मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने अपनी फरवरी की समीक्षा बैठक में नीतिगत रेपो दर को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया, इस प्रकार लगातार छठी बार यथास्थिति बनाए रखी. आरबीआई की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी), जो 6 से 8 फरवरी तक बैठक चली है. इस बैठक के नतीजे आज घोषित किए गए.
इस बैठक के दौरान आरबीआई ने गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की कि केंद्रीय बैंक डिजिटल भुगतान लेनदेन के प्रमाणीकरण के लिए थ्योरी बेस फ्रेमवर्क के लिए दिशानिर्देश जारी करेगा. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक ने डिजिटल भुगतान की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है, विशेष रूप से प्रमाणीकरण के एक अतिरिक्त कारक (एएफए) की आवश्यकता को.
आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मंगलवार को अपने तीन विचार-विमर्श शुरू किए थे. आज सुबह 10 बजे मौद्रिक नीति की घोषणा की गई.
एक साल से स्थिर रेपो रेट
केंद्रीय बैंक ने पिछले एक साल से रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है. वैश्विक विकास से प्रेरित मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए बेंचमार्क ब्याज दर को आखिरी बार पिछले फरवरी में 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया था. दिसंबर 2023 की बैठक में इसे अपरिवर्तित छोड़ दिया गया था.
जुलाई 2023 में 7.44 फीसदी के शिखर को छूने के बाद चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट आई है. हालांकि, यह अभी भी उच्च है, क्योंकि रिजर्व बैंक के 4 से 6 फीसदी के मुद्रास्फीति को तय किया हैं. दिसंबर 2023 में 5.69 फीसदी थी.