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उत्तराखंड में अब रजिस्टर्ड लोग ही कर पाएंगे सांपों का रेस्क्यू, स्नेक वीडियो बैन, पढ़ें वन विभाग की नई गाइडलाइन - new guideline for snakes rescue

उत्तराखंड में सांपों के रेस्क्यू को लेकर वन विभाग ने नई गाइडलाइन तैयार की है, जिसके तहत अब कोई भी व्यक्ति सांपों का रेक्स्यू नहीं कर सकता है. सांपों का रेस्क्यू करने के लिए आपको अब वन विभाग के नियमों के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके तहत अब आप सांपों के रेस्क्यू का वीडियो सोशल मीडिया पर भी नहीं डाल सकते हैं.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 6, 2024, 11:06 AM IST

Updated : Apr 6, 2024, 3:56 PM IST

उत्तराखंड में अब रजिस्टर्ड लोग ही कर पाएंगे सांपों का रेस्क्यू

देहरादून: उत्तराखंड में पहली बार सांपों के रेस्क्यू करने से जुड़ी विस्तृत गाइडलाइन तैयार की गयी है. इसमें कुछ ऐसे खास नियम जोड़े गए हैं, जो सांपों पर इंसानी दखल को सीमित करते हैं. दरअसल, वन्यजीवों के लिहाज से उत्तराखंड में जहरीले सांप लोगों की मौत का सबसे बड़ा कारण हैं. यही वजह है कि वन विभाग ने सांपों से जुड़ी गाइडलाइन तैयार कर ना केवल सांपों की बेवजह नुमाइश को रोकने की कोशिश की है, बल्कि इसके लिए मानक भी तय कर दिए हैं.

अक्सर सोशल मीडिया पर सांपों की नुमाइश के वीडियो आपने देखे ही होंगे. हालांकि अब उत्तराखंड में वन विभाग के नए नियमों के तहत सांपों के वीडियो को बैन कर दिया जाएगा. जी हां महकमे ने पहली बार इसको लेकर एक विस्तृत गाइडलाइन तैयार की है, जो सांपों को रेस्क्यू करने के नए नियमों से जुड़ी है.

इसके तहत बिना वन विभाग की अनुमति के कोई भी सांपों का रेस्क्यू नहीं कर सकेगा. गाइडलाइन के अनुसार वन महकमे के अलावा एनजीओ या दूसरे संबंधित लोगों को विभाग में रजिस्ट्रेशन के बाद ही सांपों को रेस्क्यू करने की अनुमति होगी. उत्तराखंड में वन विभाग द्वारा तैयार की गई गाइडलाइन के क्या हैं मुख्य बिंदु जानिए.

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उत्तराखंड वन विभाग की नई गाइडलाइन.

उत्तराखंड वन विभाग सांपों के काटने से हो रही मौतों को लेकर बेहद चिंतित है. महकमे को गाइडलाइन बनने के बाद राज्य भर से सांपों से जुड़ी सटीक जानकारी भी मिल पाएगी. इसके बाद किसी के द्वारा भी सांप को रेस्क्यू करने की पुरानी स्थिति भी खत्म होगी, जिसके कारण हमेशा लोगों को सांप के काटने का एक खतरा बना रहता है.

आंकड़ों की सही जानकारी मिलेगी: अब इस नई गाइडलाइन को तैयार किया गया है, उसके कारण भविष्य में सांपों के रेस्क्यू के सटीक आंकड़े और घटनाओं की भी सही जानकारी मिल सकेगी. उत्तराखंड में सांपों को लेकर इस गाइडलाइन को बनाए जाने की जरूरत इसलिए भी महसूस की गई, क्योंकि प्रदेश में वाइल्डलाइफ के लिहाज से सबसे ज्यादा मौत सांप के काटने से ही हो रही हैं. वन विभाग इन आंकड़ों को कम करने के प्रयास में जुटा हुआ है. राज्य में विभाग के कर्मचारियों द्वारा सांपों को रेस्क्यू करने की तो सटीक जानकारी मिल रही थी, लेकिन निजी व्यक्तियों द्वारा सांपों के रेस्क्यू का आंकड़ा मिलना मुश्किल हो रहा था.

सोशल मीडिया पर नुमाइश का प्रचलन भी बढ़ गया था: इसके अलावा सांपों का बेवजह सोशल मीडिया पर नुमाइश करने का प्रचलन भी बढ़ रहा था. साथ ही बिना प्रशिक्षण वाले लोगों द्वारा सांप पकड़ने के चलते उनकी जान को भी खतरा बना हुआ था. ऐसे में विभिन्न कारणों की वजह से विभाग को गाइडलाइन तैयार करनी पड़ी.

सांपों से जुड़े कुछ चौंकाने वाले आंकड़ों पर एक नजर:

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उत्तराखंड में सांपों के काटने से सबसे ज्यादा मौतें हो रही है.

उत्तराखंड में सांपों के काटने को लेकर सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसी सबसे ज्यादा घटनाएं पर्वतीय जनपद पिथौरागढ़ में हो रही हैं. आंकड़ा सामने आने के बाद वन विभाग के अधिकारी भी इस स्थिति से हैरान हैं और इसके कारणों को जानने के लिए भी लगातार अध्धयन किया जा रहा है.

चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन समीर सिन्हा कहते हैं कि सांपों के काटने की घटनाएं चिंताजनक हैं और लोगों की भी काफी ज्यादा संख्या में इसे मौत हुई है. इन्हीं स्थितियों से निपटने के लिए लगातार वन विभाग काम कर रहा है.

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उत्तराखंड में अब रजिस्टर्ड लोग ही कर पाएंगे सांपों का रेस्क्यू

देहरादून: उत्तराखंड में पहली बार सांपों के रेस्क्यू करने से जुड़ी विस्तृत गाइडलाइन तैयार की गयी है. इसमें कुछ ऐसे खास नियम जोड़े गए हैं, जो सांपों पर इंसानी दखल को सीमित करते हैं. दरअसल, वन्यजीवों के लिहाज से उत्तराखंड में जहरीले सांप लोगों की मौत का सबसे बड़ा कारण हैं. यही वजह है कि वन विभाग ने सांपों से जुड़ी गाइडलाइन तैयार कर ना केवल सांपों की बेवजह नुमाइश को रोकने की कोशिश की है, बल्कि इसके लिए मानक भी तय कर दिए हैं.

अक्सर सोशल मीडिया पर सांपों की नुमाइश के वीडियो आपने देखे ही होंगे. हालांकि अब उत्तराखंड में वन विभाग के नए नियमों के तहत सांपों के वीडियो को बैन कर दिया जाएगा. जी हां महकमे ने पहली बार इसको लेकर एक विस्तृत गाइडलाइन तैयार की है, जो सांपों को रेस्क्यू करने के नए नियमों से जुड़ी है.

इसके तहत बिना वन विभाग की अनुमति के कोई भी सांपों का रेस्क्यू नहीं कर सकेगा. गाइडलाइन के अनुसार वन महकमे के अलावा एनजीओ या दूसरे संबंधित लोगों को विभाग में रजिस्ट्रेशन के बाद ही सांपों को रेस्क्यू करने की अनुमति होगी. उत्तराखंड में वन विभाग द्वारा तैयार की गई गाइडलाइन के क्या हैं मुख्य बिंदु जानिए.

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उत्तराखंड वन विभाग की नई गाइडलाइन.

उत्तराखंड वन विभाग सांपों के काटने से हो रही मौतों को लेकर बेहद चिंतित है. महकमे को गाइडलाइन बनने के बाद राज्य भर से सांपों से जुड़ी सटीक जानकारी भी मिल पाएगी. इसके बाद किसी के द्वारा भी सांप को रेस्क्यू करने की पुरानी स्थिति भी खत्म होगी, जिसके कारण हमेशा लोगों को सांप के काटने का एक खतरा बना रहता है.

आंकड़ों की सही जानकारी मिलेगी: अब इस नई गाइडलाइन को तैयार किया गया है, उसके कारण भविष्य में सांपों के रेस्क्यू के सटीक आंकड़े और घटनाओं की भी सही जानकारी मिल सकेगी. उत्तराखंड में सांपों को लेकर इस गाइडलाइन को बनाए जाने की जरूरत इसलिए भी महसूस की गई, क्योंकि प्रदेश में वाइल्डलाइफ के लिहाज से सबसे ज्यादा मौत सांप के काटने से ही हो रही हैं. वन विभाग इन आंकड़ों को कम करने के प्रयास में जुटा हुआ है. राज्य में विभाग के कर्मचारियों द्वारा सांपों को रेस्क्यू करने की तो सटीक जानकारी मिल रही थी, लेकिन निजी व्यक्तियों द्वारा सांपों के रेस्क्यू का आंकड़ा मिलना मुश्किल हो रहा था.

सोशल मीडिया पर नुमाइश का प्रचलन भी बढ़ गया था: इसके अलावा सांपों का बेवजह सोशल मीडिया पर नुमाइश करने का प्रचलन भी बढ़ रहा था. साथ ही बिना प्रशिक्षण वाले लोगों द्वारा सांप पकड़ने के चलते उनकी जान को भी खतरा बना हुआ था. ऐसे में विभिन्न कारणों की वजह से विभाग को गाइडलाइन तैयार करनी पड़ी.

सांपों से जुड़े कुछ चौंकाने वाले आंकड़ों पर एक नजर:

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उत्तराखंड में सांपों के काटने से सबसे ज्यादा मौतें हो रही है.

उत्तराखंड में सांपों के काटने को लेकर सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसी सबसे ज्यादा घटनाएं पर्वतीय जनपद पिथौरागढ़ में हो रही हैं. आंकड़ा सामने आने के बाद वन विभाग के अधिकारी भी इस स्थिति से हैरान हैं और इसके कारणों को जानने के लिए भी लगातार अध्धयन किया जा रहा है.

चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन समीर सिन्हा कहते हैं कि सांपों के काटने की घटनाएं चिंताजनक हैं और लोगों की भी काफी ज्यादा संख्या में इसे मौत हुई है. इन्हीं स्थितियों से निपटने के लिए लगातार वन विभाग काम कर रहा है.

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Last Updated : Apr 6, 2024, 3:56 PM IST
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