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जैव विविधता के रंग, 500 से ज्यादा फोटोस, कमाल की लाइटिंग, खास है उत्तराखंड बायो डायवर्सिटी गैलरी

Uttarakhand Forest Research Center,Haldwani Biodiversity Gallery हल्द्वानी में बायोडायवर्सिटी गैलरी तैयार की गई है. इस बायोडायवर्सिटी गैलरी में करीब 500 से ज्यादा फोटोस को बेहतर लाइटिंग के साथ प्रदर्शित किया गया है. इस गैलरी का आकर्षण का केंद्र गैलरी में दाखिल होते ही सुनाई देने वाली वह आवाजें हैं. ये आवाजें जंगल में होने का एहसास कराती हैं.

Haldwani Biodiversity Gallery
खास है उत्तराखंड बायो डायवर्सिटी गैलरी
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 24, 2024, 9:26 PM IST

खास है उत्तराखंड बायो डायवर्सिटी गैलरी

देहरादून: दुनियाभर में जैव-विविधता के संरक्षण पर काम हो रहा है. खासतौर पर उन जीवों या वनस्पतियों के संवर्धन की कोशिश की जा रही है, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं. अब सवाल ये है कि दुनिया इसको लेकर क्यों चिंतित है? इसका जवाब उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र की उस बायोडायवर्सिटी गैलरी में मिलता है, जिसे बेहद खूबसूरती के साथ केंद्र में स्थापित किया गया है.

बायो-डायवर्सिटी यानी जीवों, वनस्पतियों समेत पृथ्वी पर जीवन की विविधता...जिसका सीधा ताल्लुक पारिस्थितिकी तंत्र से है.एक साइकिल चेन के रूप में एक जीव का दूसरे से संबंध... इसी बात को बेहद खूबसूरती से उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र की बायो-डाइवर्सिटी गैलरी में समझा जा सकता है. हल्द्वानी में स्थित वन अनुसंधान केंद्र में ही इस गैलरी को तैयार किया गया है..इसमें तमाम वन्य जीवन के साथ ही उन महत्वपूर्ण वनस्पतियों को भी तस्वीरों के रूप में संजोया गया है जो बेहद महत्वपूर्ण भी है और धीरे-धीरे विलुप्त भी होती जा रही हैं. उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी देख रहे हैं और उनके निर्देश के आधार पर ही बायोडायवर्सिटी गैलरी तैयार की गई है.

बायोडायवर्सिटी गैलरी में तमाम वनस्पतियों और वन्यजीवों की तस्वीर लगाई गई हैं. साथ ही इनके बारे में भी जानकारियां प्रदर्शित की गई हैं. कुछ वनस्पतियां तो ऐसी भी हैं जो केवल उत्तराखंड में ही मिलती हैं. कई वन्य जीव भी ऐसे हैं जो अपने आकार या विशेष महत्व के लिहाज से केवल उत्तराखंड में ही मौजूद हैं. गैलरी में करीब 500 से ज्यादा फोटोस को बेहतर लाइटिंग के साथ प्रदर्शित किया गया है. इस गैलरी का आकर्षण का केंद्र गैलरी में दाखिल होते ही सुनाई देने वाली वह आवाज़ भी हैं, जो किसी जंगल में होने का एहसास कराती हैं. चिड़ियों की चहचहाहट, हाथी का चिंघाड़ना और बाघ की गुर्राहट सभी तरह की आवाज को यहां पर म्यूजिक सिस्टम से जोड़ा गया है.

बायो डायवर्सिटी गैलरी में स्कूली बच्चों से लेकर कॉलेज के युवा भी आते हैं. इस जगह पर पहुंचकर वह समझ पाते हैं कि पृथ्वी पर जीवन की विविधता किस तरह की है. हर जीव कैसे एक दूसरे के लिए महत्वपूर्ण है, यानी किताबों में मौजूद पारिस्थितिकी तंत्र को वह सामने तस्वीरों के माध्यम से बेहतर तरीके से समझ पाते हैं. इतना ही नहीं वन विभाग के कर्मचारी भी बायोडायवर्सिटी गैलरी में आकर इन सभी वनस्पतियों के बारे में जानते हैं.

उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र में तैनात रेंजर मदन सिंह बिष्ट बताते हैं इस गैलरी में ऐसे कई वन्यजीवों और वनस्पतियों को प्रदर्शित किया गया है जो विलुप्त होने की कगार पर हैं. खास बात यह है कि इनसे जुड़ी ऐसी कई जानकारियां यहां पर मौजूद हैं जो की काफी कम लोगों को पता होती हैं. उदाहरण देते हुए वह कहते हैं बहुत कम लोग जानते हैं कि जहरीला किंग कोबरा भी घोंसला बनाता है. वह उसी में रहता है. गैलरी में किंग कोबरा के एक घोंसले को भी रखा गया है. इसी तरह तमाम दूसरी वनस्पतियों, कीटों वन्यजीवों और पौधों की भी इसमें जानकारी दी गई है.

पढे़ं-पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहा हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र, पेश कर रहा नजीर

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खास है उत्तराखंड बायो डायवर्सिटी गैलरी

देहरादून: दुनियाभर में जैव-विविधता के संरक्षण पर काम हो रहा है. खासतौर पर उन जीवों या वनस्पतियों के संवर्धन की कोशिश की जा रही है, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं. अब सवाल ये है कि दुनिया इसको लेकर क्यों चिंतित है? इसका जवाब उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र की उस बायोडायवर्सिटी गैलरी में मिलता है, जिसे बेहद खूबसूरती के साथ केंद्र में स्थापित किया गया है.

बायो-डायवर्सिटी यानी जीवों, वनस्पतियों समेत पृथ्वी पर जीवन की विविधता...जिसका सीधा ताल्लुक पारिस्थितिकी तंत्र से है.एक साइकिल चेन के रूप में एक जीव का दूसरे से संबंध... इसी बात को बेहद खूबसूरती से उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र की बायो-डाइवर्सिटी गैलरी में समझा जा सकता है. हल्द्वानी में स्थित वन अनुसंधान केंद्र में ही इस गैलरी को तैयार किया गया है..इसमें तमाम वन्य जीवन के साथ ही उन महत्वपूर्ण वनस्पतियों को भी तस्वीरों के रूप में संजोया गया है जो बेहद महत्वपूर्ण भी है और धीरे-धीरे विलुप्त भी होती जा रही हैं. उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी देख रहे हैं और उनके निर्देश के आधार पर ही बायोडायवर्सिटी गैलरी तैयार की गई है.

बायोडायवर्सिटी गैलरी में तमाम वनस्पतियों और वन्यजीवों की तस्वीर लगाई गई हैं. साथ ही इनके बारे में भी जानकारियां प्रदर्शित की गई हैं. कुछ वनस्पतियां तो ऐसी भी हैं जो केवल उत्तराखंड में ही मिलती हैं. कई वन्य जीव भी ऐसे हैं जो अपने आकार या विशेष महत्व के लिहाज से केवल उत्तराखंड में ही मौजूद हैं. गैलरी में करीब 500 से ज्यादा फोटोस को बेहतर लाइटिंग के साथ प्रदर्शित किया गया है. इस गैलरी का आकर्षण का केंद्र गैलरी में दाखिल होते ही सुनाई देने वाली वह आवाज़ भी हैं, जो किसी जंगल में होने का एहसास कराती हैं. चिड़ियों की चहचहाहट, हाथी का चिंघाड़ना और बाघ की गुर्राहट सभी तरह की आवाज को यहां पर म्यूजिक सिस्टम से जोड़ा गया है.

बायो डायवर्सिटी गैलरी में स्कूली बच्चों से लेकर कॉलेज के युवा भी आते हैं. इस जगह पर पहुंचकर वह समझ पाते हैं कि पृथ्वी पर जीवन की विविधता किस तरह की है. हर जीव कैसे एक दूसरे के लिए महत्वपूर्ण है, यानी किताबों में मौजूद पारिस्थितिकी तंत्र को वह सामने तस्वीरों के माध्यम से बेहतर तरीके से समझ पाते हैं. इतना ही नहीं वन विभाग के कर्मचारी भी बायोडायवर्सिटी गैलरी में आकर इन सभी वनस्पतियों के बारे में जानते हैं.

उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र में तैनात रेंजर मदन सिंह बिष्ट बताते हैं इस गैलरी में ऐसे कई वन्यजीवों और वनस्पतियों को प्रदर्शित किया गया है जो विलुप्त होने की कगार पर हैं. खास बात यह है कि इनसे जुड़ी ऐसी कई जानकारियां यहां पर मौजूद हैं जो की काफी कम लोगों को पता होती हैं. उदाहरण देते हुए वह कहते हैं बहुत कम लोग जानते हैं कि जहरीला किंग कोबरा भी घोंसला बनाता है. वह उसी में रहता है. गैलरी में किंग कोबरा के एक घोंसले को भी रखा गया है. इसी तरह तमाम दूसरी वनस्पतियों, कीटों वन्यजीवों और पौधों की भी इसमें जानकारी दी गई है.

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