देहरादूनः उत्तराखंड में बढ़ते आपराधिक मामलों से सरकार की चिंताएं बढ़ गई है. ज्यादातर घटनाओं में बाहरी राज्यों के लोगों के शामिल होना सामने आया है. कुछ मामलों के विरोध में हिंदूवादी संगठन सड़कों पर भी उतरे. इन आपराधिक मामले और उनके विरोध में हुए हंगामों के देखते हुए राज्य सरकार ने असम सरकार की तरह उत्तराखंड में भी बड़ा सत्यापन अभियान शुरू कर दिया है. इसकी शुरुआत राजधानी देहरादून से की गई है.
राज्य में बड़ा अभियान शुरू: उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते दिनों सुरक्षा को लेकर बैठक में अधिकारियों को बढ़ते आपराधिक मामलों से संबंधित दिशा निर्देश दिए थे. जिसके बाद पुलिस विभाग ने उत्तराखंड के तमाम पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया था कि वह अपने-अपने जिलों में बड़े स्तर पर सत्यापन अभियान चलाएं. इसकी शुरुआत राजधानी देहरादून से एसएसपी अजय सिंह ने की.
इन मामलों के बाद गरमाया सत्यापन का मामला: दरअसल उधमसिंह नगर में नर्स के साथ दुष्कर्म और हत्या में आरोपी उत्तर प्रदेश का रहने वाला था. वहीं देहरादून पलटन बाजार में लड़की से छेड़छाड़ करने वाला आरोपी भी उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले से ताल्लुक रखता है. पौड़ी के श्रीनगर में एक युवक 15 से 20 फेसबुक अकाउंट्स बनाकर लड़कियों से बातचीत कर उन्हें फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता था. वह युवक भी उत्तर प्रदेश का रहने वाला निकला.
हरिद्वार ज्वेलरी शोरूम लूट में उत्तर प्रदेश और बिहार के अपराधियों से तार जुड़ रहे हैं. देहरादून के चकराता में महिला से छेड़छाड़ के मामले में पकड़ा गया आरोपी भी उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. अन्य इलाकों में हुई हत्या, लूट, डकैती और मारपीट के साथ-साथ वन कर्मी के ऊपर तस्करों द्वारा फायरिंग के मामले में भी शामिल बदमाशों के अन्य राज्यों से होना बताया गया है. इन आंकड़ों को देखकर अब उत्तराखंड में एक बड़े स्तर पर सत्यापन अभियान चला रही है.
देहरादून पुलिस ने की शुरुआत: देहरादून एसएसपी अजय सिंह की माने तो हम सभी दुकानों में जाकर यह पूछताछ कर रहे हैं कि उनकी दुकान में काम करने वाले कर्मचारी और अन्य स्टाफ कहां-कहां का रहने वाला है. अगर उनका पुलिस सत्यापन नहीं हुआ है तो तत्काल प्रभाव से उनका सत्यापन करवाया जाए. पुलिस ने पहले ही दिन बाहरी राज्यों के व्यक्तियों को बिना सत्यापन के काम करवाने के एवज में लगभग 100 से अधिक लोगों का चालान किया है. इतना ही नहीं, पुलिस इस अभियान के तहत ठेली लगाने वाले, कूड़ा बीनने वाले, सफाई करने वाले या फिर अन्य उन सभी लोगों से पूछताछ कर रही है जो बाहर से आकर उत्तराखंड में काम कर रहे हैं.
पुलिस की माने तो यह वेरिफिकेशन सिर्फ बिना सत्यापन रहने वालों तक ही सीमित नहीं रहने वाला है. यह पूरी की पूरी ड्राइव कानून व्यवस्था के साथ-साथ हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए भी बेहद जरूरी है. ताकि कोई भी व्यक्ति कल के दिन किसी अनहोनी को अंजाम न दे. पुलिस ने दो दिनों में लगभग 200 से अधिक संदिग्ध लोगों का ब्यौरा खंगाला है. एसएसपी अजय सिंह के मुताबिक, ड्राइव के दूसरे दिन बाहरी राज्यों से आकर पलटन बाजार में फड़, ठेली आदि का कार्य कर रहे 68 बिना सत्यापन कराने वाले/संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया, जिन्हें थाने लाकर उनकी सत्यापन की कार्रवाई की गई.
सत्यापन में क्या-क्या जरूरी: राज्य सरकार ने जो बड़े स्तर पर सत्यापन अभियान शुरू किया है उसमें, अगर कोई व्यक्ति बिना सत्यापन के रह रहा है तो उसके खिलाफ पुलिस कड़ी कार्रवाई करेगी. लिहाजा, अन्य राज्यों से आने वाले लोगों को अपना आधार कार्ड, अपने परिवार का ब्यौरा, घर, गांव, तहसील तक की जानकारी और शिक्षा से संबंधित पेपर भी दिखाने होंगे. इतना ही नहीं, संबंधित अपने जिले कस्बे में स्थित पुलिस स्टेशन इस बात को स्पष्ट करेगा कि उस व्यक्ति के खिलाफ किसी तरह का कोई मुकदमा राज्य में दर्ज नहीं है. यानी बाहरी राज्यों से उत्तराखंड आकर काम करने वाले लोगों को यह सभी जानकारियां उत्तराखंड पुलिस को देनी होगी.
सीएम ने कहा- बर्दाश्त नहीं होगा: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सत्यापन अभियान को लेकर पुलिस की पीठ थपथपाई है. साथ ही कहा है कि अगर कोई व्यक्ति किसी तरह के माहौल को खराब करता है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. सीएम धामी का कहना है कि राज्य की मां-बहनों के खिलाफ हो रहे षड्यंत्र को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. गांव और शहर सुरक्षित रहें, इसलिए राज्य में एक बड़े स्तर पर सत्यापन अभियान चलाया जा रहा है.
हरीश रावत का आरोप: उत्तराखंड में बढ़ रहे अपराध के बाद राज्य सरकार और पुलिस ने सत्यापन अभियान का फैसला लिया तो अब इस पर राजनीति भी शुरू हो गई. पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने सरकार पर आरोप लगाया है कि बीजेपी अन्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह सब करने जा रही है. हरीश रावत ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा की सरकार में ही बाहर से आए कुछ लोगों ने डेरा जमाया है. नदी, नाले किनारे अवैध बस्तियों को बीजेपी की सरकार ने ही बसाया है. भाजपा उनके बहाने अब सांप्रदायिक माहौल खराब करना चाहती है, जो हम कभी भी भाजपा को करने नहीं देंगे.
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