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भारत में पहला Aadhaar Card कब बना? जानें इसके पीछे की रोचक कहानी - History of Aadhaar card in India

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 8, 2024, 2:16 PM IST

History of Aadhaar card in India- आधार कार्ड एक महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट है जो हर भारतीय नागरिक के पास पहचान प्रमाण के रूप में होता है. देश में अब तक 135 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास आधार कार्ड है. लेकिन यह जानना दिलचस्प होगा कि भारत में आधार कार्ड का इतिहास क्या रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

Aadhaar card
आधार कार्ड (प्रतीकात्मक फोटो) (Getty Image)

नई दिल्ली: आपको बता दें कि आधार कार्ड यूपीए सरकार के अंतर्गत लागू किया गया था. इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकनी ने आधार कार्ड प्रोजेक्ट की अध्यक्षता की थी. आधार कार्ड के आने के बाद से देश में कई बड़े बदलाव हुए है. आधार भारत में किसी व्यक्ति के पहचान का प्रमाण है. इसके आने के बाद से सरकारी काम-काजों में भी सुधान देखने को मिला है. आधार कार्ड को कई बार देखने के बावजूद, शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो UIDAI शब्द के बारे में जानता हो, जिसका उल्लेख हर आधार कार्ड के टॉप पर स्पष्ट रूप से किया गया है.

UIDAI का पूरा नाम
UIDAI का मतलब है भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण. यह भारत की एक सरकारी एजेंसी है जो आधार योजना के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है. इसकी स्थापना वर्ष 2016 में भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत की गई थी. इस इकाई का मुख्यालय भारत की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में स्थित है, जिसमें भारत के प्रमुख शहरों में 8 क्षेत्रीय कार्यालय हैं. इसके दो डेटा सेंटर हेब्बल (बेंगलुरु) और मानेसर (गुरुग्राम) में स्थित हैं.

2009 में यूपीए सरकार के तहत अपनी स्थापना के बाद से आधार को विपक्षी दलों के हमलों से लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं तक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. हालांकि, 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के सत्ता में आने के बाद से, इसने आधार को अपना बना लिया है. इसके दायरे को इसके मूल उद्देश्य से कहीं अधिक बढ़ा दिया है.

आधार कार्ड का इतिहास
मार्च 2006 में, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गरीब परिवारों के लिए एक विशिष्ट पहचान (यूआईडी) योजना को मंजूरी दी. 2007 में अपनी पहली बैठक में, मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) ने निवासियों का डेटाबेस बनाने की आवश्यकता को पहचाना.

विशिष्ट पहचान संख्या जारी करने के लिए 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) का गठन किया गया. नंदन नीलेकणी को इसका पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया.

प्राइवेसी फर्स्ट
दिसंबर 2010 में, भारतीय राष्ट्रीय पहचान प्राधिकरण (NIAI) विधेयक, 2010 संसद में पेश किया गया. लेकिन एक साल बाद, वित्त पर स्थायी समिति ने विधेयक को उसके प्रारंभिक रूप में खारिज कर दिया. योजना को जारी रखने से पहले गोपनीयता कानून और डेटा सुरक्षा कानून की आवश्यकता की सिफारिश की गई.

आधार को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हुई
कर्नाटक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश केएस पुट्टस्वामी ने 2012 में आधार को पहली कानूनी चुनौती दी, कहा कि यह समानता और गोपनीयता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.

सुप्रीम कोर्ट ने कदम उठाया
सितंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित किया जिसमें कहा गया कि आधार कार्ड न होने के कारण किसी भी व्यक्ति को परेशानी नहीं होनी चाहिए. अगस्त 2015 में, तीन न्यायाधीशों वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच ने आधार के उपयोग को कुछ कल्याणकारी योजनाओं तक सीमित कर दिया. आदेश दिया कि आधार कार्ड न होने के कारण किसी को भी लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए.

आधार को किया गया अनिवार्य
मार्च 2016 में, सरकार ने लोकसभा में विधेयक के रूप में आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) विधेयक पेश किया. संसद द्वारा विधेयक पारित विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई. 2017 की शुरुआत में, अलग-अलग मंत्रालयों ने कल्याण, पेंशन और रोजगार योजनाओं के लिए आधार को अनिवार्य बना दिया. आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार को अनिवार्य बना दिया गया.

देश में पहले आधार कार्ड किसे मिला?
देश में पहला आधार कार्ड 28 जनवरी 2009 को लॉन्च हुआ. आधार प्रोजेक्ट में पहला आधार कार्ड मराठी महिला को दिया गया था. उनका नाम रंजना सोनवने है. रंजना सोनवने उत्तरी महाराष्ट्र के एक गांव टेंभ्ला की रहने वाली हैं.

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नई दिल्ली: आपको बता दें कि आधार कार्ड यूपीए सरकार के अंतर्गत लागू किया गया था. इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकनी ने आधार कार्ड प्रोजेक्ट की अध्यक्षता की थी. आधार कार्ड के आने के बाद से देश में कई बड़े बदलाव हुए है. आधार भारत में किसी व्यक्ति के पहचान का प्रमाण है. इसके आने के बाद से सरकारी काम-काजों में भी सुधान देखने को मिला है. आधार कार्ड को कई बार देखने के बावजूद, शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो UIDAI शब्द के बारे में जानता हो, जिसका उल्लेख हर आधार कार्ड के टॉप पर स्पष्ट रूप से किया गया है.

UIDAI का पूरा नाम
UIDAI का मतलब है भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण. यह भारत की एक सरकारी एजेंसी है जो आधार योजना के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है. इसकी स्थापना वर्ष 2016 में भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत की गई थी. इस इकाई का मुख्यालय भारत की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में स्थित है, जिसमें भारत के प्रमुख शहरों में 8 क्षेत्रीय कार्यालय हैं. इसके दो डेटा सेंटर हेब्बल (बेंगलुरु) और मानेसर (गुरुग्राम) में स्थित हैं.

2009 में यूपीए सरकार के तहत अपनी स्थापना के बाद से आधार को विपक्षी दलों के हमलों से लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं तक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. हालांकि, 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के सत्ता में आने के बाद से, इसने आधार को अपना बना लिया है. इसके दायरे को इसके मूल उद्देश्य से कहीं अधिक बढ़ा दिया है.

आधार कार्ड का इतिहास
मार्च 2006 में, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गरीब परिवारों के लिए एक विशिष्ट पहचान (यूआईडी) योजना को मंजूरी दी. 2007 में अपनी पहली बैठक में, मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) ने निवासियों का डेटाबेस बनाने की आवश्यकता को पहचाना.

विशिष्ट पहचान संख्या जारी करने के लिए 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) का गठन किया गया. नंदन नीलेकणी को इसका पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया.

प्राइवेसी फर्स्ट
दिसंबर 2010 में, भारतीय राष्ट्रीय पहचान प्राधिकरण (NIAI) विधेयक, 2010 संसद में पेश किया गया. लेकिन एक साल बाद, वित्त पर स्थायी समिति ने विधेयक को उसके प्रारंभिक रूप में खारिज कर दिया. योजना को जारी रखने से पहले गोपनीयता कानून और डेटा सुरक्षा कानून की आवश्यकता की सिफारिश की गई.

आधार को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हुई
कर्नाटक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश केएस पुट्टस्वामी ने 2012 में आधार को पहली कानूनी चुनौती दी, कहा कि यह समानता और गोपनीयता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.

सुप्रीम कोर्ट ने कदम उठाया
सितंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित किया जिसमें कहा गया कि आधार कार्ड न होने के कारण किसी भी व्यक्ति को परेशानी नहीं होनी चाहिए. अगस्त 2015 में, तीन न्यायाधीशों वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच ने आधार के उपयोग को कुछ कल्याणकारी योजनाओं तक सीमित कर दिया. आदेश दिया कि आधार कार्ड न होने के कारण किसी को भी लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए.

आधार को किया गया अनिवार्य
मार्च 2016 में, सरकार ने लोकसभा में विधेयक के रूप में आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) विधेयक पेश किया. संसद द्वारा विधेयक पारित विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई. 2017 की शुरुआत में, अलग-अलग मंत्रालयों ने कल्याण, पेंशन और रोजगार योजनाओं के लिए आधार को अनिवार्य बना दिया. आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार को अनिवार्य बना दिया गया.

देश में पहले आधार कार्ड किसे मिला?
देश में पहला आधार कार्ड 28 जनवरी 2009 को लॉन्च हुआ. आधार प्रोजेक्ट में पहला आधार कार्ड मराठी महिला को दिया गया था. उनका नाम रंजना सोनवने है. रंजना सोनवने उत्तरी महाराष्ट्र के एक गांव टेंभ्ला की रहने वाली हैं.

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