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UPSC चेयरमैन का इस्तीफा, सरकार ने क्यों नहीं किया स्वीकार? - UPSC Chairman Manoj Soni

UPSC Chairman Manoj Soni Resigns: मनोज सोनी ने यूपीएससी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन सरकार ने अभी तक उनका इस्तीफा आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया है. नतीजतन, यूपीएससी निर्देशिका में वे अभी भी वर्तमान अध्यक्ष के रूप में सूचीबद्ध हैं. पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

Manoj Soni
मनोज सोनी (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 21, 2024, 10:28 AM IST

नई दिल्ली: भले ही संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष मनोज सोनी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन आयोग की निर्देशिका में उन्हें अभी भी यूपीएससी का मौजूदा अध्यक्ष ही माना जा रहा है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, 'हां, उन्होंने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है. इसलिए, मनोज सोनी अभी भी आधिकारिक तौर पर यूपीएससी के अध्यक्ष ही माने जा रहे हैं.'

संघ लोक सेवा आयोग संविधान अनुच्छेद 315 के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है. आयोग में एक अध्यक्ष और 10 सदस्य होते हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार सोनी से उनके फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए संपर्क करेगी, तो अधिकारी ने ऐसी किसी संभावना से इनकार किया.

पूजा खेडकर से जुड़े विवाद के बीच सोनी के इस्तीफे से जुड़ा घटनाक्रम महत्वपूर्ण हो गया है. हालांकि, अधिकारी ने इस बात से इनकार किया कि सोनी के इस्तीफे का खेडकर मामले से कोई संबंध है. शुक्रवार को यूपीएससी ने कहा कि उसने खेडकर के खिलाफ सिविल सेवा परीक्षा में फर्जी तरीके से प्रयास करने के लिए अपनी पहचान गलत बताने के आरोप में आपराधिक मामला दर्ज किया है.

प्रख्यात शिक्षाविद् सोनी ने 28 जून, 2017 को आयोग के सदस्य के रूप में कार्यभार संभाला था. उन्होंने 5 अप्रैल, 2022 को यूपीएससी अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला और उनकी आधिकारिक सेवानिवृत्ति का समय 15 मई, 2029 था. उन्होंने कथित तौर पर व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए एक महीने पहले इस्तीफा दे दिया. सोनी ने 'सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों' के लिए अधिक समय देने की इच्छा भी व्यक्त की है.

अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति:

अनुच्छेद 316 के अनुसार, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति, संघ आयोग या संयुक्त आयोग के मामले में राष्ट्रपति द्वारा तथा राज्य आयोग के मामले में राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाएगी.

यूपीएससी का गठन:

लोक सेवा आयोग भारत सरकार के अधिनियम 1919 की धारा 96 (सी) की उपधारा (2) के तहत बनाए गए लोक सेवा आयोग (कार्य) नियम, 1926 द्वारा विनियमित किए गए थे. इसके अलावा भारत सरकार अधिनियम, 1935 में संघ के लिए एक लोक सेवा आयोग और प्रत्येक प्रांत या प्रांतों के समूह के लिए एक प्रांतीय लोक सेवा आयोग की परिकल्पना की गई थी. इसलिए, भारत सरकार अधिनियम, 1935 के प्रावधानों के अनुसार और एक अप्रैल 1937 को इसके प्रभावी होने के साथ, लोक सेवा आयोग संघीय लोक सेवा आयोग बन गया.

यूपीएससी के कार्य:

भारत के संविधान के अनुच्छेद 320 के तहत अन्य बातों के साथ-साथ सिविल सेवाओं और पदों पर भर्ती से संबंधित सभी मामलों पर आयोग से परामर्श किया जाना आवश्यक है. इसके साथ ही आयोग के कार्यों में संघ की सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित करना शामिल है. इसके तहत साक्षात्कार के माध्यम से चयन द्वारा सीधी भर्ती, पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति भी शामिल है. सरकार के अधीन विभिन्न सेवाओं और पदों के लिए भर्ती नियमों को तैयार करना और उनमें संशोधन करना भी है. विभिन्न सिविल सेवाओं से संबंधित अनुशासनात्मक मामले और भारत के राष्ट्रपति द्वारा आयोग को भेजे गए किसी भी मामले पर सरकार को सलाह देना शामिल है.

ये भी पढ़ें- यूपीएससी चेयरमैन मनोज सोनी से कांग्रेस हैरान, कदाचार के आरोपों की जांच की मांग

ये भी पढ़ें-UPSC चेयरमैन मनोज सोनी ने दिया इस्तीफा, बताई यह वजह, अभी बचा है इतना कार्यकाल

नई दिल्ली: भले ही संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष मनोज सोनी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन आयोग की निर्देशिका में उन्हें अभी भी यूपीएससी का मौजूदा अध्यक्ष ही माना जा रहा है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, 'हां, उन्होंने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है. इसलिए, मनोज सोनी अभी भी आधिकारिक तौर पर यूपीएससी के अध्यक्ष ही माने जा रहे हैं.'

संघ लोक सेवा आयोग संविधान अनुच्छेद 315 के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है. आयोग में एक अध्यक्ष और 10 सदस्य होते हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार सोनी से उनके फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए संपर्क करेगी, तो अधिकारी ने ऐसी किसी संभावना से इनकार किया.

पूजा खेडकर से जुड़े विवाद के बीच सोनी के इस्तीफे से जुड़ा घटनाक्रम महत्वपूर्ण हो गया है. हालांकि, अधिकारी ने इस बात से इनकार किया कि सोनी के इस्तीफे का खेडकर मामले से कोई संबंध है. शुक्रवार को यूपीएससी ने कहा कि उसने खेडकर के खिलाफ सिविल सेवा परीक्षा में फर्जी तरीके से प्रयास करने के लिए अपनी पहचान गलत बताने के आरोप में आपराधिक मामला दर्ज किया है.

प्रख्यात शिक्षाविद् सोनी ने 28 जून, 2017 को आयोग के सदस्य के रूप में कार्यभार संभाला था. उन्होंने 5 अप्रैल, 2022 को यूपीएससी अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला और उनकी आधिकारिक सेवानिवृत्ति का समय 15 मई, 2029 था. उन्होंने कथित तौर पर व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए एक महीने पहले इस्तीफा दे दिया. सोनी ने 'सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों' के लिए अधिक समय देने की इच्छा भी व्यक्त की है.

अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति:

अनुच्छेद 316 के अनुसार, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति, संघ आयोग या संयुक्त आयोग के मामले में राष्ट्रपति द्वारा तथा राज्य आयोग के मामले में राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाएगी.

यूपीएससी का गठन:

लोक सेवा आयोग भारत सरकार के अधिनियम 1919 की धारा 96 (सी) की उपधारा (2) के तहत बनाए गए लोक सेवा आयोग (कार्य) नियम, 1926 द्वारा विनियमित किए गए थे. इसके अलावा भारत सरकार अधिनियम, 1935 में संघ के लिए एक लोक सेवा आयोग और प्रत्येक प्रांत या प्रांतों के समूह के लिए एक प्रांतीय लोक सेवा आयोग की परिकल्पना की गई थी. इसलिए, भारत सरकार अधिनियम, 1935 के प्रावधानों के अनुसार और एक अप्रैल 1937 को इसके प्रभावी होने के साथ, लोक सेवा आयोग संघीय लोक सेवा आयोग बन गया.

यूपीएससी के कार्य:

भारत के संविधान के अनुच्छेद 320 के तहत अन्य बातों के साथ-साथ सिविल सेवाओं और पदों पर भर्ती से संबंधित सभी मामलों पर आयोग से परामर्श किया जाना आवश्यक है. इसके साथ ही आयोग के कार्यों में संघ की सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित करना शामिल है. इसके तहत साक्षात्कार के माध्यम से चयन द्वारा सीधी भर्ती, पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति भी शामिल है. सरकार के अधीन विभिन्न सेवाओं और पदों के लिए भर्ती नियमों को तैयार करना और उनमें संशोधन करना भी है. विभिन्न सिविल सेवाओं से संबंधित अनुशासनात्मक मामले और भारत के राष्ट्रपति द्वारा आयोग को भेजे गए किसी भी मामले पर सरकार को सलाह देना शामिल है.

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