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पीलीभीत के नाम वरुण गांधी की भावुक चिट्ठी, लिखा- 3 साल का बच्चा मां की अंगुली पकड़कर आया था - Varun Gandhi Emotion

अपनी ही पार्टी के खिलाफ आवाज उठाने वाले सांसद वरुण गांधी को इस बार टिकट नहीं मिला है. जबकि उनकी मां मेनका गांधी फिर से चुनावी मैदान में हैं. वरुण ने पीलीभीत की जनता के नाम भावुक पत्र लिखा है. उन्होंने जनता से रिश्ता न टूटने देने की बात कही है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 28, 2024, 1:05 PM IST

Updated : Mar 28, 2024, 1:47 PM IST

पीलीभीत : दो बार के सांसद वरुण गांधी को इस बार भाजपा ने पीलीभीत से टिकट नहीं दिया है. हालांकि अभी भी उनके सूबे के किसी दूसरी सीट से सियासी मैदान में उतरने की प्रबंल संभावना बनी हुई है. इस बीच गुरुवार को वरुण गांधी ने जनता के नाम भावुक चिट्ठी जारी की. इसे उन्होंने अपने सोशल मीडिए अकाउंट एक्स पर भी साझा किया.

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने जनता के नाम लिखे लेटर में लिखा है कि 'जनता को मेरा प्रणाम. आज मैं यह पत्र लिख रहा हूं तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है. मुझे वह 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है जो अपनी मां की अंगुली पकड़कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था. उसे कहां पता था कि एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे'

वरुण गांधी ने पत्र में आगे लिखा है कि 'मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे वर्षों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला. महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी. मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श सरलता का बहुत बड़ा योगदान रहा है. आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है. मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई है'.

वरुण गांधी ने लिखा 'एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले ही समाप्त हो रहा हो पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता. सांसद के रूप में नहीं तो बेटे के तौर पर सही. मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं. मेरे दरवाजे आपके लिए हमेशा पहले के जैसे खुले रहेंगे. मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने के लिए आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूं कि सदैव कार्य करता रहूं. भले ही उसकी कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े. मेरा और पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है जो किसी राजनीतिक गुणा भाग से बहुत ऊपर है मैं आपका था हूं और रहूंगा'.

पीलीभीत सीट से मेनका गांधी 6 बार सांसद चुनी गईं. वरुण गांधी भी यहां से 2 बार सांसद रहे. इस बार भाजपा ने यहां से उन्हें टिकट नहीं दिया है. जबकि उनकी मां मेनका गांधी पर पार्टी ने फिर से भरोसा जताया है. वह सुलतानपुर से मैदान में हैं. पीलीभीत से इस बार वरुण की जगह पार्टी ने जितिन प्रसाद पर भरोसा जताया है. वरुण गांधी का टिकट कटने का मुख्य कारण अपनी ही पार्टी के प्रति मुखर होना माना रहा है. हालांकि अभी भी उन्हें किसी दूसरी सीट से टिकट मिलने की संभावना बरकरार है.

यह भी पढ़ें : 'वरुण गांधी हैं भाजपा नेता', भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी बोले- पार्टी ने उनके लिए भी कुछ और सोचा होगा

पीलीभीत : दो बार के सांसद वरुण गांधी को इस बार भाजपा ने पीलीभीत से टिकट नहीं दिया है. हालांकि अभी भी उनके सूबे के किसी दूसरी सीट से सियासी मैदान में उतरने की प्रबंल संभावना बनी हुई है. इस बीच गुरुवार को वरुण गांधी ने जनता के नाम भावुक चिट्ठी जारी की. इसे उन्होंने अपने सोशल मीडिए अकाउंट एक्स पर भी साझा किया.

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने जनता के नाम लिखे लेटर में लिखा है कि 'जनता को मेरा प्रणाम. आज मैं यह पत्र लिख रहा हूं तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है. मुझे वह 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है जो अपनी मां की अंगुली पकड़कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था. उसे कहां पता था कि एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे'

वरुण गांधी ने पत्र में आगे लिखा है कि 'मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे वर्षों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला. महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी. मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श सरलता का बहुत बड़ा योगदान रहा है. आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है. मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई है'.

वरुण गांधी ने लिखा 'एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले ही समाप्त हो रहा हो पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता. सांसद के रूप में नहीं तो बेटे के तौर पर सही. मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं. मेरे दरवाजे आपके लिए हमेशा पहले के जैसे खुले रहेंगे. मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने के लिए आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूं कि सदैव कार्य करता रहूं. भले ही उसकी कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े. मेरा और पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है जो किसी राजनीतिक गुणा भाग से बहुत ऊपर है मैं आपका था हूं और रहूंगा'.

पीलीभीत सीट से मेनका गांधी 6 बार सांसद चुनी गईं. वरुण गांधी भी यहां से 2 बार सांसद रहे. इस बार भाजपा ने यहां से उन्हें टिकट नहीं दिया है. जबकि उनकी मां मेनका गांधी पर पार्टी ने फिर से भरोसा जताया है. वह सुलतानपुर से मैदान में हैं. पीलीभीत से इस बार वरुण की जगह पार्टी ने जितिन प्रसाद पर भरोसा जताया है. वरुण गांधी का टिकट कटने का मुख्य कारण अपनी ही पार्टी के प्रति मुखर होना माना रहा है. हालांकि अभी भी उन्हें किसी दूसरी सीट से टिकट मिलने की संभावना बरकरार है.

यह भी पढ़ें : 'वरुण गांधी हैं भाजपा नेता', भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी बोले- पार्टी ने उनके लिए भी कुछ और सोचा होगा

Last Updated : Mar 28, 2024, 1:47 PM IST
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