मुंबई: टोक्यो, जापान की मूल निवासी हिरोमी मारुहाशी 25 साल पहले (1998) भारत आई थीं. हिरोमी ने किताबों के जरिए भारत और केरल के बारे में उस दौर में सीखा जब इंटरनेट और सोशल मीडिया नहीं थे. डांसर हिरोमी का लक्ष्य स्थानीय कला के बारे में जानना और उनमें महारत हासिल करना था. जिसमें वे कामयाब भी रहीं. आइए जानते हैं हिरोमी मारुहाशी के बारे में जिन्होंने जापान से आकर मोहिनीअट्टम सीखा और टोक्यों जाकर वहां के लोगों सीखाया भी.
पूरी दुनिया की 1000 जगहों पर दिया परफॉर्मेंस
हिरोमी भारत और विदेशों में एक हजार से ज्यादा जगहों पर परफॉर्म कर चुकी हैं. उन्होंने अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए कहा, 'मुझे केरल उतना ही पसंद है जितना जापान. मुझे यहां के लोग बहुत पसंद हैं, मैं मलयालम बोल और लिख सकती हूं, जब मैं पहली बार केरल आई थी, तो भाषा एक बड़ी समस्या थी. लेकिन धीरे-धीरे मैं ये भी सीख गई. टोक्यो में रेखा नाम की एक मलयाली दोस्त बगल में रहती है , जिसने मुझे मलयालम सीखने में मदद की. मोहिनीअट्टम को अभी पूरी तरह समझना बाकी है.
किताबों से सीखी कला
हाल ही में हिरोमी मोहिनीअट्टम फेस्टिवल के लिए जानकारी जुटाने केरल आई थीं, जिसे वह जल्द ही जापान में पेश करेंगी. हरे रंग की केरल की साड़ी पहने हिरोमी मारुहाशी ने मलयाली भाषा में भी ईटीवी भारत को इंटरव्यू दिया. हिरोमी ने भारत और केरल के बारे में किताबों के जरिए उस दौर में सीखा जब इंटरनेट और सोशल मीडिया नहीं था. हिरोमी का लक्ष्य स्थानीय कला रूपों के बारे में सीखना और उनमें महारत हासिल करना था जो उन्होंने की भी. बाद में उन्होंने भरतनाट्यम भी सीखा और कलामंडलम लीलम्मा गुरु की शिष्या बन गईं. हिरोमा के पति उनकी कला को पूरी तरह सपोर्ट करते हैं.