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कहानी हरियाणा की उस महिला सांसद की, जिसने लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी को दी मात - Woman MP Subhadra Joshi

Subhadra Joshi Defeated Atal Bihari Vajpayee: वैसे तो चुनाव में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी बहुत कम रही है, लेकिन जो महिलाएं अभी तक सांसद बनी हैं. उन्होंने दिग्गजों को पटखनी दी है. ऐसी ही एक महिला सांसद थी सुभद्रा जोशी. जिन्होंने उत्तर प्रदेश की बलरामपुर सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को हराकर सबको हैरान कर दिया था.

Subhadra Joshi Defeated Atal Bihari Vajpayee
Subhadra Joshi Defeated Atal Bihari Vajpayee
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Apr 12, 2024, 3:56 PM IST

सीनियर एडवोकेट की बाइट

पानीपत: चुनाव आयोग के मुताबिक 1957 में संसद में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 5.4 प्रतिशत थी. 2019 तक ये बढ़कर 14.4 प्रतिशत हुई. अब उम्मीद है कि ये भागीदारी और बढ़ेगी. वैसे तो चुनाव में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी बहुत कम रही है, लेकिन जो महिलाएं अभी तक सांसद बनी हैं. उन्होंने दिग्गजों को पटखनी दी है. ऐसी ही एक महिला सांसद थी सुभद्रा जोशी. जिन्होंने उत्तर प्रदेश की बलरामपुर सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को हराकर सबको हैरान कर दिया था.

करनाल लोकसभा सीट से जीता था पहला चुनाव: सुभद्रा जोशी ने अपना पहला चुनाव हरियाणा की लोकसभा सीट से जीता था. जिसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हरियाणा की करनाल लोकसभा सीट पहले पंजाब राज्य में आती थी. तब सुभद्रा जोशी इस सीट से जीतकर पहली बार सांसद बनी थी. साल 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें करनाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया. इस सीट पर सुभद्रा जोशी ने भारतीय जनसंघ के वीरेंद्र सत्यवादी को बड़ी मात दी.

सामाजिक कार्यों से लोकप्रिय हुई सुभद्रा जोशी: करनाल लोकसभा सीट से सुभद्रा जोशी पहली बार सांसद चुनी गई. इस जीत के बाद सुभद्रा जोशी ने अपने वक्तव्य और कार्यों से सबका मन जीत लिया. बता दें कि सुभद्रा जोशी का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ. उन्होंने अपनी शिक्षा भी पाकिस्तान से पूरी की, लेकिन बंटवारे के वक्त वो और उनका परिवार भारत आ गया. भारत आकर उन्होंने सामाजिक कार्यों को में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. जिसकी वजह से वो लोगों में लोकप्रिय हो गई.

करनाल के बाद कांग्रेस ने बलरामपुर सीट से दिया टिकट: 1962 में फिर से लोकसभा चुनाव का बिगुल बज उठा. कांग्रेस और भारतीय जनसंघ पार्टी के बीच फिर से चुनावी माहौल कड़ा हो गया. इस बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर सीट से अटल बिहारी वाजपेई को जनसंघ पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था. दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के पास उस समय कोई बड़ा चेहरा नहीं था, जो अटल बिहारी वाजपेई को हरा सके. तब कांग्रेस पार्टी ने करनाल से सांसद रही सुभद्रा जोशी पर दांव खेला और अटल बिहारी वाजपेई के सामने बलरामपुर से उन्हें चुनावी मैदान में उतार दिया.

सुभद्रा जोशी ने अलट बिहारी वाजपेयी को हराकर सबको चौंकाया: बलरामपुर में जनसंघ पार्टी के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेई का बोलबाला था. जब सुभद्रा जोशी ने वहां नामांकन दाखिल किया, तो चुनावी समीकरण एकदम उलट हो गए. जब परिणाम आए तो, हर कोई हैरान रह गया. क्योंकि जनसंघ के बड़े लीडर अटल बिहारी वाजपेई को सुभद्रा जोशी ने हरा दिया. लोकसभा चुनाव में हारने के बाद अटल बिहारी वाजपेई को राज्यसभा सांसद बनाया गया. इसके बाद से सुभद्रा जोशी की लोकप्रियता और बढ़ गई, लेकिन वो अगला चुनाव हार गई.

चांदनी चौक सीट से भी सांसद रही सुभद्रा जोशी: 1967 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेई ने सुभद्रा जोशी से अपनी हार का बदला लिया और उन्हें बलरामपुर की सीट से हरा दिया. 1971 में फिर लोकसभा चुनाव हुए कांग्रेस ने सुभद्रा जोशी को दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा. सुभद्रा जोशी ने कांग्रेस को फिर से जीत दिलाई. 1977 में सुभद्रा जोशी दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा से सिकंदर बख्त से हार गई. इसके बाद उन्होंने राजनीति से किनारा कर लिया. वो समाज सेवा में जुट गई.

डाक विभाग ने जारी किया था स्मारक टिकट: सुभद्रा जोशी का जन्म पाकिस्तान में 23 मार्च 1919 को हुआ था. उनके पिता वीएन दत्ता जयपुर राज्य में एक पुलिस अधिकारी थे. सुभद्रा जोशी गांधी जी के आदर्शों से काफी आकर्षित थी. 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया. सुभद्रा जोशी का 84 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद 2003 में राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया. समाजसेवी के रूप में उन्होंने अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया. उनकी कोई संतान नहीं थी. उनके काम को देखते हुए 23 मार्च 2011 को उनकी जयंती पर डाक विभाग द्वारा उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया था.

ये भी पढ़ें- 1977 का वो किस्सा जब हरियाणा में गिरफ्तारी के खिलाफ सड़क पर बैठ गईं इंदिरा गांधी, 3 साल में सत्ता में लौटी कांग्रेस - Indira Gandhi Protest in Faridabad

ये भी पढ़ें- एक लोकसभा चुनाव ऐसा भी, जब सुप्रीम कोर्ट में हुई थी वोटों की गिनती, हरियाणा की इस सीट पर बना इतिहास - LOK SABHA ELECTION 2024

सीनियर एडवोकेट की बाइट

पानीपत: चुनाव आयोग के मुताबिक 1957 में संसद में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 5.4 प्रतिशत थी. 2019 तक ये बढ़कर 14.4 प्रतिशत हुई. अब उम्मीद है कि ये भागीदारी और बढ़ेगी. वैसे तो चुनाव में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी बहुत कम रही है, लेकिन जो महिलाएं अभी तक सांसद बनी हैं. उन्होंने दिग्गजों को पटखनी दी है. ऐसी ही एक महिला सांसद थी सुभद्रा जोशी. जिन्होंने उत्तर प्रदेश की बलरामपुर सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को हराकर सबको हैरान कर दिया था.

करनाल लोकसभा सीट से जीता था पहला चुनाव: सुभद्रा जोशी ने अपना पहला चुनाव हरियाणा की लोकसभा सीट से जीता था. जिसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हरियाणा की करनाल लोकसभा सीट पहले पंजाब राज्य में आती थी. तब सुभद्रा जोशी इस सीट से जीतकर पहली बार सांसद बनी थी. साल 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें करनाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया. इस सीट पर सुभद्रा जोशी ने भारतीय जनसंघ के वीरेंद्र सत्यवादी को बड़ी मात दी.

सामाजिक कार्यों से लोकप्रिय हुई सुभद्रा जोशी: करनाल लोकसभा सीट से सुभद्रा जोशी पहली बार सांसद चुनी गई. इस जीत के बाद सुभद्रा जोशी ने अपने वक्तव्य और कार्यों से सबका मन जीत लिया. बता दें कि सुभद्रा जोशी का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ. उन्होंने अपनी शिक्षा भी पाकिस्तान से पूरी की, लेकिन बंटवारे के वक्त वो और उनका परिवार भारत आ गया. भारत आकर उन्होंने सामाजिक कार्यों को में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. जिसकी वजह से वो लोगों में लोकप्रिय हो गई.

करनाल के बाद कांग्रेस ने बलरामपुर सीट से दिया टिकट: 1962 में फिर से लोकसभा चुनाव का बिगुल बज उठा. कांग्रेस और भारतीय जनसंघ पार्टी के बीच फिर से चुनावी माहौल कड़ा हो गया. इस बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर सीट से अटल बिहारी वाजपेई को जनसंघ पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था. दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के पास उस समय कोई बड़ा चेहरा नहीं था, जो अटल बिहारी वाजपेई को हरा सके. तब कांग्रेस पार्टी ने करनाल से सांसद रही सुभद्रा जोशी पर दांव खेला और अटल बिहारी वाजपेई के सामने बलरामपुर से उन्हें चुनावी मैदान में उतार दिया.

सुभद्रा जोशी ने अलट बिहारी वाजपेयी को हराकर सबको चौंकाया: बलरामपुर में जनसंघ पार्टी के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेई का बोलबाला था. जब सुभद्रा जोशी ने वहां नामांकन दाखिल किया, तो चुनावी समीकरण एकदम उलट हो गए. जब परिणाम आए तो, हर कोई हैरान रह गया. क्योंकि जनसंघ के बड़े लीडर अटल बिहारी वाजपेई को सुभद्रा जोशी ने हरा दिया. लोकसभा चुनाव में हारने के बाद अटल बिहारी वाजपेई को राज्यसभा सांसद बनाया गया. इसके बाद से सुभद्रा जोशी की लोकप्रियता और बढ़ गई, लेकिन वो अगला चुनाव हार गई.

चांदनी चौक सीट से भी सांसद रही सुभद्रा जोशी: 1967 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेई ने सुभद्रा जोशी से अपनी हार का बदला लिया और उन्हें बलरामपुर की सीट से हरा दिया. 1971 में फिर लोकसभा चुनाव हुए कांग्रेस ने सुभद्रा जोशी को दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा. सुभद्रा जोशी ने कांग्रेस को फिर से जीत दिलाई. 1977 में सुभद्रा जोशी दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा से सिकंदर बख्त से हार गई. इसके बाद उन्होंने राजनीति से किनारा कर लिया. वो समाज सेवा में जुट गई.

डाक विभाग ने जारी किया था स्मारक टिकट: सुभद्रा जोशी का जन्म पाकिस्तान में 23 मार्च 1919 को हुआ था. उनके पिता वीएन दत्ता जयपुर राज्य में एक पुलिस अधिकारी थे. सुभद्रा जोशी गांधी जी के आदर्शों से काफी आकर्षित थी. 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया. सुभद्रा जोशी का 84 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद 2003 में राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया. समाजसेवी के रूप में उन्होंने अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया. उनकी कोई संतान नहीं थी. उनके काम को देखते हुए 23 मार्च 2011 को उनकी जयंती पर डाक विभाग द्वारा उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया था.

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