हैदराबाद : मनोरंजन, काम या खेल किसी भी कारण से ज्यादा समय तक किसी भी प्रकार की स्क्रीन देखने के लोगों की नजर, उनके मस्तिष्क और उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर पीछे कई सालों में बहुत से शोध हुए है. हालांकि जानकार मानते हैं नियंत्रित समय तक किसी भी कारण से मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर या किसी अन्य स्क्रीन को देखने के प्रत्यक्ष नुकसान देखने में नहीं आते हैं, लेकिन यदि स्क्रीनटाइम प्रतिदिन 4-5 घंटे या उससे ज्यादा समय हो तो यह हर उम्र में लोगों में परेशानियों के बढ़ने का कारण बन सकता है.
क्या कहते हैं शोध
ज्यादा स्क्रीनटाइम के नुकसान बच्चों में ज्यादा नजर आते हैं. यह उनके मानसिक विकास को प्रभावित करने के साथ ही कई और परेशानियों के होने का कारण भी बन सकता है. यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के स्कूल ऑफ हेल्थ एंड रिहेबिलिटेशन साइंसेज के शोधकर्ताओं द्वारा हुए एक शोध में दुनिया भर के 400,000 से अधिक बच्चों पर ज्यादा स्क्रीन टाइम के प्रभावों का अध्ययन किया था. जिनके नतीजों में बताया गया था कि प्रतिदिन लगातार दो घंटे के ज्यादा किसी भी प्रकार की स्क्रीन के समक्ष समय बिताने वाले बच्चों में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं देखने में आई थी. जैसे दृष्टिदोष, यारदाश्त संबंधी समस्याएं(याद करने व याद रखने में परेशानी), व्यवहार संबंधी समस्याएं (उदासी, चिड़चिड़ापन व घबराहट) , अनिद्रा , सिर में दर्द आदि.
वहीं वर्ष 2018 में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ के एक अध्ययन के नतीजों में कहा गया था कि स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से मस्तिष्क का कॉर्टेक्स पतला होने लगता है. जोकि सोचने, याददाश्त को बनाए रखने और तर्क की क्षमता विकसित करने के लिए जरूरी होता है.
इसके अलावा हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एक शोध के नतीजों में कहा गया था की प्रतिदिन काफी घंटों तक स्क्रीन देखने से बच्चों में सामाजिक कौशल में कमी से लेकर न्यूरोलॉजिकल विकारों के विकसित होने तक का खतरा हो सकता है.
क्या कहते हैं चिकित्सक
आंखों पर प्रभाव
दिल्ली की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ नूपुर जोशी बताती हैं कि पिछले कुछ सालों में बच्चों में ज्यादा समय मोबाइल या टीवी देखने के कारण दृष्टि संबंधी समस्याओं के काफी मामले सामने आ रहे हैं. वह बताती हैं कि रोजाना यदि बच्चा तीन घंटे से ज्यादा समय स्क्रीन के सामने बिता रहा है तो उसकी आंखों पर दबाव बढ़ सकता है. ऐसे में आंखों में सूखेपन या ड्राइनेस की समस्या सबसे ज्यादा देखने में आती है. इसके अलावा नजर में धुंधलापन, स्क्रीन देखने के बाद हल्का धब्बेदार विजन, स्थिर विजन की समस्या, मायोपिया और आंखों व सिर में दर्द की समस्या हो सकती है. कुछ मामलों में रेटिना को भी नुकसान भी पहुंच सकता है. वह बताती हैं कि ऐसा नहीं कि बड़ों में ज्यादा स्क्रीन टाइम के खराब प्रभाव देखने में नहीं आते हैं. हर उम्र के वयस्कों में ज्यादा समय मोबाइल या कंप्यूटर देखने की आदत दृष्टिदोष के साथ आंखों से जुड़ी कुछ अन्य समस्याओं के होने या उनके बढ़ने का कारण बन सकती है.
मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान
मनोवैज्ञानिक व चाइल्ड काउन्सलर डॉ रेणुका शर्मा के अनुसार यदि बच्चों में खेलने , रील देखने, कार्टून देखने या किसी अन्य मद में लंबे समय तक स्क्रीन देखने की आदत या लत पड़ जाती है तो कई बार उनमें मस्तिष्क में मंदता , एकाग्रता व यारदाश्त में समस्या, सोचने समझने व बोलने में, पढ़ने में, कार्य को पूरा करने में तथा दूसरे लोगों के साथ मेलजोल बढ़ाने में समस्या हो सकती है. यही नहीं कई बार इसका असर उनके व्यवहार पर भी पड़ सकता है जैसे उनमें गुस्सा, चिड़चिड़ापन, बैचेनी तथा मूड स्विंगस बढ़ सकते हैं. ऐसे प्रभाव वयस्कों में भी देखे जा सकते हैं.
सामान्य स्वास्थ्य पर असर
दिल्ली की फिजीशियन डॉ कुमुद सेनगुप्ता बताती हैं कि लगातार ज्यादा देर तक एक ही स्थान पर गलत पॉशचर में बैठकर या लेट कर मोबाइल, टीवी या किसी अन्य स्क्रीन के सामने समय बिताने से ना बड़ों में बल्कि बच्चों में भी गर्दन, कमर, कंधों, हाथों तथा हथेलियों व उंगलियों में दर्द व मांसपेशियों में तनाव की समस्या बढ़ने लगती है.
वहीं यदि इस आदत के चलते उनकी शारीरिक सक्रियता कम होने लगे तो उनमें मोटापा, पाचन संबंधी समस्याएं और कई संबंधित समस्याओं के होने की आशंका बढ़ जाती है. वहीं कई बार यह आदत इटिंग डिसऑर्डर के ट्रिगर होने का कारण भी बन सकती है.
सावधानी
डॉ रेणुका शर्मा के अनुसार बच्चों को इस लत से बचाने के लिए बहुत जरूरी है कि मातापिता थोड़ा सचेत रहे, बच्चों की दिनचर्या के लिए कुछ नियम बनाए तथा उन्हे ज्यादा देर तक मोबाइल , टीवी देखने के दुष्प्रभावों के बारें में समझाएं. इसके अलावा कुछ अन्य बातों का ध्यान रखना भी फायदेमंद हो सकता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम नियत करें. मातापिता व घर के अन्य सदस्य भी स्क्रीन टाइम से जुड़े नियम का पालन करें. विशेषतौर पर ज्यादा छोटे बच्चों को दो घंटे से ज्यादा समय स्क्रीन के समक्ष ना बिताने दें.
- सोने से पहले मोबाइल के देर तक इस्तेमाल से बचे. जहां तक संभव हो सोते समय मोबाइल को दूर रखकर सोएं. रात में बार-बार मोबाइल देखने की आदत से बचे.
- स्क्रीन के सामने बैठकर खाने की आदत से बचे. यह इटिंग डिसऑर्डर का कारण बन सकता है.
- स्क्रीन देखते समय 20-20 नियम का पालन करें. यानी 20 मिनट स्क्रीन देखने के बाद 20 मिनट कुछ और कार्य करें. इससे लगातार स्क्रीन देखने के कारण होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है.