नई दिल्ली: कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक को बड़ा झटका लग सकता है. गठबंधन के कम से कम छह नवनिर्वाचित सांसदों पर आपराधिक केस दर्ज हैं. इसके चलते उन्हें दो साल से अधिक की सजा हो सकती है. अगर उन्हें सजा हो जाती है तो इन सांसदों की संसद की सदस्यता भी जा सकती है.
इन सांसदों में गाजीपुर सीट से जीत हासिल करने वाले अफजाल अंसारी भी शामिल हैं, जिनको गैंगस्टर एक्ट के एक मामले में पहले ही चार साल की सजा सुनाई जा चुकी है. पिछले महीने इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति मिल गई थी. इस मामले की सुनवाई जुलाई में होगा. अगर अदालत उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखती है, तो अंसारी अपनी लोकसभा सदस्यता खो देंगे.
धर्मेंद्र यादव के खिलाफ भी चार मामले लंबित
वहीं, आजमगढ़ सीट से जीतने वाले धर्मेंद्र यादव के खिलाफ भी चार मामले लंबित हैं और अगर उन्हें दो साल से अधिक की सजा मिलती है, तो उनकी सदस्यता भी जा सकती है. उनके अलावा जौनपुर सीट से जीत हासिल करने वाले बाबू सिंह कुशवाहा पर मायावती के शासनकाल में हुए एनआरएचएम घोटाले से जुड़े कई मामले चल रहे हैं. उनके खिलाफ दर्ज 25 मामलों में से आठ में आरोप तय हो चुके हैं.
रामभुआल निषाद के खिलाफ 8 केस
सुल्तानपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की मेनका गांधी को हराकर जीतने वाले रामभुआल निषाद के खिलाफ भी आठ केस दर्ज हैं. इनमें से एक मामला गैंगस्टर एक्ट से जुड़ा है. वे 2024 के लोकसभा चुनाव के उन विजेताओं में शामिल हैं, जिनपर सासंदी गंवाने का खतरा है.
इमरान मसूद के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस
चंदौली लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री महेंद्र नाथ पांडे को हराने वाले वीरेंद्र सिंह भी समाजवादी के ऐसे उम्मीदवार हैं, जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. उन्हें दोषी करार दिया जाना भी इंडिया ब्लॉक के लिए बुरी खबर हो सकती है. सहारनपुर सीट से जीतने वाले कांग्रेस के इमरान मसूद के खिलाफ भी आठ मामले दर्ज हैं. इनमें से एक मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है. उनके खिलाफ दो मामलों में आरोप तय किए जा चुके हैं.
आरक्षित सीट नगीना से जीतने वाले आजाद समाज पार्टी के सातवें उम्मीदवार चंद्रशेखर आजाद पर 30 से ज़्यादा मामले दर्ज हैं. अगर उन्हें किसी भी मामले में दो साल से अधिक सजा मिलती है, तो उनके राजनीतिक करियर पर बुरा असर पड़ेगा.
इन नेताओं की जा चुकी है सदस्यता
गौरतलब है कि आपराधिक मामलों में सजा मिलने के बाद अब तक कई राजनीतिक नेताओं की सदस्यता चली गई है. इनमें आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम , खब्बू तिवारी, विक्रम सैनी, राम दुलार गोंड, कुलदीप सेंगर और अशोक चंदेल के नाम शामिल हैं.