हैदराबाद: टैक्स, परिवहन लागत, स्थानीय मांग और सरकारी नीतियों सहित कई कारकों के कारण अलग-अलग राज्यों में सोने की कीमत अलग-अलग होती है. कम टैक्स और मजबूत बाजार प्रतिस्पर्धा वाले राज्यों में अधिक टैक्स और सीमित बाजार प्रतिस्पर्धा वाले राज्यों की तुलना में सोने की कीमत कम होती है. आभूषण उद्योग ने सोने की बिक्री में पारदर्शिता लाने के लिए राज्यों में 'एक राष्ट्र, एक स्वर्ण दर' (ONOR) नीति को लागू करने के लिए मिलकर काम किया है. रत्न एवं आभूषण परिषद (GJC) द्वारा समर्थित ONOR पहल की बैठक सितंबर में होने वाली है, जिसके बाद इस नीति की आधिकारिक घोषणा की जाएगी.
क्या है 'एक राष्ट्र, एक स्वर्ण दर' नीति
भारत की 'एक राष्ट्र, एक स्वर्ण दर' नीति का उद्देश्य देश भर में सोने की कीमतों को मानक के अनुरूप करना है, ताकि अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए क्षेत्रीय अड़चनों को दूर किया जा सके. ओएनओआर नीति पूरे देश में सोने की एक समान दर स्थापित करने के लिए है, जिससे स्थानीय करों और बाजार स्थितियों में भिन्नता के कारण होने वाली क्षेत्रीय असमानताओं को दूर किया जा सके. वर्तमान में, भारत में सोने की कीमतें अलग-अलग कर संरचनाओं और स्थानीय मांग-आपूर्ति में उतार-चढ़ाव के कारण एक राज्य से दूसरे राज्य में काफी कम-ज्यादा हो सकती हैं. इससे अक्सर खरीदारों और विक्रेताओं दोनों के लिए भ्रम और असुविधा होती है, क्योंकि उन्हें उतार-चढ़ाव वाली कीमतों से निपटना पड़ता है. आभूषण उद्योग जीएसटी सहित पारदर्शी उपायों को अपनाने और अनिवार्य हॉलमार्क विशिष्ट पहचान संख्या को लागू करने में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
एक राष्ट्र, एक स्वर्ण दर नीति के फायदे
'एक राष्ट्र, एक स्वर्ण दर' नीति से उपभोक्ता विश्वास में वृद्धि की संभावना है. जब सोने की कीमतें मानक के अनुरूप होती हैं, तो उपभोक्ता क्षेत्रीय मूल्य अंतर के कारण अधिक भुगतान करने की चिंता किए बिना अधिक अवगत खरीद निर्णय ले सकते हैं. इससे अधिक स्थिर और पूर्वानुमानित बाजार बन सकता है, जिससे अधिक लोग विश्वसनीय संपत्ति के रूप में सोने में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे.
देश भर में इस नीति के लागू होने से भारत के स्वर्ण उद्योग को बढ़ावा मिलने की भी संभावना है. पारदर्शी और निष्पक्ष मूल्य निर्धारण प्रणाली के साथ स्वर्ण बाजार में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों निवेशकों की भागीदारी बढ़ सकती है. इससे सोने की मांग बढ़ सकती है, जिससे सोना का खनन करने वालों, इसे संशोधित करने वालों और खुदरा विक्रेताओं को समान रूप से लाभ होगा. अगर यह नीति अच्छी तरह से लागू होती है, तो इससे उपभोक्ता विश्वास बढ़ सकता है, व्यापार संचालन सरल हो सकता है और भारत में स्वर्ण उद्योग के समग्र विकास को बढ़ावा मिल सकता है.
राज्यों में सोने की कीमतें अलग-अलग क्यों हैं?
भारत दुनिया में सोने के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है, लेकिन देश के अलग-अलग राज्यों में सोने की कीमत अलग-अलग है. सोने की कीमत दिन-प्रतिदिन के आधार पर भी बदलती रहती है. अगर आप महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान या किसी अन्य राज्य में सोने की कीमत देखें तो हर जगह अलग-अलग कीमतें होंगी. सबसे बड़ी कारक प्रत्येक शहर में स्थानीय बाजार की स्थिति है. सोने की मांग और आपूर्ति के साथ-साथ अन्य स्थानीय आर्थिक कारक भी सोने की दरों को निर्धारित करने में भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा, हर शहर के अपने सुनार और जौहरी होते हैं, जो अपनी कारीगरी के लिए अलग-अलग शुल्क ले सकते हैं.
परिवहन लागत
भारत सोने के प्रमुख आयातकों में से एक है. सोने की परिवहन लागत अधिक होती है. इसे देश के विभिन्न हिस्सों में ले जाने की जरूरत होती है. परिवहन लागत में ईंधन, वाहन, सुरक्षा आदि शामिल होते हैं. परिवहन की लागत उस राज्य या शहर के आधार पर भिन्न हो सकती है, जहां आप सोना ले जा रहे हैं.
सोने के प्रकार
सोना 24 कैरेट, 22 कैरेट, 18 कैरेट और 14 कैरेट का हो सकता है. कैरेट जितना ज्यादा होगा, सोना उतना ही शुद्ध होगा और उसकी कीमत भी ज्यादा होगी.
स्थानीय आभूषण संघ
स्थानीय आभूषण संघ अपने-अपने शहरों में सोने की कीमतें निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाते हैं. ये संघ अक्सर सोने की शुद्धता, स्थानीय मांग और मौजूदा बाजार स्थितियों जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए मूल्य नियामक के रूप में कार्य करते हैं. उदाहरण के लिए, अखिल भारतीय आभूषण और स्वर्णकार संघ (AIJGF) पूरे भारत में सोने की कीमतों को विनियमित करने में बड़ी भूमिका निभाता है.
खुदरा विक्रेताओं का मार्जिन
सोना बेचने वाले खुदरा विक्रेता अलग-अलग लाभ मार्जिन रखते हैं, जो धातु की बिक्री कीमत को प्रभावित कर सकते हैं. जिन शहरों में ज्यादा खुदरा ज्वैलर्स होते हैं, वहां प्रतिस्पर्धा के कारण सोने की कीमतों कम हो सकती हैं. जयपुर और अहमदाबाद जैसे शहर, जो अपने आभूषण बाजांरों के लिए जाने जाते हैं, यहां खरीदारों के लिए अधिक विकल्प होने के कारण सोने की कीमतें कम होती हैं.
सोने की गुणवत्ता
सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाला एक और कारक इसकी गुणवत्ता है. उच्च ग्रेड का सोना कम गुणवत्ता वाले सोने की तुलना में अधिक महंगा होगा.
सोने की खरीद कीमत
यह अलग-अलग शहरों में सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक है. जिन ज्वैलर्स के पास कम कीमत पर खरीदा गया स्टॉक है, वे खरीदरों से कम कीमत ले सकते हैं. सोने के स्रोत को लेकर भी एक समस्या है. आधिकारिक तौर पर, भारत में सोने पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क और 3 प्रतिशत टैक्स लगता है. यही कारण है कि अलग-अलग देशों में सोने की कीमत अलग-अलग होती है, क्योंकि हर देश के अपने शुल्क और कर होते हैं.
बाजार की परिस्थिति
बाजार की परिस्थितियां भी सोने की कीमतों को प्रभावित कर सकती हैं. अगर सोने की मांग अधिक है, तो सोने की कीमत बढ़ जाएगी. इसके विपरीत, अगर सोने की मांग कम है, तो सोने की कीमत घट जाएगी.
सरकारी शुल्क
इन कारकों के अलावा, भारत सरकार सोने पर आयात शुल्क लगाकर भी सोने की दर को प्रभावित करती है. सोने पर आयात शुल्क देश की राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं. आयात शुल्क अधिक होने पर सोने की कीमत भी अधिक होती है.
किस राज्य में सोने की कीमत सबसे कम है
वर्तमान में, केरल में सोने की कीमत सबसे कम है. इसी तरह दिल्ली और मुंबई की तुलना में कर्नाटक में सोने की कीमत कम है. दक्षिण भारत के शहरों में सोने की कीमतें उत्तर और पश्चिम राज्यों के शहरों की तुलना में काफी कम हैं.
केरल में सोना खरीदना सिर्फ एक चलन नहीं है, बल्कि इसके पीछे सामाजिक ताना-बाना भी है. राज्य के लोगं में सोने के प्रति गजब का लगाव है. यह भारत की सोने की मांग में इसके बड़े योगदान से स्पष्ट है. केरल के ग्रामीण इलाकों में प्रति व्यक्ति सोने पर मासिक खर्च औसत 208.55 रुपये और शहरी इलाकों में 189.95 रुपये है. उत्सव और पारंपरिक समारोह सोने के प्रति इस आकर्षण को और बढ़ाते हैं. राज्य में उत्सव के रीति-रिवाजों में सोना प्रमुख हिस्सा है.
केरल में सोना सस्ता क्यों है
केरल में सोने की दरें मुख्य रूप से ऑल केरल गोल्ड एंड सिल्वर मर्चेंट्स एसोसिएशन द्वारा निर्धारित की जाती हैं. यह कई कारकों के आधार पर सोने की दौनिक कीमतों को निर्धारित करता है. केरल में सोने की कम कीमतों के पीछे मुख्य कारक मांग और आपूर्ति के बीच गतिशीलता है.
सोने का भाव कैसे तय किया जाता है
आभूषण की अंतिम कीमत = (22 कैरेट, 18 कैरेट या 14 कैरेट) सोने की कीमत x ग्राम में वजन + मेकिंग चार्ज + 3% जीएसटी (आभूषण की कीमत + मेकिंग चार्ज)
मेकिंग चार्ज की गणना दो तरीकों से की जा सकती है: या तो सोने के मूल्य के प्रतिशत के रूप में या सोने के प्रति ग्राम फ्लैट मेकिंग चार्ज के रूप में. सोने की कीमतें बिक्री के लिए उपलब्ध सोने के आभूषण के प्रकार के आधार पर अलग-अलग होती हैं, क्योंकि हर आभूषण को काटने और फिनिशिंग के लिए एक अलग शैली की आवश्यकता होती है. यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि डिजाइन में कितनी बारीक डिटेलिंग की आवश्यकता है, यानी यह मानव निर्मित है या मशीन से बना है. मशीन से बने आभूषणों की कीमत आमतौर पर मानव निर्मित आभूषणों से कम होती है.
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