देहरादून: मॉनसून सीजन उत्तराखंड के लिए बेहद संवेदनशील माना जाता है. इस दौरान सरकार महत्वपूर्ण विभागों में तैनात अधिकारियों के तबादलों से बचती है, मगर इसी सीजन में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में उथल-पुथल मची हैं. पहले आपदा प्रबंधन विभाग में इस्तीफों का दौर चला. इसके बाद बीते रोज ही आपदा सचिव को बदल दिया गया. ऐसे आफत वाले सीजन में आपदा प्रबंधन विभाग खुद फंसा हुआ नजर आ रहा है.
कहर बरपा रहा मानसून , अब तक गई 32 लोगों की जान: उत्तराखंड में मानसून सीजन ने कहर बार पाना शुरू कर दिया है. 15 जून से शुरू हुए मानसून सीजन में अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है, तीन लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. सड़क दुर्घटनाओं की बात करें तो मानसून सीजन में अब तक 27 लोगों ने अपनी सड़क दुर्घटना में जान गंवाई है, जबकि 62 लोग घायल हुए हैं. इससे पहले चार धाम यात्रा में 166 लोगों की मौत हो चुकी है.
#WATCH | Badrinath National Highway blocked near Lambagad due to debris. As a precautionary measure, traffic movement halted at Sri Badrinath and Pandukeshwar barrier.
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 4, 2024
(Video: Chamoli Police Uttarakhand) pic.twitter.com/zYTU6QaigY
प्रदेश में बंद 136 सड़कें, खोलने का काम जारी: आज की तारीख में प्रदेश के हालातों की बात करें तो उत्तराखंड में कुमाऊं के कई इलाकों में रेड अलर्ट है. प्रदेश के अन्य मैदानी और पहाड़ी इलाकों में भी भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है. प्रदेश में पिछले कई घंटों से रुक रुक कर बारिश हो रही है. जिसके चलते नदियां भी उफान पर हैं. मैदानी इलाकों से लेकर के पहाड़ी जिलों तक आसमान अपना रूद्र रूप दिखा रहा है. सड़कों की बात करें तो प्रदेश भर में इस वक्त 136 सड़के बंद हैं, जिन्हें खोलने का काम तेजी से किया जा रहा है. जिलेवार बंद सड़कों की अगर बात करें तो रुद्रप्रयाग में 4 सड़कें, बागेश्वर में 15 सड़कें, देहरादून जिले में 11 सड़कें, पिथौरागढ़ में 16 सड़कें, अल्मोड़ा जिले में 7 सड़कें, नैनीताल जिले में 14 सड़कें, चंपावत जिले में 18 सड़कें, पौड़ी गढ़वाल में 5 सड़कें, चमोली जिले में 26 सड़कें और टिहरी जिले में 20 सड़कें बंद हैं. जिसमें ज्यादातर ग्रामीण मार्ग और कुछ नेशनल हाईवे और कुछ बॉर्डर रोड्स भी शामिल हैं.
खुद आफत में फंसा आपदा प्रबंधन विभाग: एक तरफ उत्तराखंड मानसून सीजन बारिश की बारिश से बेहाल है. दूसरी ओर आपदा प्रबंधन खुद में ही फंसा हुआ नजर आ रहा है. इस वक्त आपदा प्रबंधन में अधिकारी कर्मचारियों में उथल-पुथल मची हुई है. अब तक आपदा प्रबंधन विभाग में कई महत्वपूर्ण पदों पर तैनात अधिकारियों पर जांच चल रही है. इसके साथ ही हाल ही में सरकार ने आपदा प्रबंधन के सचिव को ही बदल दिया. बीते मंगलवार देर रात निकली ट्रांसफर की लिस्ट में सबसे बड़ा फेरबदल आपदा प्रबंधन में ही हुआ. जिसमें आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिंह को बदलकर आईएएस अधिकारी विनोद कुमार सुमन को आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गई. ये जिम्मेदारी ऐसे समय में दी गई जब आपदा प्रबंधन सचिव के रूप में रंजीत कुमार सिंह आने वाले मानसून सीजन की फुल प्रूफ प्लानिंग कर चुके थे. इसको लेकर वह लगातार मीडिया से बात भी कर रहे थे, मगर ऐन वक्त से पहले उन्हें हटा दिया गया. अब नए आपदा प्रबंधन सचिव के रूप में विनोद कुमार सुमन काम कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने उनसे विभाग के साथ ही आपदा की चुनौतियों को लेकर विस्तार के बात की. उन्होंने कहा अभी वह आए हैं, व्यवस्थाओं को देखेंगे, उसके हिसाब से ही काम करेंगे.
#WATCH | Uttarakhand: Heavy rain lashes parts of Dehradun; several roads inundated. pic.twitter.com/UvcxkWTNOj
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 4, 2024आपदा प्रबंधन में बीजेपी के हस्तक्षेप का आरोप: निश्चित तौर से मानसून सीजन के बीच में यदि अधिकारियों को बदल जाता है तो उसका गंभीर असर आपदा के रेस्क्यू ऑपरेशन में दिखने की आशंका रहती है. लिहाजा विपक्ष भी इस मामले पर सरकार को घेरने में लगा है. कांग्रेस का कहना है कि आपदा प्रबंधन में भाजपा के नेताओं के सगे संबंधियों के होने की वजह से बीजेपी का हस्तक्षेप काफी ज्यादा है. यही वजह है कि आपदा प्रबंधन विभाग स्थिर नहीं हो पा रहा है. अब मानसून सीजन के बीच में आपदा प्रबंधन के उस अधिकारी को बदलना जिसकी कंधे पर प्रदेश में आने वाली सभी बड़ी आपदाओं की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है, यह बेहद आश्चर्यजनक है.
आमने सामने पक्ष विपक्ष: कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा सरकार का यह फैसला बेहद अपरिपक्वता से भरा है. जिसका खामिया जा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ सकता है. वहीं, सरकार और भाजपा की ओर से इसे लेकर बयान सामने आया है. सरकार का कहना है आपदा प्रबंधन की पूरी तैयारी की जा चुकी है. किसी एक अधिकारी के बदलने से इस पर कोई खास असर नहीं पड़ता है. भाजपा प्रवक्ता सुरेश जोशी का कहना है कि सरकार आगामी मानसून सीजन को लेकर के पूरी तरह से तैयार है. किसी भी अधिकारी के इस्तीफा देने से या फिर उसे बदल देने से कोई फर्क नहीं पड़ता है.