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यस बैंक ने एक झटके में निकाले 500 कर्मचारी, आगे भी कटौती का प्लान - Yes Bank lays off

Yes Bank lays off- निजी क्षेत्र के लेंडर यस बैंक ने रिस्ट्रटिंग की प्रॉसेस में कथित तौर पर सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. कथित तौर पर यह छंटनी कई क्षेत्रों में की गई है, जिसमें थोक से लेकर रिटेन और साथ ही शाखा बैंकिंग क्षेत्र शामिल हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Yes Bank lays off
(प्रतीकात्मक फोटो) (IANS Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 26, 2024, 12:21 PM IST

नई दिल्ली: प्राइवेट सेक्टर के यस बैंक को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. यस बैंक में बड़े पैमाने पर छंटनी हो रही है. बैंक एकसाथ 500 से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. इसके साथ ही खबर ये भी है कि बैंक और लोगों की भी छंटनी कर सकता है. बैंक की ओर से इस बड़ी छंटनी के पीछे कॉस्ट कंटिंग के साथ तमाम अन्य कारण बतााए गए हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह छंटनी कई क्षेत्रों में की गई है, जिसमें थोक से लेकर रिटेल और साथ ही शाखा बैंकिंग क्षेत्र शामिल हैं. आने वाले दिनों में इस तरह की और छंटनी हो सकती है. नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों को तीन महीने के वेतन के बराबर सैलरी दी गई है.

यस बैंक कथित तौर पर डिजिटल बैंकिंग की ओर झुकाव और मैनुअल हस्तक्षेप को कम करके लागत में कटौती करना चाहता है. यह तब हुआ जब वित्त वर्ष 2023 और 2024 के बीच लेंडर के लिए कर्मचारियों का खर्च 12 फीसदी से अधिक बढ़ गया. वित्त वर्ष 23 के अंत में खर्च 3,363 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 24 के अंत में 3,774 करोड़ रुपये हो गया है.

भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के बाद, जिसने बैंक को डूबने से बचाया, वर्तमान प्रबंध निदेशक प्रशांत कुमार के पदभार संभालने के बाद लेंडर ने 2020 में इसी तरह की कवायद की थी.

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह छंटनी कई क्षेत्रों में की गई है, जिसमें थोक से लेकर रिटेल और साथ ही शाखा बैंकिंग क्षेत्र शामिल हैं. आने वाले दिनों में इस तरह की और छंटनी हो सकती है. नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों को तीन महीने के वेतन के बराबर सैलरी दी गई है.

यस बैंक कथित तौर पर डिजिटल बैंकिंग की ओर झुकाव और मैनुअल हस्तक्षेप को कम करके लागत में कटौती करना चाहता है. यह तब हुआ जब वित्त वर्ष 2023 और 2024 के बीच लेंडर के लिए कर्मचारियों का खर्च 12 फीसदी से अधिक बढ़ गया. वित्त वर्ष 23 के अंत में खर्च 3,363 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 24 के अंत में 3,774 करोड़ रुपये हो गया है.

भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के बाद, जिसने बैंक को डूबने से बचाया, वर्तमान प्रबंध निदेशक प्रशांत कुमार के पदभार संभालने के बाद लेंडर ने 2020 में इसी तरह की कवायद की थी.

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