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शाकाहारी लोगों के लिए बुरी खबर! सस्ती हुई मांसाहारी थाली, वेज के लिए देना पड़ा ज्यादा पैसा - Veg and Non Veg Thali Price - VEG AND NON VEG THALI PRICE

Veg and Non Veg Thali Price- पोल्ट्री की कीमतें कम होने के कारण अप्रैल में घर में बनी नॉन-वेज थाली की कीमत में साल-दर-साल कमी आई, लेकिन प्याज, आलू और टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण शाकाहारी थाली महंगी हो गई. सब्जी थाली की कीमतों में बढ़ोतरी कुछ और समय तक जारी रह सकती है क्योंकि सब्जियों की कीमतें स्थिर बने रहने की संभावना है. पढ़ें पूरी खबर...

Veg and Non Veg Thali
वेज और नॉन वेज थाली की कीमत (प्रतिकात्मक फोटो) (Canva)
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By Sutanuka Ghoshal

Published : May 8, 2024, 1:36 PM IST

नई दिल्ली: शायद यह आपको जानकार हैरानी होगी कि अगर आप शाकहारी हैं तो आपको खाने के लिए ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे. वहीं, अगर आप मांसाहारी है तो सस्ते में काम निपट जाएगा. दरअसरल, अभी देश में वेजिटेरियन थाली मंहगी और नॉन-वेज थाली सस्ती है. क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स रिसर्च के अनुमान के मुताबिक, घर में पकाई जाने वाली सब्जी थाली की कीमत पिछले अप्रैल की तुलना में अप्रैल में 8 फीसदी बढ़ गई, जबकि नॉन-वेज थाली की कीमत में 4 फीसदी की गिरावट आई है.

पिछले वित्त वर्ष के आधार पर, प्याज, टमाटर और आलू की कीमतों में क्रमश- 41 फीसदी, 40 फीसदी और 38 फीसदी की बढ़ोतरी के कारण शाकाहारी थाली की लागत में वृद्धि हुई है. रबी के रकबे में उल्लेखनीय गिरावट और पश्चिम बंगाल में आलू की फसल को नुकसान होने के कारण प्याज की कम आवक के कारण कीमत में वृद्धि हुई है.

कम आवक के बीच, चावल (शाकाहारी थाली लागत का 13 फीसदी) और दालों (9 फीसदी) की कीमतों में साल-दर-साल क्रमश- 14 फीसदी और 20 फीसदी की वृद्धि हुई है. भारतीय घरों में चावल प्रमुख भोजन है. जीरा, मिर्च और वनस्पति तेल की कीमतों में क्रमश- 40 फीसदी, 31 फीसदी और 10 फीसदी की गिरावट आई, जिससे थाली की लागत में और वृद्धि नहीं हुई.

नॉन-वेज थाली की कीमत में कमी पिछले वित्त वर्ष के उच्च आधार पर ब्रॉयलर की कीमतों में सालाना आधार पर 12 फीसदी की गिरावट के कारण हुई. हालांकि, महीने-दर-महीने वेज थाली की कीमत स्थिर रही और नॉन-वेज थाली 3 फीसदी बढ़ी.

ईंधन की लागत में 3 फीसदी की गिरावट के साथ नई आवक के बीच प्याज की कीमतों में 4 फीसदी की गिरावट के कारण शाकाहारी थाली महीने दर महीने स्थिर रही, जबकि टमाटर और आलू की कीमतें बढ़ीं. उच्च मांग और बढ़ती इनपुट लागत के कारण ब्रॉयलर की कीमतों में अनुमानित 4 फीसदी की वृद्धि के कारण नॉन-वेज थाली की लागत बढ़ गई, जो लागत का 50 फीसदी है.

घर पर थाली तैयार करने की औसत लागत की गणना उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित इनपुट कीमतों के आधार पर की जाती है. मासिक परिवर्तन आम आदमी के खर्च पर प्रभाव को दिखाता है. आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि थाली की कीमत में बदलाव लाने वाले तत्व (अनाज, दालें, ब्रॉयलर, सब्जियां, मसाले, खाद्य तेल और रसोई गैस) हैं.

क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के निदेशक-शोध, पूषन शर्मा ने कहा कि नवंबर 2023 से, शाकाहारी और मांसाहारी थालियों की कीमतें अलग-अलग हो रही हैं. शाकाहारी थाली साल दर साल महंगी हो गई है, जबकि मांसाहारी थाली सस्ती हो गई है. इसका मुख्य कारण ब्रॉयलर की कीमतों में गिरावट है, जबकि प्याज, आलू और टमाटर जैसी सब्जियों की कीमतें कम आधार पर बढ़ी हैं. शर्मा ने कहा कि आगे बढ़ते हुए, हमें उम्मीद है कि सब्जियों की कीमतें स्थिर रहेंगी, हालांकि गेहूं और दालों की कीमत में अनुमानित गिरावट से कुछ राहत मिलेगी.

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नई दिल्ली: शायद यह आपको जानकार हैरानी होगी कि अगर आप शाकहारी हैं तो आपको खाने के लिए ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे. वहीं, अगर आप मांसाहारी है तो सस्ते में काम निपट जाएगा. दरअसरल, अभी देश में वेजिटेरियन थाली मंहगी और नॉन-वेज थाली सस्ती है. क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स रिसर्च के अनुमान के मुताबिक, घर में पकाई जाने वाली सब्जी थाली की कीमत पिछले अप्रैल की तुलना में अप्रैल में 8 फीसदी बढ़ गई, जबकि नॉन-वेज थाली की कीमत में 4 फीसदी की गिरावट आई है.

पिछले वित्त वर्ष के आधार पर, प्याज, टमाटर और आलू की कीमतों में क्रमश- 41 फीसदी, 40 फीसदी और 38 फीसदी की बढ़ोतरी के कारण शाकाहारी थाली की लागत में वृद्धि हुई है. रबी के रकबे में उल्लेखनीय गिरावट और पश्चिम बंगाल में आलू की फसल को नुकसान होने के कारण प्याज की कम आवक के कारण कीमत में वृद्धि हुई है.

कम आवक के बीच, चावल (शाकाहारी थाली लागत का 13 फीसदी) और दालों (9 फीसदी) की कीमतों में साल-दर-साल क्रमश- 14 फीसदी और 20 फीसदी की वृद्धि हुई है. भारतीय घरों में चावल प्रमुख भोजन है. जीरा, मिर्च और वनस्पति तेल की कीमतों में क्रमश- 40 फीसदी, 31 फीसदी और 10 फीसदी की गिरावट आई, जिससे थाली की लागत में और वृद्धि नहीं हुई.

नॉन-वेज थाली की कीमत में कमी पिछले वित्त वर्ष के उच्च आधार पर ब्रॉयलर की कीमतों में सालाना आधार पर 12 फीसदी की गिरावट के कारण हुई. हालांकि, महीने-दर-महीने वेज थाली की कीमत स्थिर रही और नॉन-वेज थाली 3 फीसदी बढ़ी.

ईंधन की लागत में 3 फीसदी की गिरावट के साथ नई आवक के बीच प्याज की कीमतों में 4 फीसदी की गिरावट के कारण शाकाहारी थाली महीने दर महीने स्थिर रही, जबकि टमाटर और आलू की कीमतें बढ़ीं. उच्च मांग और बढ़ती इनपुट लागत के कारण ब्रॉयलर की कीमतों में अनुमानित 4 फीसदी की वृद्धि के कारण नॉन-वेज थाली की लागत बढ़ गई, जो लागत का 50 फीसदी है.

घर पर थाली तैयार करने की औसत लागत की गणना उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित इनपुट कीमतों के आधार पर की जाती है. मासिक परिवर्तन आम आदमी के खर्च पर प्रभाव को दिखाता है. आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि थाली की कीमत में बदलाव लाने वाले तत्व (अनाज, दालें, ब्रॉयलर, सब्जियां, मसाले, खाद्य तेल और रसोई गैस) हैं.

क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के निदेशक-शोध, पूषन शर्मा ने कहा कि नवंबर 2023 से, शाकाहारी और मांसाहारी थालियों की कीमतें अलग-अलग हो रही हैं. शाकाहारी थाली साल दर साल महंगी हो गई है, जबकि मांसाहारी थाली सस्ती हो गई है. इसका मुख्य कारण ब्रॉयलर की कीमतों में गिरावट है, जबकि प्याज, आलू और टमाटर जैसी सब्जियों की कीमतें कम आधार पर बढ़ी हैं. शर्मा ने कहा कि आगे बढ़ते हुए, हमें उम्मीद है कि सब्जियों की कीमतें स्थिर रहेंगी, हालांकि गेहूं और दालों की कीमत में अनुमानित गिरावट से कुछ राहत मिलेगी.

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