कोलकाता: राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली राजभवन की महिला कर्मचारी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि वह न्याय के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखेंगी. महिला ने अपनी पहचान छिपाए बिना राजभवन की असंपादित फुटेज जारी किए जाने पर भी नाराजगी जताई.
पिछले कुछ दिनों से राज्य में राज्यपाल पर छेड़छाड़ के गंभीर आरोप लगने का मामला गर्म है. महिला संविदा कर्मी की शिकायत के बाद गुरुवार को राजभवन की ओर से करीब 1 घंटे 20 मिनट का वीडियो फुटेज जारी किया गया. इसके अगले दिन शिकायतकर्ता ने कहा कि वह इस संबंध में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग करेंगी. महिला कार्यकर्ता ने यह भी सवाल किया कि राजभवन द्वारा जारी असंपादित फुटेज में उनका चेहरा धुंधला या अस्पष्ट क्यों नहीं था.
कथित पीड़िता ने कहा कि वह कोलकाता पुलिस से ज्यादा उम्मीद नहीं रख सकती क्योंकि राज्यपाल को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है. कर्मचारी ने यह भी कहा कि वह गंभीर अवसाद से गुजर रही है और राष्ट्रपति को पत्र लिखना ही न्याय पाने का एकमात्र तरीका है.
महिला ने कहा कि 'मैं जानती हूं कि संवैधानिक छूट के कारण वर्तमान राज्यपाल को कुछ नहीं होगा. लेकिन उसने जो अपराध किया है उसका क्या? मैंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर उनसे हस्तक्षेप की मांग करने का फैसला किया है. मैं उन्हें न्याय दिलाने के लिए लिख रही हूं, किसी अन्य कारण से नहीं.'
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगने की योजना बनाई है, शिकायतकर्ता ने कहा कि घटना उस दिन हुई जब प्रधानमंत्री को राजभवन में होना था. उन्होंने कहा कि 'जब मैं दर्द से कराह रही थी और विरोध कर रही थी तो पीएम के सुरक्षाकर्मियों ने मेरा दर्द देखा. हालांकि मेरा मानना है कि उन्होंने पीएम मोदी को जानकारी दी. लेकिन मुझे उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला. उन्हें लिखना अब व्यर्थ लगता है.'
कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) में मास्टर डिग्री रखने वाली महिला कर्मी ने यह भी कहा कि वह राज्यपाल के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के बाद से जिस अवसाद से गुजर रही हैं, उससे उबरने के लिए थेरेपी पर भी विचार कर रही हैं.'
'मैं डिप्रेशन में हूं': उन्होंने कहा कि 'मैं डिप्रेशन और अपमान से पीड़ित हूं. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा. यह मेरे और मेरे बूढ़े माता-पिता के लिए एक दुःस्वप्न है.' उन्होंने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा, 'उन्होंने (राज्यपाल ने) बहुत घटिया काम किया है. फिर वह पर्दा डालने के लिए बेतुका नाटक कर रहे हैं. उन्होंने फ़ुटेज जारी करने से पहले कभी मेरी अनुमति नहीं ली. यह हमारे कानून का उल्लंघन है, क्योंकि पहचान गोपनीय रखनी चाहिए थी.'
कोलकाता पुलिस ने 3 को तलब किया : इस बीच, कोलकाता पुलिस ने छेड़छाड़ के आरोप की जांच करते हुए राजभवन के एक सचिव और एक डॉक्टर समेत कुल तीन लोगों को तलब किया है. सूत्रों के मुताबिक उन्हें इसी हफ्ते बुलाया गया है. आरोपों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल या एसआईटी के सदस्य उनसे पूछताछ करेंगे.
कोलकाता पुलिस के खुफिया विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'हमने राजभवन के सीसीटीवी फुटेज का अवलोकन किया है और हमने राजभवन के कई कर्मचारियों की तस्वीरें देखी हैं. ये सभी कर्मचारी शिकायतकर्ता महिला के साथ देखे गए हैं. इसलिए यह जानना जरूरी है कि घटना वाले दिन वास्तव में क्या हुआ था और शिकायतकर्ता ने कहां शिकायत की थी.'
अधिकारी ने कहा कि 'साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि सचिव और राजभवन के तीन कर्मचारियों को इस बारे में पहले से कुछ पता था या नहीं.' कोलकाता पुलिस सचिव और कर्मचारियों के वीडियो का स्क्रीनशॉट लेकर राजभवन भेज चुकी है.
ये है मामला : गौरतलब है कि कुछ दिन पहले महिला ने कोलकाता के हेयर स्ट्रीट थाने में जाकर राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत की थी. इसके बाद कोलकाता पुलिस मुख्यालय लालबाजार ने आरोप की जांच के लिए डीसी सेंट्रल इंदिरा मुखर्जी के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल का गठन किया. हालांकि राज्यपाल को संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त है, फिर भी जांच की भूमिका पर सवाल उठाया गया है.
हालांकि, पुलिस हेड ने स्पष्ट किया कि इस घटना में किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ कोई जांच नहीं की जा रही है. बल्कि यह जांच यह पता लगाने के लिए की जा रही है कि घटना हुई थी या नहीं. इसलिए ओसी राजभवन से सीसीटीवी फुटेज मांगा गया था. कोलकाता पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज मिलने के बाद इन तीनों लोगों की पहचान की और उन्हें बुलाया.