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क्या है वायरल मायोकार्डिटिस, जो ले सकता है आपकी जान? दिल के लिए कितना घातक है यह? जानें - viral myocarditis - VIRAL MYOCARDITIS

What is Viral Myocarditis: वायरल मायोकार्डिटिस हार्ट में होने वाली गंभीर समस्या है. वायरल मायोकार्डिटिस के कारण मरीज की हार्ट मांसपेशी (मायोकार्डियम) में सूजन हो जाती है. अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए तो यह आपके लिए घातक हो सकती है.

दिल के लिए कितना घातक है वायरल मायोकार्डिटिस
दिल के लिए कितना घातक है वायरल मायोकार्डिटिस (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 6, 2024, 1:40 PM IST

नई दिल्ली: दिल से जुड़ी बीमारियों और इनकी वजह से होने वाली मौत का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. हमारी बदलती लाइफस्टाइल और असंतुलित खानपान का सीधा असर हार्ट की हेल्थ पर पड़ता है. आज के समय में दिल की बीमारी न सिर्फ बुजुर्गों में बल्कि युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही हैं. हार्ट हमारे शरीर का एक ऐसा अंग है, जो 24 घंटे बिना रुके काम करता है. ऐसे में अच्छी सेहत के लिए जरूरी है कि दिल की हेल्थ का भी ख्याल रखा जाए.

क्या आप जानते हैं कि हार्ट अटैक और ब्लड प्रेशर से जुड़ी बीमारियों के साथ-साथ वायरल मायोकार्डिटिस भी हार्ट में होने वाली गंभीर समस्या है. अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो इससे आपकी जान भी जा सकती है. हैदराबाद स्थित रेनोवा हॉस्पीटल के कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ राजेश के मुताबिक वायरल मायोकार्डिटिस की चलते हार्ट में सूजन हो जाती है और दिल की धड़कनों में अनियिमता होने लगती है. उन्होंने बताया कि वायरल मायोकार्डिटिस होने पर मरीज की जान भी जा सकती है.

क्या होता वायरल मायोकार्डिटिस?
वायरल मायोकार्डिटिस के कारण मरीज की हार्ट मांसपेशी (मायोकार्डियम) में सूजन हो जाती है. यह सभी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर हृदय संबंधी जटिलताओं का कारण बन सकता है. इस स्थिति को प्रभावी ढंग से निपटने के लिए इसके कारणों, लक्षणों और इलाज के विकल्पों को समझना काफी महत्वपूर्ण है. मायोकार्डियम हार्ट के फंक्शन करने लिए जरूरी है और इसमें सूजन होने से हार्ट की ब्लड को पंप करने की क्षमता खराब हो सकती है.

वायरल मायोकार्डिटिस के कारण
हार्ट में वायरल मायोकार्डिटिस की समस्या आमतौर पर वायरस के कारण होती है. इनमें एंटरोवायरस मायोकार्डिटिस, एडेनोवायरस मायोकार्डिटिस और कॉक्ससैकीवायरस मायोकार्डिटिस शामिल हैं. वायरल मायोकार्डिटिस की समस्या आम तौर पर एंटरोवायरस मायोकार्डिटिस के कारण होती है. एंटरोवायरस अत्यधिक संक्रामक होते हैं. यह श्वसन बूंदों, दूषित भोजन- पानी और फिजिकल कॉन्टैक्ट के माध्यम से फैलते हैं. एक बार जब वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो यह रक्तप्रवाह के माध्यम से हृदय तक पहुंच सकता है, जहां यह आक्रमण करता है और मायोकार्डियल कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे हार्ट में सूजन होने लगती है.

एडेनोवायरस वायरस भी वायरल मायोकार्डिटिस का कारण बनता है. ये वायरस आमतौर पर श्वसन संक्रमण का कारण बनते हैं और ये हृदय को भी प्रभावित कर सकते हैं. एडेनोवायरस मायोकार्डिटिस अक्सर युवा व्यक्तियों में देखा जाता है और कुछ मामलों में गंभीर हो सकता है. एडेनोवायरस विशेष रूप से बच्चों में प्रचलित हैं और स्कूलों और डेकेयर सेंटर जैसी जगहों पर फैल सकते हैं.

वहीं, कॉक्ससैकीवायरस एक प्रकार का एंटरोवायरस है जो विशेष रूप से मायोकार्डिटिस पैदा करने के लिए कुख्यात है. इसके दो प्रकार हैं, कॉक्ससैकीवायरस ए और बी, कॉक्ससैकीवायरस बी आमतौर पर हृदय की सूजन से जुड़ा होता है. ये वायरस हाथ, पैर और मुंह की बीमारी और मायोकार्डिटिस सहित विभिन्न बीमारियों के लिए जाने जाते हैं.

वायरल मायोकार्डिटिस के लक्षण
वायरल मायोकार्डिटिस के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं. इन लक्षणों को जल्दी पहचानना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे मरीज का इलाज जल्दी शुरू किया जा सकता है. वायरल मायोकार्डिटिस होने पर आम तौर पर सीने में दर्द, थकान, सांस लेने में तकलीफ और दिल की धड़कने अनियमित होने लगती हैं.

वायरल मायोकार्डिटिस के इफेक्ट
वायरल मायोकार्डिटिस होने पर हार्ट की पंपिंग कैपेबलिटी कम हो जाती है, जिससे हार्ट फेलियर हो जाता है. इसके अलावा वायरल मायोकार्डिटिस होने पर हार्ट अचानक शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता और इससे अंग विफलता हो सकता है. इतना ही नहीं इससे अचानक हृदय गति भी रुक ​​सकती है.

वायरल मायोकार्डिटिस का इलाज?
वायरल मायोकार्डिटिस से बचने के लिए जरूरी है कि उसके लक्षण दिखते ही अपना इलाज करवाएं. वायरल मायोकार्डिटिस के रोगियों को अक्सर हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव करने की सलाह दी जाती है इनमें पर्याप्त आराम, सही आहार और एक्सरसाइज शामिल हैं. गौरतलब है कि वायरल मायोकार्डिटिस के गंभीर मामलों में इंट्रावेनस मेडिकेशन, मैकेनिकल सर्कूलेटरी सपोर्ट और हार्ट ट्रांसप्लांट की भी जरूरत पड़ सकती है.

ऊपर दी गई जानकारी मेडिकवर हॉस्पिटल की वेबसाइट से ली गई है.

यह भी पढ़ें- सेहत पर भारी पड़ सकता है गलत तरीके से सोना, हार्ट रोग की हो सकती है समस्या, जानें क्या है सही स्लीपिंग पोजिशन?

नई दिल्ली: दिल से जुड़ी बीमारियों और इनकी वजह से होने वाली मौत का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. हमारी बदलती लाइफस्टाइल और असंतुलित खानपान का सीधा असर हार्ट की हेल्थ पर पड़ता है. आज के समय में दिल की बीमारी न सिर्फ बुजुर्गों में बल्कि युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही हैं. हार्ट हमारे शरीर का एक ऐसा अंग है, जो 24 घंटे बिना रुके काम करता है. ऐसे में अच्छी सेहत के लिए जरूरी है कि दिल की हेल्थ का भी ख्याल रखा जाए.

क्या आप जानते हैं कि हार्ट अटैक और ब्लड प्रेशर से जुड़ी बीमारियों के साथ-साथ वायरल मायोकार्डिटिस भी हार्ट में होने वाली गंभीर समस्या है. अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो इससे आपकी जान भी जा सकती है. हैदराबाद स्थित रेनोवा हॉस्पीटल के कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ राजेश के मुताबिक वायरल मायोकार्डिटिस की चलते हार्ट में सूजन हो जाती है और दिल की धड़कनों में अनियिमता होने लगती है. उन्होंने बताया कि वायरल मायोकार्डिटिस होने पर मरीज की जान भी जा सकती है.

क्या होता वायरल मायोकार्डिटिस?
वायरल मायोकार्डिटिस के कारण मरीज की हार्ट मांसपेशी (मायोकार्डियम) में सूजन हो जाती है. यह सभी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर हृदय संबंधी जटिलताओं का कारण बन सकता है. इस स्थिति को प्रभावी ढंग से निपटने के लिए इसके कारणों, लक्षणों और इलाज के विकल्पों को समझना काफी महत्वपूर्ण है. मायोकार्डियम हार्ट के फंक्शन करने लिए जरूरी है और इसमें सूजन होने से हार्ट की ब्लड को पंप करने की क्षमता खराब हो सकती है.

वायरल मायोकार्डिटिस के कारण
हार्ट में वायरल मायोकार्डिटिस की समस्या आमतौर पर वायरस के कारण होती है. इनमें एंटरोवायरस मायोकार्डिटिस, एडेनोवायरस मायोकार्डिटिस और कॉक्ससैकीवायरस मायोकार्डिटिस शामिल हैं. वायरल मायोकार्डिटिस की समस्या आम तौर पर एंटरोवायरस मायोकार्डिटिस के कारण होती है. एंटरोवायरस अत्यधिक संक्रामक होते हैं. यह श्वसन बूंदों, दूषित भोजन- पानी और फिजिकल कॉन्टैक्ट के माध्यम से फैलते हैं. एक बार जब वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो यह रक्तप्रवाह के माध्यम से हृदय तक पहुंच सकता है, जहां यह आक्रमण करता है और मायोकार्डियल कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे हार्ट में सूजन होने लगती है.

एडेनोवायरस वायरस भी वायरल मायोकार्डिटिस का कारण बनता है. ये वायरस आमतौर पर श्वसन संक्रमण का कारण बनते हैं और ये हृदय को भी प्रभावित कर सकते हैं. एडेनोवायरस मायोकार्डिटिस अक्सर युवा व्यक्तियों में देखा जाता है और कुछ मामलों में गंभीर हो सकता है. एडेनोवायरस विशेष रूप से बच्चों में प्रचलित हैं और स्कूलों और डेकेयर सेंटर जैसी जगहों पर फैल सकते हैं.

वहीं, कॉक्ससैकीवायरस एक प्रकार का एंटरोवायरस है जो विशेष रूप से मायोकार्डिटिस पैदा करने के लिए कुख्यात है. इसके दो प्रकार हैं, कॉक्ससैकीवायरस ए और बी, कॉक्ससैकीवायरस बी आमतौर पर हृदय की सूजन से जुड़ा होता है. ये वायरस हाथ, पैर और मुंह की बीमारी और मायोकार्डिटिस सहित विभिन्न बीमारियों के लिए जाने जाते हैं.

वायरल मायोकार्डिटिस के लक्षण
वायरल मायोकार्डिटिस के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं. इन लक्षणों को जल्दी पहचानना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे मरीज का इलाज जल्दी शुरू किया जा सकता है. वायरल मायोकार्डिटिस होने पर आम तौर पर सीने में दर्द, थकान, सांस लेने में तकलीफ और दिल की धड़कने अनियमित होने लगती हैं.

वायरल मायोकार्डिटिस के इफेक्ट
वायरल मायोकार्डिटिस होने पर हार्ट की पंपिंग कैपेबलिटी कम हो जाती है, जिससे हार्ट फेलियर हो जाता है. इसके अलावा वायरल मायोकार्डिटिस होने पर हार्ट अचानक शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता और इससे अंग विफलता हो सकता है. इतना ही नहीं इससे अचानक हृदय गति भी रुक ​​सकती है.

वायरल मायोकार्डिटिस का इलाज?
वायरल मायोकार्डिटिस से बचने के लिए जरूरी है कि उसके लक्षण दिखते ही अपना इलाज करवाएं. वायरल मायोकार्डिटिस के रोगियों को अक्सर हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव करने की सलाह दी जाती है इनमें पर्याप्त आराम, सही आहार और एक्सरसाइज शामिल हैं. गौरतलब है कि वायरल मायोकार्डिटिस के गंभीर मामलों में इंट्रावेनस मेडिकेशन, मैकेनिकल सर्कूलेटरी सपोर्ट और हार्ट ट्रांसप्लांट की भी जरूरत पड़ सकती है.

ऊपर दी गई जानकारी मेडिकवर हॉस्पिटल की वेबसाइट से ली गई है.

यह भी पढ़ें- सेहत पर भारी पड़ सकता है गलत तरीके से सोना, हार्ट रोग की हो सकती है समस्या, जानें क्या है सही स्लीपिंग पोजिशन?

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