नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुधवार को बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया. यह भारत को विश्व में एक प्रमुख शक्ति के रूप में पेश करने के लिए सॉफ्ट पावर का लाभ उठाने की नई दिल्ली की विदेश नीति का एक और प्रयास दर्शाता है. बिहार के राजगीर में नए परिसर का उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षा के विकास से अर्थव्यवस्था और संस्कृति की जड़ें गहरी होती हैं. यह बात वैश्विक अनुभव और विकसित देशों के अनुभव से साबित होती है.
उन्होंने कहा, 'भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के अपने लक्ष्य पर काम कर रहा है और अपनी शिक्षा प्रणाली में बदलाव कर रहा है. मेरा मिशन है कि भारत दुनिया के लिए शिक्षा और ज्ञान का केंद्र बने. मेरा मिशन है कि भारत को फिर से दुनिया के सबसे प्रमुख ज्ञान केंद्र के रूप में पहचाना जाए.' इस अवसर पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि नए परिसर का उद्घाटन वैश्विक शिक्षा के क्षेत्र में पुनरुद्धार है, जो अतीत की तुलना में संबंधों को और भी मजबूत कर सकता है. जयशंकर ने कहा, 'शिक्षा, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण अंतरराष्ट्रीय समझ को बढ़ावा देने के सबसे प्रभावी तरीके हैं. यह एक विशेष प्रतिबद्धता है जो हम सभी को ग्लोबल साउथ के प्रति रखनी चाहिए.'
जी-20 अंतर-सरकारी मंच की अपनी हालिया अध्यक्षता के दौरान, भारत खुद को ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में पेश करना शुरू किया. पिछले साल सितंबर में नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान, भारत ने अफ्रीकी संघ को अंतर-सरकारी मंच में शामिल करने की पहल की थी. इसमें पहले 19 संप्रभु राष्ट्र और यूरोपीय संघ शामिल थे. ये वैश्विक अर्थव्यवस्था से संबंधित प्रमुख मुद्दों जैसे कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास को संबोधित करने के लिए काम करते हैं. अफ्रीकी देश ग्लोबल साउथ के अधिकांश देशों का हिस्सा हैं. जयशंकर ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन समूह के प्रति भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता की प्राप्ति का भी प्रतीक है.
उन्होंने कहा, 'यह उस गंभीरता को दर्शाता है जिसके साथ हम अपनी एक्ट ईस्ट नीति का पालन करते हैं लेकिन सबसे बढ़कर, यह भारत के विश्व बंधु के रूप में उभरने के प्रयास को रेखांकित करता है. ये अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर दोस्ती और सहयोग का हाथ बढ़ाता है. ऐसा करके, हम सभ्यतागत संबंधों के कायाकल्प, हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत के उत्सव और हमारे अस्तित्व की अपार विविधता की सराहना में योगदान करते हैं.'
आधुनिक नालंदा विश्वविद्यालय की परिकल्पना भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) देशों के बीच सहयोग के रूप में की गई है. राष्ट्रीय महत्व (INI) और उत्कृष्टता के संस्थान के रूप में नामित यह भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की प्रमुख परियोजना है. उद्घाटन समारोह में 17 देशों के मिशन प्रमुखों सहित कई प्रतिष्ठित लोग शामिल हुए.
भारत में चीनी राजदूत जू फेइहोंग ने एक्स पर एक संदेश में कहा, 'नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन पर बधाई, जो पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण परिणाम है! मैं कामना करता हूं कि इससे इस क्षेत्र में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिले.'
यही बात मायने रखती है. कोई देश सिर्फ अपनी आर्थिक और सैन्य ताकत का प्रदर्शन करके खुद को एक बड़ी शक्ति के रूप में पेश नहीं कर सकता. भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है और भूराजनीति में एक उभरता हुआ राष्ट्र है. भारत जी-20, ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) और क्वाड जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों का सदस्य है. इसमें अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं, जो इस क्षेत्र में चीन के आधिपत्य के सामने एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत के लिए काम कर रहा है.
2014 में केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत दुनिया में एक प्रमुख शक्ति के रूप में भारत की स्वीकार्यता सुनिश्चित करने के लिए सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी का लाभ उठा रही है. भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत, जिसमें भाषा, धर्म, कला और परंपराएं शामिल हैं, सॉफ्ट पावर की आधारशिला है. विदेशों में भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार त्यौहारों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और भारतीय नृत्य, संगीत, सिनेमा और व्यंजनों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियों के माध्यम से किया जाता है.
योग और आयुर्वेद भारत की सांस्कृतिक कूटनीति के महत्वपूर्ण घटक हैं. 21 जून को प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2015 में अपनी शुरुआत के बाद से एक वैश्विक कार्यक्रम बन गया है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित यह पहल भारत के सांस्कृतिक प्रभाव को रेखांकित करती है. स्वास्थ्य के प्रति अपने समग्र दृष्टिकोण के साथ आयुर्वेद को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल रही है, जिससे भारत की सॉफ्ट पावर और बढ़ रही है.
शिक्षा क्षेत्र में भारत विकासशील देशों खासकर अफ्रीका और एशिया के छात्रों को विभिन्न छात्रवृत्तियां और विनिमय कार्यक्रम प्रदान करता है. भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग ((ITEC) और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) छात्रवृत्ति जैसे कार्यक्रम शैक्षिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करते हैं, जिससे भारत के प्रति सद्भावना बढ़ती है. नालंदा विश्वविद्यालय के खुलने से शिक्षा क्षेत्र में भारत की सॉफ्ट पावर का लाभ उठाने की क्षमता और बढ़ गई है.
शिलांग स्थित एशियन कॉन्फ्लुएंस थिंक टैंक के फेलो के योमे ने ईटीवी भारत को बताया, 'नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करके भारत संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में पूर्वी एशिया के देशों के लोगों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है. इस संबंध में उन्होंने अमेरिकी शिक्षा प्रणाली का उल्लेख किया जो विश्व के सभी कोनों से लोगों को आकर्षित करती है तथा हॉलीवुड फिल्मों की लोकप्रियता का भी उल्लेख किया.
उन्होंने कहा, 'जब तक आप ऐसे शैक्षिक केंद्र नहीं बनाते जो विभिन्न देशों के लोगों को आकर्षित करें, तब तक आप स्वयं को एक प्रमुख शक्ति के रूप में पेश नहीं कर सकते.' इस संबंध में उन्होंने बताया कि किस प्रकार पीएम मोदी अपनी विदेश यात्राओं के दौरान भारतीय प्रवासियों के साथ बातचीत करते हैं तथा भारतीय सम्पर्क वाले सांस्कृतिक स्थलों का दौरा करते हैं. होम ने कहा, 'मोदी सरकार दूसरे देशों के साथ ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही है. नालंदा विश्वविद्यालय मौजूदा विदेश नीति के साथ बहुत अच्छी तरह से फिट बैठता है.'