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अब कपाट बंद होने के बाद भी होंगे चारधाम दर्शन, बर्फबारी के बीच बरतें ये सावधानियां, मिलेगी 25 फीसदी छूट - WINTER CHARDHAM YATRA 2024

शीतकालीन चारधाम यात्रियों को गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस में 25 प्रतिशत छूट मिलेगी. पहले ये छूट 10 फीसदी थी.

Uttarakhand Winter Tour
उत्तराखंड शीतकालीन यात्रा (PHOTO- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 10, 2024, 6:34 PM IST

Updated : Dec 10, 2024, 10:13 PM IST

(रोहित सोनी, देहरादून): उत्तराखंड सरकार चारधाम यात्रा की तरह ही शीतकाल यात्रा को संचालित करना चाहती है. यही वजह है कि राज्य सरकार शीतकालीन यात्रा पर जोर दे रही है, ताकि शीतकाल के दौरान श्रद्धालु बढ़चढ़कर प्रवास स्थलों में भगवान का दर्शन करने आएं. लेकिन एक बड़ी चुनौती यही है कि बढ़ते ठंड के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक चुनौतियां लोगों के लिए दिक्कतें पैदा कर सकती हैं. ऐसे में आपदा समेत अन्य विभाग शीतकालीन चारधाम यात्रा की तैयारियों में जुट गए है. ताकि शीतकाल के दौरान यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना न करना पड़े.

शीतकालीन यात्रा के साथ ही आगामी साल 2025 में होने वाली चारधाम यात्रा की तैयारी में सरकार जुट गई है. इसी क्रम में 10 दिसंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में तमाम विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. बैठक के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए कि यात्रा मार्गों पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने, खराब मौसम के दौरान आपातकालीन प्रबंधन प्रणाली को बहतर बनाने और सड़कों के मरम्मत के काम जल्द से जल्द कर लिए जाएं. इसके साथ ही सरकार ने निर्णय लिया है कि शीतकाल यात्रा पर आने वाले यात्रियों को जीएमवीएन (गढ़वाल मंडल विकास निगम) के गेस्ट हाउस में 25 फीसदी की छूट दी जाएगी.

अब कपाट बंद होने के बाद भी होंगे चारधाम दर्शन (VIDEO-ETV Bharat)

GMVN गेस्ट हाउस में 25 फीसदी की छूट: दरअसल, सीएम धामी ने 8 नवंबर को ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान केदार के दर्शन करने के साथ ही शीतकाल यात्रा का शुभारंभ किया. इसके बाद अब सरकार शीतकाल यात्रा पर आने वाले यात्रियों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने पर जोर दे रही है. शुरुआती दौर में शीतकाल यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को प्रोत्साहित किए जाने को लेकर राज्य सरकार ने जीएमवीएन गेस्ट हाउस के किराये में 10 फीसदी छूट देने का निर्णय लिया था. लेकिन अब श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी के लिए सरकार ने निर्णय लिया है कि शीतकालीन यात्रा के दौरान क्षद्धालुओं को जीएमवीएन गेस्ट हाउस में 25 फीसदी की छूट दी जाएगी.

चारधार यात्रा 2025 की तैयारी: शीतकालीन यात्रा की तैयारी को लेकर हुई बैठक के दौरान सीएम धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य के शीतकालीन पर्यटन स्थलों के साथ ही अन्य हिडन डेस्टिनेशंस को भी बढ़ावा दिया जाए. स्वास्थ्य सेवाओं, स्वच्छता और सुरक्षित आवास की व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर किए जाए. इसके साथ ही सीएम ने आगामी चारधाम यात्रा- 2025 की तैयारी भी अभी से शुरू करने के निर्देश दिए. ताकि चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की कोई दिक्कत ना हो. चारधाम यात्रा-2025 की तैयारी को लेकर अधिकारियों यात्रा मार्ग पर गाड़ियों के लिए पार्किंग लॉट्स बनाने, चारधाम में श्रद्धालुओं की दैनिक धारण क्षमता को बढ़ाने के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही यात्रा प्राधिकरण बनाने में हक-हकूकधारियों को भी शामिल करने की बात कही है.

उत्तराखंड में 12 माह यात्रा संचालित: वहीं, शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि उत्तराखंड में जो चारधाम यात्रा चल रही है, वो ग्रीष्मकालीन यात्रा बनकर रह गई है. ऐसे में लोगों को यही जानकारी है कि ग्रीष्मकालीन के दौरान ही भगवान के दर्शन हो सकते हैं. जबकि चारों धामों के जब कपाट बंद होते हैं तो उनकी डोली प्रवास स्थलों पर विराजमान होती है. जहां नियमित पूजा पाठ होती है. ऐसे में राज्य सरकार ने शीतकालीन यात्रा के लिए बड़ा कदम उठाया है. साथ ही सरकार ने निर्णय लिया है कि उत्तराखंड में 12 महीने यात्रा संचालित करेंगे. जिसके लिए सरकार व्यवस्थाएं मुकम्मल कर रही है. शीतकालीन यात्रा से न सिर्फ श्रद्धालुओं को पुण्य लाभ होगा, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के साधन भी उपलब्ध होंगे.

आपदा प्रबंधन तैयार: शीतकालीन यात्रा की तैयारियों के सवाल पर आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग 24 घंटे काम करता है. आपदा प्रबंधन विभाग में आपदा विभाग के साथ ही पुलिस विभाग, एसडीआरएफ, पीडब्लूडी, एनडीआरएफ, ऊर्जा विभाग और पेयजल विभाग समेत अन्य विभाग मिलकर काम करते है. ऐसे में शीतकाल यात्रा को लेकर आपदा विभाग पूरी तरह से तैयार है. श्रद्धालुओं को जिस भी तरह की मदद की जरूरत होगी, उसके लिए विभाग तत्पर है.

शीतकाल यात्रा के दौरान सावधानियां बरतनी जरूरी: शीतकाल के दौरान उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों पर काफी अधिक ठंड होती है. ऐसे में अन्य राज्यों से उत्तराखंड आने वाले यात्रियों और श्रद्धालुओं को तमाम सावधानियां बरतने की जरूरत है. जनरल फिजिशियन डॉ रविंद्र सिंह राणा ने बताया कि जब मैदानी क्षेत्र से लोग पर्वतीय क्षेत्र में जाते हैं तो उस दौरान अधिक ठंड होने की वजह से दिक्कतें होती हैं. ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को शुगर, हाई ब्लड प्रेशर या फिर सांस संबंधित कोई दिक्कत है तो ऐसे लोगों को पर्वतीय क्षेत्र में यात्रा के दौरान तमाम सावधानियां बरतनी चाहिए. जिसमें यात्रा के दौरान गर्म कपड़े का इस्तेमाल करना, गर्म खाना खाना, गर्म पानी पीना समेत आराम से यात्रा करने की जरूरत है. इसके साथ ही अगर कोई व्यक्ति मेडिसिन ले रहा है तो वह नियमित रूप से अपनी दवाई को ले और अगर कोई दिक्कत होती है तो तत्काल नजदीकी अस्पताल में जाकर चेकअप कराएं.

चारों धामों के शीतकालीन गद्दीस्थल: गौर है कि उत्तराखंड चारधाम के कपाट बंद होने के बाद उनकी पूजा अर्चना शीतकालीन प्रवास स्थलों पर की जाती है, रुद्रप्रयाग जिले में स्थित, ऊखीमठ में ओंकारेश्वर मंदिर है जो भगवान केदारनाथ का शीतकालीन निवास स्थान है, पांडुकेश्वर में भगवान बद्री के दूत, उद्धव मूर्ति की शीतकाल के दौरान पूजा की जाती है. शीतकाल के दौरान मां यमुनोत्री, खरसाली (खुशीमठ) में प्रवास करती हैं. इसके साथ ही शीतकाल के दौरान मां गंगा, हर्षिल के पास भागीरथी नदी के तट पर स्थित एक छोटे से गांव मुखबा (मुखीमठ) में प्रवास करती हैं. जहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. यही वजह है कि उत्तराखंड सरकार शीतकाल यात्रा को प्रोत्साहित कर रही है.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में शीतकालीन चारधाम यात्रा का आगाज, ओंकारेश्वर मंदिर में सीएम धामी ने की पूजा

ये भी पढ़ेंः शीतकालीन चारधाम यात्रा से बढ़ेगा टूरिज्म, सरकार की होगी बंपर कमाई, ये होंगे अहम पड़ाव

(रोहित सोनी, देहरादून): उत्तराखंड सरकार चारधाम यात्रा की तरह ही शीतकाल यात्रा को संचालित करना चाहती है. यही वजह है कि राज्य सरकार शीतकालीन यात्रा पर जोर दे रही है, ताकि शीतकाल के दौरान श्रद्धालु बढ़चढ़कर प्रवास स्थलों में भगवान का दर्शन करने आएं. लेकिन एक बड़ी चुनौती यही है कि बढ़ते ठंड के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक चुनौतियां लोगों के लिए दिक्कतें पैदा कर सकती हैं. ऐसे में आपदा समेत अन्य विभाग शीतकालीन चारधाम यात्रा की तैयारियों में जुट गए है. ताकि शीतकाल के दौरान यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना न करना पड़े.

शीतकालीन यात्रा के साथ ही आगामी साल 2025 में होने वाली चारधाम यात्रा की तैयारी में सरकार जुट गई है. इसी क्रम में 10 दिसंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में तमाम विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. बैठक के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए कि यात्रा मार्गों पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने, खराब मौसम के दौरान आपातकालीन प्रबंधन प्रणाली को बहतर बनाने और सड़कों के मरम्मत के काम जल्द से जल्द कर लिए जाएं. इसके साथ ही सरकार ने निर्णय लिया है कि शीतकाल यात्रा पर आने वाले यात्रियों को जीएमवीएन (गढ़वाल मंडल विकास निगम) के गेस्ट हाउस में 25 फीसदी की छूट दी जाएगी.

अब कपाट बंद होने के बाद भी होंगे चारधाम दर्शन (VIDEO-ETV Bharat)

GMVN गेस्ट हाउस में 25 फीसदी की छूट: दरअसल, सीएम धामी ने 8 नवंबर को ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान केदार के दर्शन करने के साथ ही शीतकाल यात्रा का शुभारंभ किया. इसके बाद अब सरकार शीतकाल यात्रा पर आने वाले यात्रियों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने पर जोर दे रही है. शुरुआती दौर में शीतकाल यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को प्रोत्साहित किए जाने को लेकर राज्य सरकार ने जीएमवीएन गेस्ट हाउस के किराये में 10 फीसदी छूट देने का निर्णय लिया था. लेकिन अब श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी के लिए सरकार ने निर्णय लिया है कि शीतकालीन यात्रा के दौरान क्षद्धालुओं को जीएमवीएन गेस्ट हाउस में 25 फीसदी की छूट दी जाएगी.

चारधार यात्रा 2025 की तैयारी: शीतकालीन यात्रा की तैयारी को लेकर हुई बैठक के दौरान सीएम धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य के शीतकालीन पर्यटन स्थलों के साथ ही अन्य हिडन डेस्टिनेशंस को भी बढ़ावा दिया जाए. स्वास्थ्य सेवाओं, स्वच्छता और सुरक्षित आवास की व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर किए जाए. इसके साथ ही सीएम ने आगामी चारधाम यात्रा- 2025 की तैयारी भी अभी से शुरू करने के निर्देश दिए. ताकि चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की कोई दिक्कत ना हो. चारधाम यात्रा-2025 की तैयारी को लेकर अधिकारियों यात्रा मार्ग पर गाड़ियों के लिए पार्किंग लॉट्स बनाने, चारधाम में श्रद्धालुओं की दैनिक धारण क्षमता को बढ़ाने के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही यात्रा प्राधिकरण बनाने में हक-हकूकधारियों को भी शामिल करने की बात कही है.

उत्तराखंड में 12 माह यात्रा संचालित: वहीं, शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि उत्तराखंड में जो चारधाम यात्रा चल रही है, वो ग्रीष्मकालीन यात्रा बनकर रह गई है. ऐसे में लोगों को यही जानकारी है कि ग्रीष्मकालीन के दौरान ही भगवान के दर्शन हो सकते हैं. जबकि चारों धामों के जब कपाट बंद होते हैं तो उनकी डोली प्रवास स्थलों पर विराजमान होती है. जहां नियमित पूजा पाठ होती है. ऐसे में राज्य सरकार ने शीतकालीन यात्रा के लिए बड़ा कदम उठाया है. साथ ही सरकार ने निर्णय लिया है कि उत्तराखंड में 12 महीने यात्रा संचालित करेंगे. जिसके लिए सरकार व्यवस्थाएं मुकम्मल कर रही है. शीतकालीन यात्रा से न सिर्फ श्रद्धालुओं को पुण्य लाभ होगा, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के साधन भी उपलब्ध होंगे.

आपदा प्रबंधन तैयार: शीतकालीन यात्रा की तैयारियों के सवाल पर आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग 24 घंटे काम करता है. आपदा प्रबंधन विभाग में आपदा विभाग के साथ ही पुलिस विभाग, एसडीआरएफ, पीडब्लूडी, एनडीआरएफ, ऊर्जा विभाग और पेयजल विभाग समेत अन्य विभाग मिलकर काम करते है. ऐसे में शीतकाल यात्रा को लेकर आपदा विभाग पूरी तरह से तैयार है. श्रद्धालुओं को जिस भी तरह की मदद की जरूरत होगी, उसके लिए विभाग तत्पर है.

शीतकाल यात्रा के दौरान सावधानियां बरतनी जरूरी: शीतकाल के दौरान उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों पर काफी अधिक ठंड होती है. ऐसे में अन्य राज्यों से उत्तराखंड आने वाले यात्रियों और श्रद्धालुओं को तमाम सावधानियां बरतने की जरूरत है. जनरल फिजिशियन डॉ रविंद्र सिंह राणा ने बताया कि जब मैदानी क्षेत्र से लोग पर्वतीय क्षेत्र में जाते हैं तो उस दौरान अधिक ठंड होने की वजह से दिक्कतें होती हैं. ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को शुगर, हाई ब्लड प्रेशर या फिर सांस संबंधित कोई दिक्कत है तो ऐसे लोगों को पर्वतीय क्षेत्र में यात्रा के दौरान तमाम सावधानियां बरतनी चाहिए. जिसमें यात्रा के दौरान गर्म कपड़े का इस्तेमाल करना, गर्म खाना खाना, गर्म पानी पीना समेत आराम से यात्रा करने की जरूरत है. इसके साथ ही अगर कोई व्यक्ति मेडिसिन ले रहा है तो वह नियमित रूप से अपनी दवाई को ले और अगर कोई दिक्कत होती है तो तत्काल नजदीकी अस्पताल में जाकर चेकअप कराएं.

चारों धामों के शीतकालीन गद्दीस्थल: गौर है कि उत्तराखंड चारधाम के कपाट बंद होने के बाद उनकी पूजा अर्चना शीतकालीन प्रवास स्थलों पर की जाती है, रुद्रप्रयाग जिले में स्थित, ऊखीमठ में ओंकारेश्वर मंदिर है जो भगवान केदारनाथ का शीतकालीन निवास स्थान है, पांडुकेश्वर में भगवान बद्री के दूत, उद्धव मूर्ति की शीतकाल के दौरान पूजा की जाती है. शीतकाल के दौरान मां यमुनोत्री, खरसाली (खुशीमठ) में प्रवास करती हैं. इसके साथ ही शीतकाल के दौरान मां गंगा, हर्षिल के पास भागीरथी नदी के तट पर स्थित एक छोटे से गांव मुखबा (मुखीमठ) में प्रवास करती हैं. जहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. यही वजह है कि उत्तराखंड सरकार शीतकाल यात्रा को प्रोत्साहित कर रही है.

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Last Updated : Dec 10, 2024, 10:13 PM IST
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