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महिलाएं इस फल को क्यों नहीं काटतीं, जानें इसके पीछे की वजह - Religious Beliefs

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 17, 2024, 3:31 PM IST

Pumpkin Religious Beliefs: हिंदू धर्म में कद्दू का बहुत महत्व है. इसे कुछ धार्मिक अनुष्ठान में पशु की बलि की तरह चढ़ाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के कारण देश के कुछ हिस्सों में महिलाएं कद्दू नहीं काटती हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (Etv Bharat)

हैदराबाद: कद्दू को सब्जी और फल दोनों रूप में उपयोग किया जाता है. इसे काशीफल, कोहड़ा, कुम्हड़ा, पेठा आदि नामों से भी जाना जाता है. कद्दू स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होता है. इसके अलावा इसका धार्मिक महत्व भी है. हिंदू धर्म में मान्यताओं के अनुसार, धार्मिक अनुष्ठान में अगर पशु की बलि की जगह कद्दू काटा जाता है तो उसे भी पशु बलि के समान माना जाता है.

यही वजह है कि कद्दू काटने को लेकर भी कई तरह की मान्यताएं हैं. भारत के कई हिस्सों में महिलाएं कद्दू नहीं काटती हैं. मान्यता के अनुसार, घर का कोई पुरुष ही पहले कद्दू को काटेगा और फिर महिलाएं इसे काट सकती हैं.

Pumpkin Religious Beliefs
कद्दू (ANI)

अब आप सोच रहे होंगे कि महिलाएं कद्दू को काट क्यों नहीं सकती हैं. क्यों पुरुष ही पहले कद्दू को काटते हैं. दरअसल, ऐसी मान्यता है कि कद्दू बड़े बेटे के समान होता है. महिलाएं घर की गृहणी होने के नाते बड़े बेटे को नुकसान नहीं पहुंचा सकती हैं, जिस कारण वे कद्दू नहीं काटती हैं.

इसके अलावा कद्दू को बलिदान का प्रतीक माना जाता है. हिंदू धर्म में मान्यता के अनुसार, पुरुष ही बलिदान का काम करते हैं. जिस कारण पुरुष ही पहले कद्दू काटते हैं. यही वजह है कि बाजार में अक्सर कटे हुए कद्दू बिकते हैं या लोग खरीदते समय ही कद्दू कटवा लेते हैं और फिर घर लाते हैं.

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.)

यह भी पढ़ें- सिर्फ प्यार का सिंबल नहीं है गुलाब, स्किन से लेकर डिप्रेशन तक, इन समस्याओं में आता है काम

हैदराबाद: कद्दू को सब्जी और फल दोनों रूप में उपयोग किया जाता है. इसे काशीफल, कोहड़ा, कुम्हड़ा, पेठा आदि नामों से भी जाना जाता है. कद्दू स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होता है. इसके अलावा इसका धार्मिक महत्व भी है. हिंदू धर्म में मान्यताओं के अनुसार, धार्मिक अनुष्ठान में अगर पशु की बलि की जगह कद्दू काटा जाता है तो उसे भी पशु बलि के समान माना जाता है.

यही वजह है कि कद्दू काटने को लेकर भी कई तरह की मान्यताएं हैं. भारत के कई हिस्सों में महिलाएं कद्दू नहीं काटती हैं. मान्यता के अनुसार, घर का कोई पुरुष ही पहले कद्दू को काटेगा और फिर महिलाएं इसे काट सकती हैं.

Pumpkin Religious Beliefs
कद्दू (ANI)

अब आप सोच रहे होंगे कि महिलाएं कद्दू को काट क्यों नहीं सकती हैं. क्यों पुरुष ही पहले कद्दू को काटते हैं. दरअसल, ऐसी मान्यता है कि कद्दू बड़े बेटे के समान होता है. महिलाएं घर की गृहणी होने के नाते बड़े बेटे को नुकसान नहीं पहुंचा सकती हैं, जिस कारण वे कद्दू नहीं काटती हैं.

इसके अलावा कद्दू को बलिदान का प्रतीक माना जाता है. हिंदू धर्म में मान्यता के अनुसार, पुरुष ही बलिदान का काम करते हैं. जिस कारण पुरुष ही पहले कद्दू काटते हैं. यही वजह है कि बाजार में अक्सर कटे हुए कद्दू बिकते हैं या लोग खरीदते समय ही कद्दू कटवा लेते हैं और फिर घर लाते हैं.

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.)

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