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सर्टिफाइड विश्व धरोहर स्थलों में स्वदेशी लोगों, महिलाओं से दुर्व्यवहार, चुप्पी के लिए यूनेस्को की निंदा

The world condemns UNESCO: हेरिटेज समिति (Heritage committee) की बैठक में प्रमाणित विश्व धरोहर (Certified World Heritage) प्रमाणित विश्व धरोहर स्थलों में स्वदेशी लोगों के अधिकारों के उल्लंघन पर चुप्पी के लिए दुनिया ने यूनेस्को (UNESCO) की निंदा की है. खबर के मुताबिक, विश्व के कई धरोहर स्थल ऐसे हैं जहां मूल निवासियों के साथ अन्याय हो रहा है. इस विषय पर ईटीवी भारत संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट पढ़िए...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 22, 2024, 5:19 PM IST

ANI
प्रतीकात्मक तस्वीर (ANI)

नई दिल्ली: विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र की पूर्व संध्या पर सोमवार को संरक्षित क्षेत्रों में प्रमाणित विश्व धरोहर स्थलों में स्वदेशी लोगों के अधिकारों के उल्लंघन पर चुप्पी के लिए यूनेस्को की आलोचना की गई. जानकारी के मुताबिक, नेपाल में विरासत स्थल के रूप में प्रमाणित चितवन नेशनल पार्क, तंजानिया के नागोरोंगोरो संरक्षण क्षेत्र, भारत के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, थाईलैंड के केंग क्रचन नेशनल पार्क से स्वदेशी लोगों के साथ अन्याय हो रहा है. इस खबर ने पूरे विश्व को चिंतित कर दिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 21 जुलाई को विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र का उद्घाटन किया. विश्व धरोहर समिति का 46वां सत्र नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र की विरासत स्थल यौन हिंसा कि लिए जगह नहीं
संरक्षित क्षेत्रों और अन्य संरक्षण उपायों से प्रभावित स्वदेशी लोगों की पहल पर एरिजोना विश्वविद्यालय के एशिया अभियान प्रबंधक सुहास चकमा ने कहा कि, संयुक्त राष्ट्र की विरासत स्थल यौन हिंसा सहित गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए जगह नहीं हो सकती है. उन्होंने आगे कहा कि, प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों में, स्वदेशी लोगों को जबरन बेदखली, न्यायेतर निष्पादन, यौन शोषण और अन्य उल्लंघनों सहित बड़े पैमाने पर उल्लंघन का सामना करना पड़ रहा है.

तंजानिया में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन
आश्चर्य की बात है कि, स्वदेशी मासाई लोगों को तंजानिया के नागोरोंगोरो संरक्षण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ा, जिसे 1979 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में प्रमाणित किया गया था. 2022 में, मानव और लोगों के अधिकारों पर अफ्रीकी आयोग सहित कई अंतर-सरकारी संगठन, स्वदेशी मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र स्थायी मंच और 9 संयुक्त राष्ट्र विशेष प्रतिवेदकों ने नागोरोंगोरो संरक्षण क्षेत्र में तंजानिया सरकार की बेदखली योजनाओं और लोलियोनडो में हिंसा के खिलाफ चिंता व्यक्त की.

मासाई लोगों को जबरन बेदखल किया
18 जनवरी 2024 को, तंजानिया सरकार ने नागोरोंगोरो संरक्षण क्षेत्र की कानूनी स्थिति को बदलने के अपने फैसले की घोषणा की. जानकारी में, इस घोषणा के बाद वहां की मानव बस्ती पर रोक लगा दी गई और लगभग 1 लाख मासाई लोगों को जबरन बेदखल कर दिया गया. बता दें कि, यूनेस्को ने अब तक नागोरोंगोरो संरक्षण क्षेत्र के लिए 290,386 अमेरिकी डॉलर का वित्त पोषण किया है.

चितवन राष्ट्रीय उद्यान में स्वदेशी लोगों के साथ अन्याय
वहीं,1984 में विरासत स्थल के रूप में प्रमाणित नेपाल के चितवन राष्ट्रीय उद्यान में, स्वदेशी लोगों को बेदखली और अन्य मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ा. जबकि यूनेस्को द्वारा स्थापित एक क्षेत्रीय अंतर सरकारी संगठन, इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) ने यहां पार्क में स्वदेशी लोगों के खिलाफ लगातार यौन हिंसा की सूचना दी गई.

महिलाओं के साथ यौन हिंसा
आईसीआईएमओडी ने कहा कि, चितवन में 7 बफर जोन वीडीसी में, 30 से अधिक महिलाओं का दावा है कि, उनके बच्चे उनके साथ हुए यौन शोषण (रेप) के कारण से पैदा हुए हैं. जिसके कारण इन बच्चों को नागरिकता प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. क्योंकि नागरिकता का अधिकार पिता के नाम पर आधारित है. बता दें कि, आज तक यूनेस्को ने चितवन राष्ट्रीय उद्यान के लिए 80 हजार अमेरिकी डॉलर प्रदान किए हैं.

काजीरंगा नेशनल पार्क में लोगों की स्थिति चिंताजनक!
ऐसा ही कुछ हाल काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का भी बताया जा रहा है. काजीरंगा नेशनल पार्क को 1985 में विश्व धरोहर के रूप में प्रमाणित किया गया था. खबर के मुताबिक, यहां के मूल निवासियों को भी जबरन बेदखल कर दिया गया. संदिग्ध शिकारियों को देखते ही गोली मारने की विवादास्पद नीति और अब, इसके अंदर फाइव स्टार होटलों की स्थापना के लिए लगातार खबरों में रहा है. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पार्क आज तक यूनेस्को ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के लिए 80,000 अमेरिकी डॉलर प्रदान किए हैं.

थाईलैंड के केंग क्रचन नेशनल पार्क का हाल
वहीं, थाईलैंड के केंग क्रचन नेशनल पार्क में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकाय जैसे संयुक्त राष्ट्र सीईआरडी समिति और स्वदेशी लोगों, मानवाधिकार रक्षकों और पर्यावरण के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने करेन स्वदेशी लोगों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में बार-बार चिंता व्यक्त की है.

नागोरोंगोरो और लोलियोनडो क्षेत्रों से मासाई लोगों का निष्कासन
जून 2024 में, यूरोपीय संघ ने अधिक संरक्षण पर्यटन के लिए जगह बनाने के लिए नागोरोंगोरो और लोलियोनडो क्षेत्रों से मासाई लोगों के चल रहे निष्कासन के कारण तंजानिया को 19.76 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान रोक दिया. इससे पहले अप्रैल 2024 में, विश्व बैंक ने 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर को निलंबित कर दिया था. रूहा नेशनल पार्क में स्थानीय ग्रामीणों के खिलाफ की गई गैर-न्यायिक हत्याओं, जबरन गायब होने, बेदखली, यातना और मवेशियों की जब्ती के कारण तंजानिया को फंड दिया गया.

चुप्पी के लिए यूनेस्को की निंदा
अधिकार एवं जोखिम विश्लेषण समूह (आरआरएजी) के निदेशक के रूप में भी कार्यरत सुहास चकमा ने कहा कि, 'जब यूरोपीय संघ और विश्व बैंक संरक्षण स्थलों में मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, तो यूनेस्को अपने प्रमाणित विश्व धरोहर स्थलों में स्वदेशी लोगों के खिलाफ गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ चुप नहीं रह सकता है. यूनेस्को को विश्व धरोहर सूची में प्राकृतिक संरक्षण स्थलों को शामिल करने के लिए मानवाधिकार-आधारित दृष्टिकोण लागू करने के लिए अपने परिचालन दिशानिर्देशों में सुधार करना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार मानकों और अनुच्छेद 5 के अनुपालन के संबंध में प्राकृतिक संरक्षण स्थलों की विश्व धरोहर स्थिति की समय-समय पर समीक्षा करनी चाहिए. विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण के संबंध में कन्वेंशन का कहना है कि, प्राकृतिक विश्व विरासत स्थलों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन को संबोधित करने के लिए एक स्वतंत्र शिकायत तंत्र स्थापित करें और विश्व धरोहर स्थलों से प्रभावित समुदायों को प्रभावी सहायता प्रदान करें.

ये भी पढ़ें: राष्ट्रपति ने लोगों से वन्यजीव संरक्षण की दिशा में काम करने का आग्रह किया

नई दिल्ली: विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र की पूर्व संध्या पर सोमवार को संरक्षित क्षेत्रों में प्रमाणित विश्व धरोहर स्थलों में स्वदेशी लोगों के अधिकारों के उल्लंघन पर चुप्पी के लिए यूनेस्को की आलोचना की गई. जानकारी के मुताबिक, नेपाल में विरासत स्थल के रूप में प्रमाणित चितवन नेशनल पार्क, तंजानिया के नागोरोंगोरो संरक्षण क्षेत्र, भारत के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, थाईलैंड के केंग क्रचन नेशनल पार्क से स्वदेशी लोगों के साथ अन्याय हो रहा है. इस खबर ने पूरे विश्व को चिंतित कर दिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 21 जुलाई को विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र का उद्घाटन किया. विश्व धरोहर समिति का 46वां सत्र नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र की विरासत स्थल यौन हिंसा कि लिए जगह नहीं
संरक्षित क्षेत्रों और अन्य संरक्षण उपायों से प्रभावित स्वदेशी लोगों की पहल पर एरिजोना विश्वविद्यालय के एशिया अभियान प्रबंधक सुहास चकमा ने कहा कि, संयुक्त राष्ट्र की विरासत स्थल यौन हिंसा सहित गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए जगह नहीं हो सकती है. उन्होंने आगे कहा कि, प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों में, स्वदेशी लोगों को जबरन बेदखली, न्यायेतर निष्पादन, यौन शोषण और अन्य उल्लंघनों सहित बड़े पैमाने पर उल्लंघन का सामना करना पड़ रहा है.

तंजानिया में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन
आश्चर्य की बात है कि, स्वदेशी मासाई लोगों को तंजानिया के नागोरोंगोरो संरक्षण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ा, जिसे 1979 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में प्रमाणित किया गया था. 2022 में, मानव और लोगों के अधिकारों पर अफ्रीकी आयोग सहित कई अंतर-सरकारी संगठन, स्वदेशी मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र स्थायी मंच और 9 संयुक्त राष्ट्र विशेष प्रतिवेदकों ने नागोरोंगोरो संरक्षण क्षेत्र में तंजानिया सरकार की बेदखली योजनाओं और लोलियोनडो में हिंसा के खिलाफ चिंता व्यक्त की.

मासाई लोगों को जबरन बेदखल किया
18 जनवरी 2024 को, तंजानिया सरकार ने नागोरोंगोरो संरक्षण क्षेत्र की कानूनी स्थिति को बदलने के अपने फैसले की घोषणा की. जानकारी में, इस घोषणा के बाद वहां की मानव बस्ती पर रोक लगा दी गई और लगभग 1 लाख मासाई लोगों को जबरन बेदखल कर दिया गया. बता दें कि, यूनेस्को ने अब तक नागोरोंगोरो संरक्षण क्षेत्र के लिए 290,386 अमेरिकी डॉलर का वित्त पोषण किया है.

चितवन राष्ट्रीय उद्यान में स्वदेशी लोगों के साथ अन्याय
वहीं,1984 में विरासत स्थल के रूप में प्रमाणित नेपाल के चितवन राष्ट्रीय उद्यान में, स्वदेशी लोगों को बेदखली और अन्य मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ा. जबकि यूनेस्को द्वारा स्थापित एक क्षेत्रीय अंतर सरकारी संगठन, इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) ने यहां पार्क में स्वदेशी लोगों के खिलाफ लगातार यौन हिंसा की सूचना दी गई.

महिलाओं के साथ यौन हिंसा
आईसीआईएमओडी ने कहा कि, चितवन में 7 बफर जोन वीडीसी में, 30 से अधिक महिलाओं का दावा है कि, उनके बच्चे उनके साथ हुए यौन शोषण (रेप) के कारण से पैदा हुए हैं. जिसके कारण इन बच्चों को नागरिकता प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. क्योंकि नागरिकता का अधिकार पिता के नाम पर आधारित है. बता दें कि, आज तक यूनेस्को ने चितवन राष्ट्रीय उद्यान के लिए 80 हजार अमेरिकी डॉलर प्रदान किए हैं.

काजीरंगा नेशनल पार्क में लोगों की स्थिति चिंताजनक!
ऐसा ही कुछ हाल काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का भी बताया जा रहा है. काजीरंगा नेशनल पार्क को 1985 में विश्व धरोहर के रूप में प्रमाणित किया गया था. खबर के मुताबिक, यहां के मूल निवासियों को भी जबरन बेदखल कर दिया गया. संदिग्ध शिकारियों को देखते ही गोली मारने की विवादास्पद नीति और अब, इसके अंदर फाइव स्टार होटलों की स्थापना के लिए लगातार खबरों में रहा है. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पार्क आज तक यूनेस्को ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के लिए 80,000 अमेरिकी डॉलर प्रदान किए हैं.

थाईलैंड के केंग क्रचन नेशनल पार्क का हाल
वहीं, थाईलैंड के केंग क्रचन नेशनल पार्क में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकाय जैसे संयुक्त राष्ट्र सीईआरडी समिति और स्वदेशी लोगों, मानवाधिकार रक्षकों और पर्यावरण के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने करेन स्वदेशी लोगों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में बार-बार चिंता व्यक्त की है.

नागोरोंगोरो और लोलियोनडो क्षेत्रों से मासाई लोगों का निष्कासन
जून 2024 में, यूरोपीय संघ ने अधिक संरक्षण पर्यटन के लिए जगह बनाने के लिए नागोरोंगोरो और लोलियोनडो क्षेत्रों से मासाई लोगों के चल रहे निष्कासन के कारण तंजानिया को 19.76 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान रोक दिया. इससे पहले अप्रैल 2024 में, विश्व बैंक ने 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर को निलंबित कर दिया था. रूहा नेशनल पार्क में स्थानीय ग्रामीणों के खिलाफ की गई गैर-न्यायिक हत्याओं, जबरन गायब होने, बेदखली, यातना और मवेशियों की जब्ती के कारण तंजानिया को फंड दिया गया.

चुप्पी के लिए यूनेस्को की निंदा
अधिकार एवं जोखिम विश्लेषण समूह (आरआरएजी) के निदेशक के रूप में भी कार्यरत सुहास चकमा ने कहा कि, 'जब यूरोपीय संघ और विश्व बैंक संरक्षण स्थलों में मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, तो यूनेस्को अपने प्रमाणित विश्व धरोहर स्थलों में स्वदेशी लोगों के खिलाफ गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ चुप नहीं रह सकता है. यूनेस्को को विश्व धरोहर सूची में प्राकृतिक संरक्षण स्थलों को शामिल करने के लिए मानवाधिकार-आधारित दृष्टिकोण लागू करने के लिए अपने परिचालन दिशानिर्देशों में सुधार करना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार मानकों और अनुच्छेद 5 के अनुपालन के संबंध में प्राकृतिक संरक्षण स्थलों की विश्व धरोहर स्थिति की समय-समय पर समीक्षा करनी चाहिए. विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण के संबंध में कन्वेंशन का कहना है कि, प्राकृतिक विश्व विरासत स्थलों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन को संबोधित करने के लिए एक स्वतंत्र शिकायत तंत्र स्थापित करें और विश्व धरोहर स्थलों से प्रभावित समुदायों को प्रभावी सहायता प्रदान करें.

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