नई दिल्ली: भारत दुनिया में काफी तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था (Economy) है और इसके साथ ही भारत देश में अरबपतियों की तादाद भी तेजी से बढ़ रही है. दरअसल, हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2023 के अनुसार देश में 1,319 लोगों के पास 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा संंपत्ती है. एक साल में अमीरों की सूची में शामिल लोगों की संख्या में 216 अमीर लोगों की बढ़ोतरी हुई है. इस लिस्ट में 270 लोगों को पहली बार जगह मिली है. यह फस्ट टाइम है जब इस लिस्ट में शामिल लोगों की संख्या 1,300 पार कर गई है. पिछले पांच साल में इस संख्या में 76 प्रतिशत की तेजी आई है. वहीं, दूसरी तरफ चीन और ब्रिटेन में अरबपतियों की संख्या में गिरावट आ गई है. जबकि यूरोप में स्थिरता आ गया है.
दुनिया भर में सबसे धनी व्यक्तियों की आधिकारिक सूची प्रकाशित करने वाले रिसर्च ग्रुप हुरून ग्लोबल के अध्यक्ष रूपर्ट हुगेवर्फ ने कहा कि यह प्रवृत्ति विकास में महत्वपूर्ण असमानताओं को उजागर करती है. हुगेवर्फ, जो 1998 से अमीरों का इतिहास लिख रहे हैं, उन्होंने कहा कि उन्हें दुनिया के अन्य हिस्सों में अपने साथियों की तुलना में भारतीय व्यापारियों में बहुत अधिक आत्मविश्वास दिखता है. उन्होंने कहा कि भारत में कारोबारी मानते हैं कि अगला साल बेहतर होगा, जबकि चीन में कारोबारी मे आत्मविश्वास की कमी दिखती है, उन्हें लगता है कि अगला साल खराब होगा. यूरोप में भी आशावाद नजर नहीं आता.
हुरून के अध्यक्ष, जिन्होंने 25 साल पहले चीन में सूची व्यवसाय शुरू किया था, उन्होंने कहा कि भारत की अमीर सूची अपने चीनी समकक्ष की तुलना में संरचना में भिन्न है. उन्होंने आगे कहा कि भारतीय उद्यमिता में सबसे खास बात इसकी परिवार-आधारित संरचना है, जिसमें पीढ़ियों तक चलने वाले मजबूत व्यवसाय हैं. यह निरंतरता चीन में बहु-पीढ़ी वाले उद्यमों की कमी के विपरीत है, हालांकि यह (परिवार-आधारित व्यवसाय संरचना) एक दोधारी तलवार प्रस्तुत करती है.
हुरुन के अध्यक्ष ने कहा कि भारत, जर्मनी और जापान पारिवारिक व्यवसायों की महत्वपूर्ण उपस्थिति के साथ असाधारण रूप से मजबूत हैं, और इससे पीढ़ीगत संपत्ति का काफी संचय हुआ है. उन्होंने कहा, 'इसके विपरीत, अमेरिका एक अलग पैटर्न प्रदर्शित करता है, जिसमें लगभग 60 फीसदी से 70 फीसदी व्यवसाय पहली पीढ़ी के हैं. इस बीच, हांगकांग और ताइवान सहित चीन में कई पीढ़ियों वाले कारोबारी घरानों की कमी है. हालांकि भारत के फैमिली बेस्ड स्ट्रक्चर को हुरून के अध्यक्ष दो धार वाली तलवार मानते हैं. रूपर्ट हुगेवर्फ का मानना है कि इससे परंपरा भले ही संपन्न होती हो, लेकिन इससे नवीकरण पर असर पड़ता है.
हुरुन के संस्थापक का कहना है कि आने वाले कुछ वर्षों में दो सेक्टर से सबसे ज्यादा धनकुबेर निकलने वाले हैं. पहला सेक्टर है (AI) और दूसरा सेक्टर है इलेक्ट्रिक व्हीकल. एआई के चलते वर्तमान समय में कई कंपनियों को फायदा हुआ है. माइक्रोसॉफ्ट के मूल्यांकन में 700-800 बिलियन डॉलर का उछाल आया है, और दूसरा है आसन्न नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन ( EV) क्रांति. इलेक्ट्रिक वाहन के मामले में खास तौर पर चीन में काफी विकास हो रहा हैं.
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