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यूएनएचआरसी में इजरायल के खिलाफ आया ये प्रस्ताव, जानें फिर अमेरिका ने किया किया - UNHRC anti Israel resolution - UNHRC ANTI ISRAEL RESOLUTION

यूएनएचआरसी में इजरायल के खिलाफ एक प्रस्ताव को अपनाया गया. जिसके खिलाफ अमेरिका ने वोट किया. वहीं इजरायली राजदूत ने इसका कड़ा विरोध करते हुए हॉल छोड़कर बाहर चले गए. इस विषय पर चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट पढ़िए...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 5, 2024, 10:57 PM IST

जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 55वें सत्र के अंत में जिनेवा में इजरायल विरोधी प्रस्ताव अपनाया गया. इस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र ने गाजा संकट को लेकर इजरायल की कड़ी निंदा की है. हालांकि इस प्रस्ताव में 7 अक्टूबर को हमास या उसके अपराधों का इसमें कोई उल्लेख नहीं किया गया है. सूत्रों के मुताबिक इजरायल ने गाजा में जिस तरीके का संकट पैदा किया है उसको लेकर संयुक्त राष्ट्र ने कड़ा रूख अख्तियार किया है. जो कि इजरायल के लिए उसके रक्षा करने के अधिकार के खिलाफ है. सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि इजरायल के खिलाफ इस प्रस्ताव के अपनाए जाने के बाद जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में इजरायल के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत मीरव इलोन शाहर इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए हॉल छोड़कर बाहर चले गए. जानकारी के मुताबिक इजरायल विरोधी प्रस्ताव के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका ने मतदान किया. इसी तरह जर्मनी, अर्जेंटीना, पैराग्वे, बुल्गारिया और मलावी ने भी प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. खबरों के मुताबिक परिषद द्वारा तीन और इजरायल विरोधी प्रस्तावों को अपनाये जाने की उम्मीद है. वहीं अमेरिका उन सभी प्रस्तावों के खिलाफ मतदान कर सकता है.

इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव, राजदूत हुए नाराज
इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव अपनाए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में इजरायल के स्थायी प्रतिनिधि मीरव इलोन शाहर ने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि, इस परिषद के कई सदस्य सिर्फ इजरायल की निंदा करना जानते हैं. उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्यों हमास जैसे आतंकवादी संगठन का बचाव किया जा रहा है जो इजरायल को नष्ट करना और उसे नुकसान पहुंचाना चाहता है. उन्होंने आगे कहा कि, अपनाये गए प्रस्ताव सामान्य रूप से संयुक्त राष्ट्र और विशेष तौर से मानवाधिकार परिषद पर एक धब्बा है. उन्होंने आगे कहा कि, यह अपमानजनक है कि परिषद ने एक ऐसा प्रस्ताव अपनाया है जिसमें हमास या उसके 7 अक्टूबर के क्रूर आतंकवादी हमलों का उल्लेख तक नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि हमास ने उनके 1 हजार 200 से अधिक नागरिकों की हत्या की. 240 पुरुषों, महिलाओं, बच्चों और शिशुओं का अपहरण किया, लेकिन संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने इसकी निंदा तक नहीं की.

गाजा संघर्ष के बाद से इजरायल की स्थिति
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में 47 सदस्य देश हैं. वर्तमान में, इसके सदस्यों में मलेशिया, कुवैत, कतर, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, अल्जीरिया, दक्षिण अफ्रीका, सोमालिया, क्यूबा, ​​​​साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड, लक्ज़मबर्ग, बेल्जियम, रोमानिया, जॉर्जिया, बुल्गारिया और अन्य राज्य शामिल हैं. परिषद के सदस्य राज्यों को 3 साल की अवधि के लिए चुना जाता है और केवल परिषद के सदस्यों को ही विभिन्न प्रस्तावों पर वोट देने का अधिकार होता है. मानवाधिकार परिषद की स्थापना 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव के माध्यम से की गई थी और यह इजरायल के खिलाफ अपने अंतर्निहित भेदभाव के लिए जाना जाता है. हर साल परिषद कम से कम चार इजरायल विरोधी प्रस्ताव अपनाती है. अब तक परिषद में विशिष्ट राज्यों के खिलाफ 300 प्रस्ताव पेश किए गए. जिनमें से इजरायल के खिलाफ 108 प्रस्तावों को अपनाया गया. बता दें कि, 7 अक्टूबर से गाजा पर हो रहे इजरायली हमले के बाद से इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव अपनाए जाने में काफी वृद्धि हुई.

ये भी पढ़ें: भूख और प्यास से तड़प रहा गाजा! किसने भुखमरी को बनाया हथियार? इजरायल-हमास जंग

जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 55वें सत्र के अंत में जिनेवा में इजरायल विरोधी प्रस्ताव अपनाया गया. इस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र ने गाजा संकट को लेकर इजरायल की कड़ी निंदा की है. हालांकि इस प्रस्ताव में 7 अक्टूबर को हमास या उसके अपराधों का इसमें कोई उल्लेख नहीं किया गया है. सूत्रों के मुताबिक इजरायल ने गाजा में जिस तरीके का संकट पैदा किया है उसको लेकर संयुक्त राष्ट्र ने कड़ा रूख अख्तियार किया है. जो कि इजरायल के लिए उसके रक्षा करने के अधिकार के खिलाफ है. सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि इजरायल के खिलाफ इस प्रस्ताव के अपनाए जाने के बाद जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में इजरायल के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत मीरव इलोन शाहर इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए हॉल छोड़कर बाहर चले गए. जानकारी के मुताबिक इजरायल विरोधी प्रस्ताव के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका ने मतदान किया. इसी तरह जर्मनी, अर्जेंटीना, पैराग्वे, बुल्गारिया और मलावी ने भी प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. खबरों के मुताबिक परिषद द्वारा तीन और इजरायल विरोधी प्रस्तावों को अपनाये जाने की उम्मीद है. वहीं अमेरिका उन सभी प्रस्तावों के खिलाफ मतदान कर सकता है.

इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव, राजदूत हुए नाराज
इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव अपनाए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में इजरायल के स्थायी प्रतिनिधि मीरव इलोन शाहर ने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि, इस परिषद के कई सदस्य सिर्फ इजरायल की निंदा करना जानते हैं. उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्यों हमास जैसे आतंकवादी संगठन का बचाव किया जा रहा है जो इजरायल को नष्ट करना और उसे नुकसान पहुंचाना चाहता है. उन्होंने आगे कहा कि, अपनाये गए प्रस्ताव सामान्य रूप से संयुक्त राष्ट्र और विशेष तौर से मानवाधिकार परिषद पर एक धब्बा है. उन्होंने आगे कहा कि, यह अपमानजनक है कि परिषद ने एक ऐसा प्रस्ताव अपनाया है जिसमें हमास या उसके 7 अक्टूबर के क्रूर आतंकवादी हमलों का उल्लेख तक नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि हमास ने उनके 1 हजार 200 से अधिक नागरिकों की हत्या की. 240 पुरुषों, महिलाओं, बच्चों और शिशुओं का अपहरण किया, लेकिन संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने इसकी निंदा तक नहीं की.

गाजा संघर्ष के बाद से इजरायल की स्थिति
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में 47 सदस्य देश हैं. वर्तमान में, इसके सदस्यों में मलेशिया, कुवैत, कतर, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, अल्जीरिया, दक्षिण अफ्रीका, सोमालिया, क्यूबा, ​​​​साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड, लक्ज़मबर्ग, बेल्जियम, रोमानिया, जॉर्जिया, बुल्गारिया और अन्य राज्य शामिल हैं. परिषद के सदस्य राज्यों को 3 साल की अवधि के लिए चुना जाता है और केवल परिषद के सदस्यों को ही विभिन्न प्रस्तावों पर वोट देने का अधिकार होता है. मानवाधिकार परिषद की स्थापना 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव के माध्यम से की गई थी और यह इजरायल के खिलाफ अपने अंतर्निहित भेदभाव के लिए जाना जाता है. हर साल परिषद कम से कम चार इजरायल विरोधी प्रस्ताव अपनाती है. अब तक परिषद में विशिष्ट राज्यों के खिलाफ 300 प्रस्ताव पेश किए गए. जिनमें से इजरायल के खिलाफ 108 प्रस्तावों को अपनाया गया. बता दें कि, 7 अक्टूबर से गाजा पर हो रहे इजरायली हमले के बाद से इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव अपनाए जाने में काफी वृद्धि हुई.

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