नई दिल्ली: हमास और हिजबुल्लाह के नेताओं की हत्या के कारण इजरायल-लेबनान सीमा सहित पूरे मध्य पूर्व में तनाव बढ़ गया है. इस बीच इस्माइल हनिया की मौत के बाद लेबनान में मौजूद भारतीय दूतावास ने इंडियन सिटिजन्स को सावधानी बरतने की सलाह दी है और एंबेसी से संपर्क करने के लिए इमरजेंसी नंबर भी जारी कर दिया है.
बता दें कि लेबनान में करीब 4,000 भारतीय नागरिक हैं, जो अलग-अलग कंपनियों, निर्माण क्षेत्रों और कृषि फार्मों में काम करते हैं. इसके अलावा लेबनान में 900 कर्मी में मौजूद है. यह सैन्य कर्मी 1998 में लेबनान में भेजे गए थे. हालांकि, सवाल यह है कि आखिर भारतीय सैनिक लेकिन लेबनान सीमा पर क्या कर रहे हैं?
इजरायल- सीरिया सीमा पर भी 200 सैनिक
लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (UNIFIL) के तहत लगभग 900 भारतीयों को इजरायल-लेबनान सीमा पर तैनात किया गया है. इतना ही नहीं इजरायल और सीरिया के बीच गोलान हाइट्स पर भी यूएन डिसइंगेजमेंट फोर्स (UNDOF) के तह 200 अन्य भारतीय सैनिक तैनात हैं.
1978 से भेजे जा रहे सुरक्षा बल
UNIFIL में मौजूद भारतीय सैनिक 110 किलोमीटर लंबी ब्लू लाइन पर तैनात हैं, जिस पर पहले भी इजरायल और हिजबुल्लाह बलों के बीच भयंकर टकराव हो चुका है. दरअसल, भारतीय सैनिकों वाली यूएन बल को 1978 से ही इस क्षेत्र में भेजा जा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में भारतीय सैनिक
बता दें कि भारत ने 1948 से ही संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता बनाए रखी है. वास्तव में भारत सेना भेजने वाले देशों में पांचवां सबसे बड़ा देश है. आज तक भारत ने दुनिया भर में विभिन्न शांति मिशनों में 2,87,000 से अधिक भारतीयों को भेजा है. आज भी लगभग 6 हजार भारतीय शांति सैनिक अफ्रीका और एशिया के संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्रों में सेवा कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में भारत का योगदान 1950 के दशक में संयुक्त राष्ट्र अभियान में इसकी भागीदारी के साथ शुरू हुआ था, जहां कोरिया में युद्धबंदियों पर गतिरोध को हल करने में भारत की मध्यस्थ भूमिका के कारण युद्धविराम पर हस्ताक्षर हुए और कोरियाई युद्ध समाप्त हुआ.
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