटकर करीब 10 से 25 दिन ही रह जाती है. जिसके कारण शरीर में Hemoglobin कम होने लगता है और पीड़ित गंभीर Anaemia का शिकार हो जाता है. ऐसी स्थिति में शरीर में रक्त की जरूरत को पूरा करने के लिए एक निश्चित समय सीमा के बाद पीड़ितों के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन यानी खून चढ़ाना बेहद जरूरी हो जाता है. आमतौर पर बच्चे के जन्म के छह महीने बाद ही उसमें इस रक्त विकार के होने का पता चल जाता है.

लक्षणों और कारणों के आधार पर Thalassemia कम या ज्यादा गंभीर प्रकार का हो सकता है. इनमें कम गंभीर या Mild Thalassemia में लक्षण काफी हल्के नजर आते हैं वहीं सही इलाज व प्रबंधन की मदद से पीड़ित सामान्य जीवन जी सकता हैं. लेकिन Major Thalassemia में पीड़ित के लंबे समय तक जीवित रहने की संभावना कम रहती है. वहीं जो बच्चे इस अवस्था में सर्वाइव कर भी लेते हैं उन्हें आमतौर पर आजीवन इलाज व सावधानियों को अपनाने के साथ नियमित रक्त चढ़वाने की जरूरत भी पड़ती है. इसके साथ ही उन्हे कई अन्य कम या ज्यादा गंभीर शारीरिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है.

Thalassemia symptoms : थैलेसीमिया के मुख्य लक्षण

  1. थैलेसीमिया के मुख्य लक्षण जो बच्चों में 6 महीने से नज़र आने लगते हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
  2. शरीर में खून की कमी
  3. नाखून और जीभ में पीलापन आना
  4. चेहरे की हड्डी की विकृति
  5. शारीरिक विकास की गति धीमी होना या रुक जाना
  6. वजन ना बढ़ना व कुपोषण
  7. कमजोरी व सांस लेने में तकलीफ
  8. पेट में सूजन तथा मूत्र संबंधी समस्याएं, आदि.

Thalassemia treatment prevention : उपचार व बचाव
वर्मा हेल्थ केयर क्लिनिक नई दिल्ली के फिजीशियन डॉ आलोक कुमार सिंह बताते हैं कि Mild Thalassemia में इलाज, प्रबंधन व जरूरी सावधानियों को अपनाकर पीड़ित काफी हद तक सामान्य जीवन जी सकता है. लेकिन अगर Major Thalassemia या गंभीर थैलेसीमिया की बात करें पीड़ित को ताउम्र जरूरी इलाज के साथ अपनी पूरी जिंदगी रक्त चढ़वाना ही पड़ता है. इस अवस्था में पूरी तरह से कारगर इलाज ज्यादातर मामलों में संभव नहीं है. हालांकि कुछ मामलों में ब्लड स्टेम सेल्स ट्रांसप्लांट उपयोगी हो सकता है. लेकिन यह सरल नहीं होता है क्योंकि इसमें सही डोनर का मिलना मुश्किल होता है.

डॉ आलोक कुमार सिंह बताते हैं कि बहुत जरूरी है कि ऐसे लोग जिन्हे पहले से Thalassemia है, वे विवाह से पहले अपनी तथा अपने साथी की शारीरिक जांच जरूर करवाए. वहीं ऐसे लोगों को बच्चा प्लान करने से पहले भी मेडिकल जांच जरूर करवानी चाहिए तथा चिकित्सक की सलाह का पालन करना चाहिए. इसके अलावा ऐसे मामलों में जिनमें बच्चे में जन्म के बाद थैलेसीमिया होने का जोखिम हो सकता है, चिकित्सक की सलाह पर गर्भावस्था में भ्रूण की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए. जिससे जरूरत पड़ने पर प्रसव पूर्व निदान के लिए प्रयास किए जा सके.

World Thalassemia Day History : इतिहास तथा उद्देश्य
विश्व थैलेसीमिया दिवस’ मनाए जाने की पहल सबसे पहले वर्ष 1994 में थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन द्वारा की गई थी. Thalassemia रोग की गंभीरता के बारे में आमजन में जानकारी व जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से फेडरेशन द्वारा 8 मई को World Thalassemia Day मनाए जाने की घोषणा की गई थी. इस अवसर पर हर साल वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, सरकारी व गैर सरकारी स्वास्थ्य संगठनों तथा स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम व कैम्प आयोजित किए जाते हैं. Blood Disorder , Thalassemia Day , Genetic Blood Disorder , world thalassemia day , 8 may dayWorld Thalassemia Day 2024 , 8 may 2024 , 8 may , Thalassemia .

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Last Updated :May 7, 2024, 8:50 AM IST
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