चंडीगढ़ : हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर शनिवार को हुई वोटिंग के बाद मतदान प्रतिशत बढ़कर 67.90 हो गया है. लोकसभा चुनाव के बाद ये दूसरा मौका है जब हरियाणा में पार्टियों के बीच जोरदार टक्कर देखने को मिल रही है. विधानसभा चुनाव के दंगल को जीतने के लिए बीजेपी-कांग्रेस समेत सभी पार्टियों ने अपना पूरा दमखम लगा दिया था. हरियाणा में वैसे तो टक्कर बीजेपी और कांग्रेस के बीच है लेकिन यहां दूसरी बड़ी रीजनल पार्टियां भी कम नहीं है.
यूपी की पार्टियां भी मैदान में : खासतौर पर यूपी की पार्टियों ने भी हरियाणा के चुनाव में पूरा जोर लगाया. जननायक जनता पार्टी (JJP) ने जहां आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उम्मीदवारों को उतारा है, वहीं इनेलो ने मायावती की पार्टी बसपा के साथ गठबंधन किया है.
AAP को हरियाणा से आस : केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी हरियाणा के विधानसभा चुनाव में अपना सियासी वजूद तलाशती हुई नज़र आ रही है. आम आदमी पार्टी दिल्ली के बाद पंजाब को जीतकर ख़ासा जोश में है. उसे लग रहा है कि दिल्ली और पंजाब से सटे हरियाणा में झाड़ू चलेगा और उनको हरियाणा में कई सीटें हासिल होंगी. आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल पहले ही दावा कर चुके हैं कि वे चुनाव के बाद किंगमेकर की भूमिका में रहेंगे और उनके बिना कोई सत्ता के सिंहासन पर नहीं बैठ पाएगा.
चुनाव से पहले कैसे बनते, बिगड़ते रहे समीकरण ? : हरियाणा में साल 2019 में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर हरियाणा में सरकार बनाई थी लेकिन लोकसभा चुनाव के ऐन पहले जेजेपी से बीजेपी ने ब्रेकअप कर लिया और अकेले ही दोनों ने लोकसभा चुनाव लड़ा. हालांकि जेजेपी को कोई कामयाबी नहीं मिली और बीजेपी को 5 सीटें भी लोकसभा चुनाव में गंवानी पड़ी. इसके बाद जेजेपी ने यूपी की पार्टी ASP से चुनावी गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया और अब दोनों साथ-साथ हैं. वहीं इनेलो ने भी अपनी ताकत बढ़ाने के लिए बसपा के साथ जाना बेहतर समझा और अब दोनों मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं बीजेपी सरकार का साथ देने वाले गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा की भी लास्ट मूमेंट पर बीजेपी के साथ पटरी बैठ नहीं पाई और गोपाल कांडा ने इनेलो-बसपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया. हालांकि सिरसा सीट से उम्मीदवार उतारने के बावजूद नामांकन वापसी के आखिरी क्षणों में बीजेपी प्रत्याशी रोहताश जांगड़ा ने अपना नामांकन वापस ले लिया, जिसके बाद सिरसा सीट से मैदान में कोई भी बीजेपी उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ रहा है. वहीं लोकसभा चुनाव की तर्ज पर हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ने वाली थी लेकिन दोनों के बीच सीटों को लेकर पेंच फंस गया और अब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं कांग्रेस ने इंडी अलायंस गठबंधन के तहत भिवानी की सीट सीपीआई(एम) के प्रत्याशी कामरेड ओमप्रकाश के लिए छोड़ दी है. लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने गठबंधन के तहत कुरुक्षेत्र की सीट AAP के लिए छोड़ी थी, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिल पाई थी.
90 सीटों पर 1031 कैंडिडेट्स : हरियाणा के 22 जिलों की कुल 90 विधानसभा सीटों के लिए 1747 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया था, जबकि 1151 कैंडिडेट्स के ही नामांकन को मंजूर किया गया. इसके बाद 394 नामांकन रिजेक्ट हो गए, जबकि 202 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया. ऐसे में अब हरियाणा के 'रण' में कुल 1031 उम्मीदवार उतरे हैं. इनमें पुरुष कैंडिडेट्स की संख्या 930 है, जबकि महिला कैंडिडेट्स की संख्या 101 है. वहीं इस बार चुनावी रण में उतरे 538 उम्मीदवार करोड़पति हैं, जबकि 133 उम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस भी चल रहे हैं.
हरियाणा में कहां सबसे ज्यादा, सबसे कम कैंडिडेट ? : हरियाणा के चुनाव में अगर उम्मीदवारों की संख्या की बात की जाए तो हरियाणा के हिसार विधानसभा सीट से सबसे ज्यादा 21 कैंडिडेट्स चुनावी मैदान में है, जबकि सबसे कम 5 उम्मीदवार कालांवली और नांगल चौधरी सीट से उतरे हैं.
हरियाणा चुनाव में कितने मतदाता ? : हरियाणा में वोटिंग के लिए 20,629 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. वहीं हरियाणा में अगर मतदाताओं की तादाद की बात करें तो कुल मतदाताओं की संख्या 2,03,54,350 हैं जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,077,5,957 है, जबकि महिला मतदाताओं की तादाद 95,77,926 है, वहीं ट्रांसजेंडर मतदाताओं की तादाद 467 है.
हरियाणा का जातीय समीकरण : आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा में जाट समाज 22.2%, अनुसूचित जाति 21%, पंजाबी 8%, ब्राह्मण 7.5%, अहीर 5.14%, वैश्य 5%, जाट सिख 4%, मेव और मुस्लिम 3.8%, राजपूत 3.4%, गुर्जर 3.35%, बिश्नोई 0.7% और अन्य 15.91% हैं.
हरियाणा चुनाव के बड़े चेहरे : हरियाणा चुनाव के बड़े चेहरों की बात करें तो हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी लाडवा से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कांग्रेस के सीएम पद के दावेदार भूपेंद्र सिंह हुड्डा गढ़ी सांपला-किलोई से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला उचाना कलां से चुनावी मैदान में हैं. इसके अलावा राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी तोशाम से चुनावी मुकाबले में हैं. वहीं इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ऐलनाबाद सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इस बीच 100 ग्राम वजन ज्यादा होने से पेरिस ओलंपिक में मेडल जीतने से चूकी विनेश फोगाट कांग्रेस के टिकट पर जुलाना से चुनावी मैदान में है. वहीं आम आदमी पार्टी ने जुलाना से रेसलर कविता दलाल को टिकट दिया है जो विनेश से मुकाबला करेंगी. हरियाणा के पूर्व मंत्री रह चुके रणजीत सिंह चौटाला बीजेपी से टिकट ना मिलने पर रानियां सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज अंबाला कैंट से चुनावी मुकाबले में हैं. वहीं कुरुक्षेत्र से बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां और देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल हिसार से चुनाव लड़ रही हैं. इसके अलावा सिरसा से हलोपा प्रमुख गोपाल कांडा चुनावी मैदान में टक्कर दे रहे हैं. वहीं हरियाणा के कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान होडल से चुनाव लड़ रहे हैं.
2024 के लोकसभा में क्या हुआ ? : लोकसभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी को खासा नुकसान हुआ है. बीजेपी को 5 सीटें गंवानी पड़ी है, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 100% मार्क्स लाते हुए सभी 10 सीटों पर कब्जा कर लिया था और कांग्रेस समेत बाकी दलों को बुरी हार का सामना करना पड़ा था. वहीं इससे पहले साल 2014 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा में BJP ने 7 सीटें जीती थी, जबकि इनेलो ने 2 और कांग्रेस को 1 सीट ही मिल पाई थी.
2019 के विधानसभा चुनाव में क्या हुआ ? : हरियाणा में साल 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो तब बीजेपी ने 40 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं जेजेपी 10 सीटें जीतकर किंगमेकर की भूमिका में थी. इसके अलावा इनेलो ने 1, हलोपा ने 1 और 7 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे.
2019 में किसे कितना वोट प्रतिशत ? : 2019 के चुनाव की बात करें तो हरियाणा में कुल 68.84% मतदान हुआ था, जिसमें बीजेपी को 36.49%, कांग्रेस को 28.08%, जेजेपी को 14.80%, निर्दलीय को 9.17%, इनेलो को 2.44%, हलोपा को 0.66% वोट हासिल हुआ था.
2014 के विधानसभा चुनाव में क्या हुआ ? : हरियाणा में साल 2014 के विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो तब बीजेपी ने 47, इनेलो ने 19, कांग्रेस ने 15, निर्दलीय ने 5, हजकां ने 2, बीएसपी ने 1 और शिरोमणि अकाली दल ने 1 सीट पर जीत हासिल की थी. 2014 के चुनाव की बात करें तो हरियाणा में कुल 76.13% मतदान हुआ था.
2024 में कौन मारेगा बाजी ?: बीजेपी पिछले 10 सालों से केंद्र के साथ हरियाणा की सत्ता पर काबिज है, ऐसे में उसके लिए हरियाणा का चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाना काफी बड़ी चुनौती है. हरियाणा में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है जिसके चलते युवाओं को लेकर सभी दलों ने बड़ी घोषणाएं की है. साथ ही मेनिफेस्टो में चुनाव जीतने पर फ्री बिजली, इलाज समेत कई फ्रीबीज़ जनता को देने की बात तक कही गई है. वहीं किसान आंदोलन, अग्निवीर योजना पर भी BJP की अग्निपरीक्षा इस चुनाव में होनी है क्योंकि कांग्रेस ने इन मुद्दों को लगातार तूल दे रखा है और लोकसभा के चुनाव में उसे फायदा भी मिला है. हालांकि विधानसभा चुनाव में उसे कितना फायदा मिल पाता है, ये देखने वाली बात होगी. हालांकि अभी तक सभी अपनी-अपनी लहर और जीत के दावे कर रहे हैं लेकिन कई सीटों पर उम्मीदवारों के बीच टफ और नेक टू नेक फाइट है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आखिर इस बार के विधानसभा चुनाव के दंगल में कौन किसे पटखनी देता है. इसके लिए आपको 8 अक्टूबर का इंतज़ार करना होगा, जब वोटों की काउंटिंग होगी और ईटीवी भारत हमेशा की तरह आपको देगा सबसे तेज़ और सबसे सटीक नतीजे.
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