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उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी, नियमावली बनते ही लागू करने वाला पहला राज्य होगा

Uniform Civil Code Uttarakhand 2024 act उत्तराखंड समान नागरिक विधेयक पर बड़ी खबर सामने आई है. उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद इसकी जानकारी दी है.

President Approved UCC Uttarakhand
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 13, 2024, 2:04 PM IST

Updated : Mar 13, 2024, 6:43 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंजूरी मिल गई है. इसकी पुष्टि खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर पोस्ट कर दी है. अब नियमावली बनने के बाद एक नोटिफिकेशन जारी होगा और उसके बाद राज्य में यूसीसी लागू कर दिया जाएगा.

President Approved UCC Uttarakhand
सरकारी गजट नोटिफिकेशन.

सीएम धामी ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि सभी प्रदेशवासियों के लिए अत्यंत हर्ष और गौरव का क्षण है कि उत्तराखंड विधानसभा से पारित हुए समान नागरिक संहिता विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है. निश्चित तौर पर प्रदेश में समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने से साथ ही महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न पर लगाम लगेगी.

इसके अलावा सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड में सामाजिक समानता की सार्थकता को सिद्ध करते हुए समरसता को बढ़ावा देने के लिए Uniform Civil Code अपनी महत्वपूर्ण निभाएगा. उत्तराखंड सरकार पीएम मोदी के विजन के अनुरूप नागरिकों के हितों के संरक्षण और उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बनाए रखने के लिए संकल्पित है.

Uniform Civil Code के मुख्य बिंदु: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. अगर रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया तो उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही पति और पत्नी के जीवित रहते दूसरे विवाह पूरी तरह के प्रतिबंध रहेगा. इसके अलावा अगर शादीशुदा दंपति में से कोई एक बिना दूसरे की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उससे तलाक लेने और गुजारा भत्ते लेने का पूरा अधिकार होगा. सभी धर्मों में शादी की न्यूनतम उम्र युवकों के लिए 21 साल और युवतियों के लिए 18 साल निर्धारित की गई है. पति और पत्नी के बीच तलाक या घरेलू झगड़े के दौरान पांच साल तक के बच्चे की कस्टडी उसकी मां के पास ही रहेगी. वहीं सभी धर्मों में पति और पत्नी को तलाक लेने के समान अधिकार दिए गए हैं.

President Approved UCC Uttarakhand
UCC के मुख्य बिंदू.

इसके साथ ही मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक रहेगी. सभी धर्मों और समुदायों में बेटी को संपत्ति में समान अधिकार दिया जाएगा. संपत्ति के अधिकार के लिए जायज और नायायज बच्चे में कोई भेद नहीं होगा. नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान में गिना जाएगा. किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी संपत्ति में पत्नी और बच्चों को समान अधिकार दिया जाएगा. पत्नी और बच्चों के साथ माता-पिता को भी संपत्ति में समान अधिकार होगा. वहीं, किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को संपत्ति में अधिकारी संरक्षित किया गया है

लिव इन रिलेशनशिप के लिए भी रजिस्ट्रेश करवाना होगा: उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. रजिस्ट्रेशन के बाद कपल की सूचना रजिस्ट्रार उनके माता-पिता या अभिभावक को देगा. इसके अलावा लिव इन रिलेशन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस कपल का जायज बच्चा ठहराया जाएगा. उस बच्चे को जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे.

President Approved UCC Uttarakhand
UCC को लेकर कब-क्या हुआ.

बता दें कि हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर उत्तराखंड समान नागरिक संहिता 2024 विधेयक को सदन से पास करवाया था. उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां Uniform Civil Code लागू किया जाएगा.

गौरतलब हो कि उत्तराखंड में साल 2022 के विधानसभा चुनाव में खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी का मुद्दा उठाया था. उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान जनता से वादा किया था कि यदि उनकी पार्टी चुनाव जीतकर आती है तो वो उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लेकर आएंगे.

Uniform Civil Code Uttarakhand 2024  act
जानिए किन-किन लोगों से लिए गए सुझाव.

यहीं कारण था कि चुनाव जीतने और मुख्यमंत्री बनने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेठी का गठन किया था. समिति को जन संवाद में कई सुझाव मिले थे, जिन पर गहनता से अध्ययन करने के बाद यूसीसी का अंतिम ड्राफ्ट तैयार किया गया था, जिसे धामी सरकार ने बीती 7 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा से पास कराया था.

पढ़ें---

  1. उत्तराखंड में UCC बस एक कदम दूर, राज्यपाल से मिली मंजूरी, राष्ट्रपति को भेजा गया
  2. उत्तराखंड में यूसीसी का असर, बिल पास होने के बाद बढ़ी मैरिज रजिस्ट्रेशनों की संख्या, आप भी जानें प्रक्रिया

देहरादून: उत्तराखंड समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंजूरी मिल गई है. इसकी पुष्टि खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर पोस्ट कर दी है. अब नियमावली बनने के बाद एक नोटिफिकेशन जारी होगा और उसके बाद राज्य में यूसीसी लागू कर दिया जाएगा.

President Approved UCC Uttarakhand
सरकारी गजट नोटिफिकेशन.

सीएम धामी ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि सभी प्रदेशवासियों के लिए अत्यंत हर्ष और गौरव का क्षण है कि उत्तराखंड विधानसभा से पारित हुए समान नागरिक संहिता विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है. निश्चित तौर पर प्रदेश में समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने से साथ ही महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न पर लगाम लगेगी.

इसके अलावा सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड में सामाजिक समानता की सार्थकता को सिद्ध करते हुए समरसता को बढ़ावा देने के लिए Uniform Civil Code अपनी महत्वपूर्ण निभाएगा. उत्तराखंड सरकार पीएम मोदी के विजन के अनुरूप नागरिकों के हितों के संरक्षण और उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बनाए रखने के लिए संकल्पित है.

Uniform Civil Code के मुख्य बिंदु: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. अगर रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया तो उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही पति और पत्नी के जीवित रहते दूसरे विवाह पूरी तरह के प्रतिबंध रहेगा. इसके अलावा अगर शादीशुदा दंपति में से कोई एक बिना दूसरे की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उससे तलाक लेने और गुजारा भत्ते लेने का पूरा अधिकार होगा. सभी धर्मों में शादी की न्यूनतम उम्र युवकों के लिए 21 साल और युवतियों के लिए 18 साल निर्धारित की गई है. पति और पत्नी के बीच तलाक या घरेलू झगड़े के दौरान पांच साल तक के बच्चे की कस्टडी उसकी मां के पास ही रहेगी. वहीं सभी धर्मों में पति और पत्नी को तलाक लेने के समान अधिकार दिए गए हैं.

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UCC के मुख्य बिंदू.

इसके साथ ही मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक रहेगी. सभी धर्मों और समुदायों में बेटी को संपत्ति में समान अधिकार दिया जाएगा. संपत्ति के अधिकार के लिए जायज और नायायज बच्चे में कोई भेद नहीं होगा. नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान में गिना जाएगा. किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी संपत्ति में पत्नी और बच्चों को समान अधिकार दिया जाएगा. पत्नी और बच्चों के साथ माता-पिता को भी संपत्ति में समान अधिकार होगा. वहीं, किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को संपत्ति में अधिकारी संरक्षित किया गया है

लिव इन रिलेशनशिप के लिए भी रजिस्ट्रेश करवाना होगा: उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. रजिस्ट्रेशन के बाद कपल की सूचना रजिस्ट्रार उनके माता-पिता या अभिभावक को देगा. इसके अलावा लिव इन रिलेशन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस कपल का जायज बच्चा ठहराया जाएगा. उस बच्चे को जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे.

President Approved UCC Uttarakhand
UCC को लेकर कब-क्या हुआ.

बता दें कि हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर उत्तराखंड समान नागरिक संहिता 2024 विधेयक को सदन से पास करवाया था. उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां Uniform Civil Code लागू किया जाएगा.

गौरतलब हो कि उत्तराखंड में साल 2022 के विधानसभा चुनाव में खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी का मुद्दा उठाया था. उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान जनता से वादा किया था कि यदि उनकी पार्टी चुनाव जीतकर आती है तो वो उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लेकर आएंगे.

Uniform Civil Code Uttarakhand 2024  act
जानिए किन-किन लोगों से लिए गए सुझाव.

यहीं कारण था कि चुनाव जीतने और मुख्यमंत्री बनने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेठी का गठन किया था. समिति को जन संवाद में कई सुझाव मिले थे, जिन पर गहनता से अध्ययन करने के बाद यूसीसी का अंतिम ड्राफ्ट तैयार किया गया था, जिसे धामी सरकार ने बीती 7 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा से पास कराया था.

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  2. उत्तराखंड में यूसीसी का असर, बिल पास होने के बाद बढ़ी मैरिज रजिस्ट्रेशनों की संख्या, आप भी जानें प्रक्रिया
Last Updated : Mar 13, 2024, 6:43 PM IST
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