सोनीपत: पहलवानों का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. क्वालीफायर ट्रायल मुकाबले में पहलवान बजरंग पूनिया और रवि दहिया हारकर पेरिस ओलंपिक की रेस से बाहर हो गए. वहीं अपने भार वर्ग में विनेश फोगाट को भी हार का सामना करना पड़ा. हालांकि विनेश फोगाट 50 किलो भार वर्ग में ओलंपिक क्वालीफायर के लिए क्वालीफाई करने में कामयाब रही. खबर आई कि विनेश फोगाट ने क्वालीफाई मुकाबले में जमकर हंगामा किया. उन्होंने दो भार वर्ग में मुकाबला करने की जिद्द की. काफी हंगामे के बाद विनेश फोगाट ने दो भारवर्ग मुकाबलों में हिस्सा लिया. एक में वो हार गई. जबकि दूसरे में जीत हासिल कर पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में कामयाब रही.
पेरिस ओलंपिक ट्रायल में हंगामे की खबर पर बोली विनेश: इस पूरे मामले पर पहलवान विनेश फोगाट ने चुप्पी तोड़ी है. जिसमें विनेश फोगाट ने कहा कि "पेरिस ओलंपिक ट्रायल के लिए सुबह मैंने 50 किलो भार वर्ग कैटेगरी में वेट दे दिया. इसके बाद बोला गया कि 53 भार वर्ग में ट्रायल नहीं होंगे. इसलिए किसी को पता ही नहीं था कि 53 भार वर्ग में ट्रायल होगा. ये था कि सीधा नाम भेजा जाएगा. फिर पता चला कि 53 भार वर्ग के भी ट्रायल होने हैं. इसके बाद मैंने सोचा कि 50 किलो भार वर्ग में तो मेरा नाम है ही. 53 में भी मैं खेल सकती हूं. पहले ओलंपिक वेट की ट्रायल एक दिन होती थी और नॉन ओलंपिक वेट की ट्रायल अगले दिन होती थी. इसमें एथलीट दो भार वर्ग में खेलते थे. जैसे मैंने आज 50 किलो भार वर्ग में मैच खेला और कल 53 भार वर्ग में. अब जो कंपटीशन डायरेक्टर था. वो सुबह वेट पर नहीं था. एक घंटे लेट तो वो आया. गलती उनकी और एथलीट पर इसे थोप रहे हैं. जब कंपिटीशन डायरेक्टर आया तो एडहॉक के तीनों मेंबर नदारद थे. वो मेंबर आए हैं 12 या एक बजे. मैं कई बार अधिकारियों के पास गई कि जल्द ट्रायल शुरू करवाओ क्योंकि मैं वॉर्मअप करके बैठी हूं. इसके बाद वो सभी लोग इकट्ठा हुए और ट्रायल शुरू हुए. इस पूरे मामले में मुझे विलेन बना दिया गया. इसमें मेरी क्या गलती, मेरे हाथ में कोई पावर थोड़ी है. पावर तो उन लोगों के हाथ में है."
विनेश फोगाट ने जताई डोप टेस्ट में फंसाने की आशंका: पहलवान विनेश फोगाट ने ये भी आशंका जताई कि उन्हें डोप टेस्ट में फंसाने की तैयारी की जा रही है. डोप टेस्ट के बाद ही वो ट्रायल देने के लिए गई थी और ट्रायल के बाद उन्होंने डोप के सैंपल दिए हैं. विनेश फोगाट ने कहा कि उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि उन्हें डोप टेस्ट में फंसाया जाएगा. ताकि वो ओलंपिक में ना जा पाए. विनेश ने सरकार से मामले पारर्दशिता होने की गुहार लगाई है. विनेश कहा कि वो ओलंपिक की तैयारी कर रही है और ओलंपिक में मेडल जीतना ही उनका लक्ष्य है.
बजरंग पूनिया पर क्या बोली विनेश? पहलवान विनेश फोगाट ने कहा कि "कुश्ती का भविष्य सुधारने और कुछ अच्छा करने के लिए हमने आंदोलन शुरू किया था ताकि आने वाला भविष्य अच्छा उसके, लेकिन डेढ़ साल से कुश्ती में अच्छा नहीं चल रहा है. हम खुद भी ये बात मान रहे हैं कि जिसके लिए हम बैठे थे, वो नहीं कर पाए. जब कोई कुछ अच्छा करने के लिए कोई बैठता है, तो सबसे ज्यादा परेशानी धरने पर बैठने वालों को ही होती है. हम खुद पिछले डेढ़ साल से मानसिक रूप से परेशान चल रहे हैं. बजरंग पूनिया की हार का मुख्य कारण यही है कि पिछले डेढ़ साल से वो मानसिक रूप से परेशान हैं. इसलिए कुश्ती पर वो ध्यान नहीं दे पाए और ट्रायल हार गए. बजरंग ने लड़ाई सरकार और एक ऐसे आदमी के साथ की है कि उन्हें खुद नहीं पता कि अंजाम क्या होगा, लेकिन हम अपनी जान की बाजी लगाकर इस लड़ाई को जारी रखे हुए हैं. फैसला अब कोर्ट के हाथ में है"
पहलवान अंतिम पंघाल को बिना ट्रायल ओलंपिक का टिकट मिलने की खबर है. इस पर विनेश फोगाट ने कहा "हमारे बारे में कहा जा रहा है कि हम नेशनल गेम्स नहीं खेलना चाहते. जबकि मैं एक महीने पहले नेशनल भी खेली हूं. ये कहा जाता है कि हम ट्रायल नहीं देना चाहते, जबकि हमने ट्रायल भी दी हैं. हम सभी चीज करते आए हैं, की हैं और करते रहेंगे. जो अंतिल पहले हंगामा कर रही थी कि हमारा हक मार लिया. अब वो खुद किसी जूनियर का हक मार रही हैं. अब कहां गया वो फेयरनेस? गलती तब ना हमारी थी, गलती ना अब उसकी है, लेकिन जब हमारे टाइम में इतना हंगामा हुआ, तो आज सब चुप क्यों हैं? सामने आओ और ट्रायल दो. अनफिट हैं तो छोड़ दो, कोई जरूरत नहीं है."
'पेरिस ओलंपिक ट्रायल में बृजभूषण शरण का हाथ': विनेश फोगाट ने दावा किया फिलहाल जो ट्रायल ली गई है. उसमें बृजभूषण शरण का पूरा हाथ है. एडहॉक कमेटी और भारतीय कुश्ती संघ में अभी भी उसका दबदबा है. पहलवान विनेश फोगाट ने कहा कि बृजभूषण शरण पहलवानों को कुश्ती जगत में ही समाप्त करना चाहते हैं. इसी कारण वो पहलवानों का हक बार-बार दबा रहे हैं. विनेश फोगाट ने केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि मामले में जल्द से जल्द फैसला हो जाए, ताकि खिलाड़ी अपनी कुश्ती पर ध्यान दे सके. क्योंकि ओलंपिक में सबसे ज्यादा मेडल कुश्ती से ही जीते गए हैं. अब सही ढंग से टीम का चयन ना होना और सही खिलाड़ियों का ऊपर ना जाना. मेडल ना आने का सबसे बड़ा कारण है.
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