मुंबई: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के शासी निकाय के सदस्यों की बैठक 30 सितंबर को होने वाली है. इस पर बारीकी से नजर रखी जाएगी, क्योंकि इसमें विभिन्न बाजार सहभागियों और मध्यस्थों से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने हैं, जिनमें सूचकांक डेरिवेटिव ढांचे को मजबूत करने का बड़ा निर्णय भी शामिल है. हाल ही में हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोपों के बाद यह पहली बोर्ड बैठक होगी.
सेबी बोर्ड के लिए प्राथमिक एजेंडा में से एक फ्यूचर एंड ऑप्शन (एफ एंड ओ) व्यापार के लिए सख्त मानदंडों पर विचार करना है. हाल ही में एक कंसल्टेंसी लेटर में, सेबी ने मार्जिन आवश्यकताओं को बढ़ाने और व्यापारियों के लिए उपलब्ध ऑप्शन की संख्या को सीमित करने का सुझाव दिया था.
इन प्रस्तावित बदलाव का उद्देश्य बाजार की स्थिरता को बढ़ाना और सट्टा व्यापार के जोखिम को कम करना है. हितधारकों ने पिछले महीने इस कंसल्टेंसी लेटर पर अपने सुझाव प्रस्तुत किए थे, और बोर्ड बैठक के दौरान इन इनपुट की समीक्षा करेगा.
बाजार नियामक सेबी द्वारा सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 24 में 91 फीसदी से अधिक या 73 लाख व्यक्तिगत व्यापारियों ने फ्यूचर एंड ऑप्शन (एफएंडओ) सेगमेंट में पैसा खो दिया, जिसमें प्रति व्यक्ति औसत नेट घाटा 1.2 लाख रुपये था.
इसके अलावा, 1 करोड़ से ज्यादा व्यक्तिगत F&O ट्रेडर्स में से 93 फीसदी ने वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 24 तक तीन सालों में औसतन 2 लाख रुपये प्रति ट्रेडर (लेनदेन शुल्क सहित) खो दिए. इस दौरान ऐसे व्यापारियों का कुल घाटा 1.8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहा.