नई दिल्ली: बैंकिंग रेगुलेटर आरबीआई ने 30 मई को 2023-24 के लिए अपनी एनुअल रिपोर्ट जारी की है. RBI ने अप्रैल से शुरू होने वाले चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7 फीसदी की दर से बढ़ने की अनुमान लगाया है. रिपोर्ट में इस बात पर जोर डाला गया कि मैक्रो-इकोनॉमिक फंडामेंटल मजबूत बने हुए हैं, साथ ही हेडलाइन इन्फ्लेमेशन में और कमी आने की उम्मीद है. आरबीआई ने फूड इन्फ्लेमेशन के जोखिमों को चिह्नित करते हुए कहा कि यह सप्लाई साइड के झटकों के प्रति संवेदनशील बना हुआ है. एनुअल रिपोर्ट में कहा गया है कि एमपीसी मूल्य स्थिरता की अपनी खोज में दृढ़ रहेगी.
आरबीआई की गुरुवार को जारी एनुअल रिपोर्ट में दिखाया गया कि वित्तीय वर्ष 2024 में शुद्ध आय 2.11 लाख करोड़ रुपये थी, जो पिछले वर्ष के 87,420 करोड़ रुपये से अधिक थी. रिपोर्ट में दिखाया गया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्ष के दौरानफॉरेन एक्सचेंज ट्रांजेक्शन से 83,616 करोड़ रुपये का लाभ देखा, जबकि फॉरेन सिक्योरिटीज से ब्याज आय बढ़कर 65,328 करोड़ रुपये हो गई, जिससे उसे अपने आकस्मिक निधि का आकार बढ़ाने में मदद मिली. वित्तीय वर्ष के दौरान आरबीआई की बैलेंस शीट का साइज 11.08 फीसदी बढ़कर 70.48 लाख करोड़ रुपये हो गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में खपत की मांग बढ़ेगी, क्योंकि इन्फ्लेमेशन लक्ष्य स्तर की ओर बढ़ रहा है. भारतीय अर्थव्यवस्था अगले दशक में व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के माहौल में विकास की गति को बढ़ाने के लिए अच्छी स्थिति में है. बाहरी क्षेत्र की मजबूती, फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बफर घरेलू आर्थिक गतिविधि को ग्लोबल स्पिलओवर से बचाएंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडियन इकोनॉमी को एआई/एमएल टेक्नोलॉजी के तेजी से अपनाने, जलवायु झटकों से उत्पन्न चुनौतियों से निपटना होगा.
रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया कि भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक कमोडिटी मूल्य में उतार-चढ़ाव, अनिश्चित मौसम विकास विकास परिदृश्य के लिए नकारात्मक जोखिम पैदा करते हैं. बैंकों और कॉरपोरेट्स की स्वस्थ बैलेंस शीट द्वारा समर्थित ठोस निवेश मांग के कारण जीडीपी वृद्धि मजबूत है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, खरीफ और रबी दोनों मौसमों 2023-24 के लिए एमएसपी ने सभी फसलों के लिए उत्पादन लागत पर 50 फीसदी का न्यूनतम रिटर्न सुनिश्चित किया.