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चुनाव में नफरत फैलने वाले भाषणों की शिकायतें सच, 'वोट जिहाद' जैसे शब्दों का यूज जांच के दायरे में, ECI अधिकारी का दावा

अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ किरण कुलकर्णी ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान 'वोट जिहाद' जैसे शब्दों के प्रयोग के गंभीर परिणाम होंगे.

चुनाव आयोग
चुनाव आयोग (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 4 hours ago

मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान 'वोट जिहाद' जैसे विवादास्पद शब्दों का इस्तेमाल भारत के चुनाव आयोग (ECI) की जांच के दायरे में है. एक चुनाव अधिकारी ने बुधवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया. फिलहाल मामले का विश्लेषण किया जा रहा है.

महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी डॉ किरण कुलकर्णी ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे शब्दों के इस्तेमाल के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. कुलकर्णी ने कहा, "ईसीआई आगे की कार्रवाई करने से पहले कानूनी, भाषाई और सामाजिक क्षेत्रों में इसके निहितार्थों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण कर रहा है. हमें 'वोट जिहाद' जैसे शब्दों से बहुत सावधान रहना चाहिए."

'व्यापक समीक्षा करने के बाद हम उचित निर्णय'
चुनाव अधिकारी ने इसे एक नया शब्द भी बताया, जिस पर कानूनी, भाषाई, सामाजिक और धार्मिक पहलुओं पर विचार करने की आवश्यकता है. कुलकर्णी ने कहा, "मुख्य चुनाव अधिकारी और ईसीआई के अन्य अधिकारी और मैं इसका विश्लेषण कर रहे हैं और इन सभी पहलुओं की व्यापक समीक्षा करने के बाद हम उचित निर्णय लेंगे."

उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे शब्दों के इस्तेमाल के संभावित प्रभाव पर जल्दबाजी में निष्कर्ष निकालने के प्रति भी आगाह किया और संभावित परिणामों को ध्यान में रखते हुए इन मुद्दों को सावधानीपूर्वक संभालने का आह्वान किया. चुनाव अधिकारी ने कहा कि यह एक लॉन्ग टर्म प्रोसेस है. शब्दों और उनके संदर्भों को अच्छी तरह से परिभाषित और विश्लेषित करने की आवश्यकता है. नई शब्दावली के लिए कोई सख्त कानूनी ढांचा नहीं है.

नफरत फैलाने वाले भाषण और अन्य चुनावी मुद्दे
कुलकर्णी ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान चुनाव आयोग को मिली नफरत फैलाने वाले भाषणों की कुछ शिकायतें वास्तविक पाई गईं और उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत निपटाया जाएगा.

उन्होंने कहा कि राज्य में नैतिक आचार संहिता (MCC) के उल्लंघन के लिए कुल 659 मामले दर्ज किए गए, जो लोकसभा चुनावों के दौरान दर्ज किए गए 366 मामलों से काफी अधिक है. उन्होंने कहा, "हालांकि, आदर्श आचार संहिता कोई कानून नहीं है, बल्कि विभिन्न कानूनों द्वारा समर्थित एक सहमति से बनी दिशा-निर्देश है."

अदालतों में 300 आरोप-पत्र दाखिल
कुलकर्णी ने कहा कि लोकसभा चुनाव से संबंधित चुनावी अपराधों को लेकर अदालतों में 300 आरोप-पत्र दाखिल किए गए हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव से संबंधित मामलों पर नजर रख रहा है और यह सुनिश्चित करेगा कि यह अपने तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचे.

उन्होंने कहा, "ये आपराधिक मामले हैं, इसलिए वे उचित प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं. अदालतें चुनाव से संबंधित अपराधों को लेकर गंभीर हैं और हम शीघ्र समाधान का अनुरोध कर रहे हैं." कुलकर्णी ने बूथ कैप्चरिंग के आरोपों को भी खारिज कर दिया और कहा कि राज्य में ऐसा कभी नहीं हुआ, क्योंकि ईवीएम की मजबूत प्रकृति के कारण यह अर्थहीन हो जाता है.

उन्होंने कहा कि (मतदान के दौरान) व्यवधान के छह मामले सामने आए, लेकिन मतदान प्रक्रिया एक घंटे के भीतर बहाल कर दी गई, उन्होंने कहा कि एक मामले में संदेह को दूर करने के लिए एक ईवीएम को बदल दिया गया था.

यह भी पढ़ें- 10 मौके जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से हुआ टकराव

मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान 'वोट जिहाद' जैसे विवादास्पद शब्दों का इस्तेमाल भारत के चुनाव आयोग (ECI) की जांच के दायरे में है. एक चुनाव अधिकारी ने बुधवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया. फिलहाल मामले का विश्लेषण किया जा रहा है.

महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी डॉ किरण कुलकर्णी ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे शब्दों के इस्तेमाल के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. कुलकर्णी ने कहा, "ईसीआई आगे की कार्रवाई करने से पहले कानूनी, भाषाई और सामाजिक क्षेत्रों में इसके निहितार्थों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण कर रहा है. हमें 'वोट जिहाद' जैसे शब्दों से बहुत सावधान रहना चाहिए."

'व्यापक समीक्षा करने के बाद हम उचित निर्णय'
चुनाव अधिकारी ने इसे एक नया शब्द भी बताया, जिस पर कानूनी, भाषाई, सामाजिक और धार्मिक पहलुओं पर विचार करने की आवश्यकता है. कुलकर्णी ने कहा, "मुख्य चुनाव अधिकारी और ईसीआई के अन्य अधिकारी और मैं इसका विश्लेषण कर रहे हैं और इन सभी पहलुओं की व्यापक समीक्षा करने के बाद हम उचित निर्णय लेंगे."

उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे शब्दों के इस्तेमाल के संभावित प्रभाव पर जल्दबाजी में निष्कर्ष निकालने के प्रति भी आगाह किया और संभावित परिणामों को ध्यान में रखते हुए इन मुद्दों को सावधानीपूर्वक संभालने का आह्वान किया. चुनाव अधिकारी ने कहा कि यह एक लॉन्ग टर्म प्रोसेस है. शब्दों और उनके संदर्भों को अच्छी तरह से परिभाषित और विश्लेषित करने की आवश्यकता है. नई शब्दावली के लिए कोई सख्त कानूनी ढांचा नहीं है.

नफरत फैलाने वाले भाषण और अन्य चुनावी मुद्दे
कुलकर्णी ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान चुनाव आयोग को मिली नफरत फैलाने वाले भाषणों की कुछ शिकायतें वास्तविक पाई गईं और उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत निपटाया जाएगा.

उन्होंने कहा कि राज्य में नैतिक आचार संहिता (MCC) के उल्लंघन के लिए कुल 659 मामले दर्ज किए गए, जो लोकसभा चुनावों के दौरान दर्ज किए गए 366 मामलों से काफी अधिक है. उन्होंने कहा, "हालांकि, आदर्श आचार संहिता कोई कानून नहीं है, बल्कि विभिन्न कानूनों द्वारा समर्थित एक सहमति से बनी दिशा-निर्देश है."

अदालतों में 300 आरोप-पत्र दाखिल
कुलकर्णी ने कहा कि लोकसभा चुनाव से संबंधित चुनावी अपराधों को लेकर अदालतों में 300 आरोप-पत्र दाखिल किए गए हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव से संबंधित मामलों पर नजर रख रहा है और यह सुनिश्चित करेगा कि यह अपने तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचे.

उन्होंने कहा, "ये आपराधिक मामले हैं, इसलिए वे उचित प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं. अदालतें चुनाव से संबंधित अपराधों को लेकर गंभीर हैं और हम शीघ्र समाधान का अनुरोध कर रहे हैं." कुलकर्णी ने बूथ कैप्चरिंग के आरोपों को भी खारिज कर दिया और कहा कि राज्य में ऐसा कभी नहीं हुआ, क्योंकि ईवीएम की मजबूत प्रकृति के कारण यह अर्थहीन हो जाता है.

उन्होंने कहा कि (मतदान के दौरान) व्यवधान के छह मामले सामने आए, लेकिन मतदान प्रक्रिया एक घंटे के भीतर बहाल कर दी गई, उन्होंने कहा कि एक मामले में संदेह को दूर करने के लिए एक ईवीएम को बदल दिया गया था.

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