नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की हालिया रिपोर्टों से पता चलता है कि वह पिछले साल की तुलना में सरकार को अधिक लाभांश देगा. अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह लाभांश करीब 1 लाख करोड़ रुपये के आसपास होगा. आईबीआई की ओर से केंद्र सरकार को इस राशि के ट्रांसफर से सरकार की वित्त स्थिति और मजबूत होगी.
बता दें कि इससे पहले, आरबीआई ने ट्रेजरी बिल के माध्यम से सरकार की उधारी में भारी कटौती की घोषणा की थी. जिससे केंद्र सरकार को करीब 60,000 करोड़ रुपये का झटका लगा था. केंद्रीय बैंक ने आगामी कार्यवाही की अधिक सफलता सुनिश्चित करने के लिए कुछ उपाय भी किए हैं. बता दें कि सरकार पहले की उधारी का 60,000 करोड़ रुपये समय से पहले चुकाने की योजना बना रही है.
आरबीआई की ओर से सरकार को लाभांश मिलना और उधार को समय से पहले चुकाना इस बात का संकेत देते हैं कि जल्द की केंद्र सरकार की वित्त स्थिति मजबूती मिलेगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का ऋण प्रबंधक आरबीआई मई के अंत में सरपल्स फंड को सरकार को हस्तांतरित करने की घोषणा कर सकता है.
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य आर्थिक सलाहकार कनिका पसरीचा को कोट करते हुए अखबार ने लिखा कि उन्होंने हाल ही में एक शोध नोट में इसके संकेत दिये थे. उन्होंने लिखा था कि हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई वित्त वर्ष 24-25 में सरकार को 1,000 अरब रुपये (1 लाख करोड़ रुपये) का सरपल्स फंड हस्तांतरित करेगा.
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, इतने बड़े लाभांश के ट्रांसफर में कई कारकों का योगदान है. पिछले कुछ वर्षों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से आक्रामक दर वृद्धि के बीच आरबीआई ने अपनी विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों के माध्यम से अर्जित ब्याज में तेज वृद्धि की है. इसके अलावा, वित्तवर्ष 22-23 की तुलना में वित्तवर्ष 23-24 में अमेरिकी डॉलर की कम सकल बिक्री आईबीआई ने भी आईबीआई की बैलेंशशीट को मजबूत किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये को अत्यधिक अस्थिरता से बचाने के लिए केंद्रीय बैंक ने बाजारों में भारी हस्तक्षेप किया. जिसका असर लाभांश में वृद्धि के तौर पर नजर आ रहा है. अभी भी विदेशी परिसंपत्तियों से केंद्रीय बैंक की कमाई में भारी वृद्धि की उम्मीद है.