बेंगलुरू: कर्नाटक के युवा और आदिवासी कल्याण मंत्री बी नागेंद्र गुरुवार को इस्तीफा दे सकते हैं. वे भ्रष्टाचार के आरोपों में 12 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार से इस्तीफा देने वाले पहले मंत्री होंगे. उन्हें बुधवार को मुख्यमंत्री के आवास पर देखा गया था. चार बार विधायक रह चुके नागेंद्र कथित तौर पर कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम से 187.3 करोड़ रुपये अवैध रूप से कॉरपोरेट्स को ट्रांसफर करने में शामिल थे.
नागेंद्र पर कथित भ्रष्टाचार के आरोप उस समय लगे थे,जब निगम अधीक्षक चंद्रशेखरन ने 12 दिन पहले आत्महत्या कर ली थी और उन्होंने अपने सुसाइड नोट में उल्लेख किया था कि एक मंत्री ने उन्हें मौखिक रूप से निगम के अकाउंट से दूसरे अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया था.
सीबीआई ने दर्ज किया था केस
यह पैसा कथित तौर पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट में अवैध रूप से ट्रांसफर किया गया था. मामले में सीबीआई ने मामले में शिकायत दर्ज की थी. वहीं, राज्य सरकार की ओर से गठित विशेष जांच दल ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है.
गृहमंत्री डॉ जी परमेश्वर का बयान
मामले राज्य के गृहमंत्री डॉ जी परमेश्वर ने कहा था कि कानून में प्रावधान है कि सीबीआई 3 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के किसी भी मामले में स्वत संज्ञान ले सकती है. इसलिए सीबीआई ने इसे अपने हाथ में ले लिया है, लेकिन इस बात पर संदेह है कि क्या वह आदिवासी कल्याण विभाग की जांच कर सकती है, जो सहकारी क्षेत्र के अंतर्गत आता है.
सुसाइड नोट में निगम किसके नाम?
बता दें कि चंद्रशेखरन ने अपने सुसाइड नोट में निगम के एमडी जेजी पद्मनाभ और दो अन्य लोगों का नाम भी लिया था. इनमें अकाउंट ऑफिसर परशुराम दुरुगनवर और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की अधिकारी सुचिस्मिता रावल भी शामिल हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि मंत्री ने पैसे ट्रांसफर करने के लिए मौखिक आदेश जारी किए थे.
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