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लेटरल एंट्री रद्द : केंद्रीय मंत्री मेघवाल बोले- PM ने सामाजिक न्याय को ध्यान में रखते हुए लिया महत्वपूर्ण निर्णय - Lateral Entry in Civil Services

UPSC Withdraws Lateral Entry, UPSC ने लेटरल एंट्री से होने वाली नियुक्ति के प्रस्ताव को रद्द कर दिया है. केन्द्र की मोदी सरकार की ओर लिए गए इस निर्णय पर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने सामाजिक न्याय को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है.

Arjun Ram Meghwal
अर्जुन मेघवाल ने विपक्ष पर साधा निशाना (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 20, 2024, 6:18 PM IST

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर: लेटरल एंट्री भर्ती को लेकर लतागार उठ रहे सवालों के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने यूपीएससी की लेटरल एंट्री भर्ती पर रोक लगा दी है. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से यूपीएससी को लेटर लिखा गया है. केंद्रीय केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह की ओर से यूपीएससी चेयरमैन को यह पत्र लिख कर आगे इस पर किसी कार्यवाही पर रोक लगाई गई है. मोदी सरकार के इस फैसले के बाद केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने शासन में इसी तरह नियुक्ति किया, लेकिन मोदी सरकार ने इसे व्यवस्थित करने का फैसला लिया था. कुछ आपत्तियों के बीच सरकार ने अपने इस फैसले को रद्द करके यह साबित किया है कि सरकार सामाजिक न्याय को ध्यान में रख काम कर रही है.

कांग्रेस ने की लेटरल एंट्री की शुरुआत : विधि और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि लेटरल एंट्री के मुद्दे पर कांग्रेस भ्रम फैला रही है, जबकि कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान लेटरल एंट्री की शुरूआत की थी. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह समेत कई अधिकारी लेटरल एंट्री द्वारा सरकार में शामिल हुए थे. ऐसे कई उदाहरण कांग्रेस सरकार के समय के मिल जाएंगे, जबकि नरेंद्र मोदी ने इस व्यवस्था में बदलाव करते हुए लेटरल एंट्री को और अधिक सुव्यवस्थित करने की दिशा में कदम बढ़ाया था.

पढ़ें : भारत बंद के आह्वान के बीच केंद्रीय अर्जुन राम मेघवाल का कांग्रेस पर हमला, कहा- राहुल और खड़गे भ्रम फैला रहे - Bharat bandh

सामाजिक न्याय को ध्यान में रख लिया फैसला : अर्जुन मेघवाल ने कहा कि मोदी सरकार किस तरह से सामाजिक न्याय को ध्यान में रखकर काम कर रही है, इसका उदाहरण आज एक बार फिर देखने को मिला जब लेटरल एंट्री के मुद्दे पर आपत्तियां आईं तो, सरकार ने जनता की भावनाओं का ध्यान रखा और सामाजिक न्याय को ध्यान में रखते हुए यूपीएससी की लेटरल एंट्री भर्ती पर रोक लगा दी है. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से यूपीएससी को लेटर लिखा गया है. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह की ओर से यूपीएससी चेयरमैन को यह पत्र लिख कर आगे इस पर किसी तरह की कार्यवाही पर रोक लगाई गई है.

विपक्ष ने उठाए थे सवाल : बता दें कि यूपीएससी में होने वाली लेटरल एंट्री को लेकर विपक्ष की ओर से लगातार सरकार पर सवाल उठाया जा रहा था. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने यूपीएससी में लेटरल एंट्री और उसमें आरक्षण नहीं दिए जाने का विरोध किया था. इसके बाद सरकार में शामिल कई दल भी इसको लेकर अपनी आवाज मुखर करने लगे. जिसके बाद अब सरकार ने यूपीएससी से लेटरल एंट्री के विज्ञापन को निरस्‍त करने के निर्देश दिए हैं.

ये है पूरा मामला : दरअसल, तीन दिन पहले ही संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) ने लेटरल एंट्री के माध्‍यम से केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में कुल 45 पदों पर संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उपसचिवों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था. जिसके बाद इसको लेकर बवाल मच गया. विपक्ष का आरोप था कि इन भर्तियों में आरक्षण की अनदेखी की जा रही है.

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर: लेटरल एंट्री भर्ती को लेकर लतागार उठ रहे सवालों के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने यूपीएससी की लेटरल एंट्री भर्ती पर रोक लगा दी है. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से यूपीएससी को लेटर लिखा गया है. केंद्रीय केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह की ओर से यूपीएससी चेयरमैन को यह पत्र लिख कर आगे इस पर किसी कार्यवाही पर रोक लगाई गई है. मोदी सरकार के इस फैसले के बाद केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने शासन में इसी तरह नियुक्ति किया, लेकिन मोदी सरकार ने इसे व्यवस्थित करने का फैसला लिया था. कुछ आपत्तियों के बीच सरकार ने अपने इस फैसले को रद्द करके यह साबित किया है कि सरकार सामाजिक न्याय को ध्यान में रख काम कर रही है.

कांग्रेस ने की लेटरल एंट्री की शुरुआत : विधि और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि लेटरल एंट्री के मुद्दे पर कांग्रेस भ्रम फैला रही है, जबकि कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान लेटरल एंट्री की शुरूआत की थी. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह समेत कई अधिकारी लेटरल एंट्री द्वारा सरकार में शामिल हुए थे. ऐसे कई उदाहरण कांग्रेस सरकार के समय के मिल जाएंगे, जबकि नरेंद्र मोदी ने इस व्यवस्था में बदलाव करते हुए लेटरल एंट्री को और अधिक सुव्यवस्थित करने की दिशा में कदम बढ़ाया था.

पढ़ें : भारत बंद के आह्वान के बीच केंद्रीय अर्जुन राम मेघवाल का कांग्रेस पर हमला, कहा- राहुल और खड़गे भ्रम फैला रहे - Bharat bandh

सामाजिक न्याय को ध्यान में रख लिया फैसला : अर्जुन मेघवाल ने कहा कि मोदी सरकार किस तरह से सामाजिक न्याय को ध्यान में रखकर काम कर रही है, इसका उदाहरण आज एक बार फिर देखने को मिला जब लेटरल एंट्री के मुद्दे पर आपत्तियां आईं तो, सरकार ने जनता की भावनाओं का ध्यान रखा और सामाजिक न्याय को ध्यान में रखते हुए यूपीएससी की लेटरल एंट्री भर्ती पर रोक लगा दी है. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से यूपीएससी को लेटर लिखा गया है. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह की ओर से यूपीएससी चेयरमैन को यह पत्र लिख कर आगे इस पर किसी तरह की कार्यवाही पर रोक लगाई गई है.

विपक्ष ने उठाए थे सवाल : बता दें कि यूपीएससी में होने वाली लेटरल एंट्री को लेकर विपक्ष की ओर से लगातार सरकार पर सवाल उठाया जा रहा था. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने यूपीएससी में लेटरल एंट्री और उसमें आरक्षण नहीं दिए जाने का विरोध किया था. इसके बाद सरकार में शामिल कई दल भी इसको लेकर अपनी आवाज मुखर करने लगे. जिसके बाद अब सरकार ने यूपीएससी से लेटरल एंट्री के विज्ञापन को निरस्‍त करने के निर्देश दिए हैं.

ये है पूरा मामला : दरअसल, तीन दिन पहले ही संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) ने लेटरल एंट्री के माध्‍यम से केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में कुल 45 पदों पर संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उपसचिवों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था. जिसके बाद इसको लेकर बवाल मच गया. विपक्ष का आरोप था कि इन भर्तियों में आरक्षण की अनदेखी की जा रही है.

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