वाराणसी : उत्तर प्रदेश की संस्कृति और यहां का संगीत पूरे विश्व में अपनी पहचान रखता है. जिलों में अलग-अलग ट्रेडिशनल म्यूजिक और ट्रेडिशनल डांस का अपना ही महत्व है. इसी परंपरा के अनुरूप वाराणसी में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया है. दो दिनों तक आयोजित होने वाले कार्यक्रम के पहले दिन, कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की. कार्यक्रम का उद्देश्य दूसरे देशों की संस्कृति और परंपराओं से रूबरू होना है. फिलहाल शुक्रवार को अंतिम दिन के आयोजन में ईराक, चेकोस्लोवाकिया और भारत के दूसरे डांस ट्रेडीशन को पेश किया जाएगा.
विश्वभर के कलाकारों की प्रस्तुति : संस्कृति और पर्यटन विभाग की तरफ से आयोजित, कार्यक्रम में वाराणसी के अलावा, श्रीलंका, इराक, भारत, चेकोस्लोवाकिया और कोलंबिया के कलाकारों की प्रस्तुति देखने को मिल रही है.
कोलंबिया के संगीत ग्रुप ने अपने म्यूजिक फॉर्म को प्रस्तुत किया : आयोजन के पहले दिन श्रीलंका कोलंबिया और भारत के ट्रेडिशनल डांस और म्यूजिक की प्रस्तुति की गई. सबसे पहले कोलंबिया के कलाकारों ने अपने म्यूजिक ग्रुप के जरिए, हर किसी का मन मोह लिया ग्रुप के लीडर एल्टीनियो एरनेडो ने बताया, कि उनके म्यूजिक ग्रुप का नाम कोलेस्टिनो कोलंबिया है.
उन्होंने बताया कि यह कोलंबिया म्यूजिक का एक फॉर्म था. हमने तीन अलग-अलग इलाकों के म्यूजिक को एक साथ कंपाइल करके पेश किया है. इसमे साउथ वेस्ट कोलंबिया, पैसेफिक और अटलांटिक कोर्स ऑफ कोलंबिया के म्यूजिक फॉर्म को प्रस्तुत किया. सैक्सोफोन बांसुरी इलेक्ट्रॉनिक गिटार और ड्रम के साथ विदेशी कलाकारों ने जब अपनी प्रस्तुति दी, तो हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया.
भारत में गंगा के बारे में विशेष कथक नृत्य की : वहीं भारत की संस्कृति के अनुरूप अपने ट्रेडिशनल कथक नृत्य के जरिए कलाकारों ने, मां गंगा की उस वेदना को मंच पर उतारा, जो वर्तमान समय की परिस्थिति के अनुसार, गंगा की दुर्दशा को बताने के लिए काफी थी. प्रस्तुति ने यहां बैठे देसी, विदेशी कलाकारों का मन मोह लिया और सभी ने जमकर तालियां बजाईं.
श्रीलंका ने पेश किया 500 साल पुराना पारंपरिक नृत्य : वहीं श्रीलंका से कलाकार वाराणसी, अपने कल्चर और संस्कृति को पेश करने के लिए, इन सभी कलाकारों ने अपने अलग-अलग डांस फॉर्म, और श्रीलंका की संस्कृति और 500 साल पुराने परम्परागत फोक डांस को पेश किया.
डांस ग्रुप के लीडर रंगनाथन डिसिल्वा ने बताया, कि श्रीलंका से टोटल 10 लोग इस कार्यक्रम के लिए यहां आए हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ केलेमिया डिपार्टमेंट ऑफ फाइन आर्ट्स के, सभी छात्र छात्राओं ने, श्रीलंका का ट्रेडिशनल डांस पेश किया. इसमे फोक डांस, नागराज और गरुण की कहानी को डांस के जरिए लोगों के सामने रखा गया.
उन्होंने बताया कि हम यहां पर तीन तरीके के डांस फॉर्म पेश किए हैं. ग्रुप लीडर ने बताया कि हमने ट्रेडिशनल श्री लंकन डांस यहां पेश किया है. हमारे यहां तीन तरह के ट्रेडिशनल डांस होते हैं. इसमे अप कंट्री डांस, लोखंडी डांस एंड सबर्गमु डांस ट्रेडिशनल हैं और हमने फोक डांस ट्रेडीशन को भी पेश किया है.
हमने वाराणसी में दो उन फोक डांस को दिखाया है, जो लोखंडी से बिलॉन्ग करते हैं ,और जो वहां के ट्रेडीशनल डांस हैं. इसके अलावा एक कन्या तरह का डांस पेश किया, जो वहां का प्रमुख डांस है, जिसे तिलमे डांस कहते हैं.
इस डांस के जरिए हम यह दिखाना चाहते थे, कि वहां ग्रामीण इलाके के लोगों का जीवनशैली क्या है, किस तरह से वह अपने जीवन को जीते हैं. पैदा होने से लेकर मृत्यु तक उनका जीवन किस तरह से होता है. यह डांस ट्रेडीशन श्रीलंका का ट्रेडिशनल डांस है. यह लगभग 500 साल से भी पुरानी परंपरा है. यह आज भी श्रीलंका में होता है. इसके अलावा हम अपने एक डांस फॉर्म के जरिए बाज और सांप के बीच की लड़ाई भी दिखाते हैं, जिसमें बाज सांप को मार डालता है.
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